विश्व में मुसलमानों की सबसे बड़ी आबादी किसी देश में है तो वह है इंडोनेशिया। आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान में पल रहे जिहादियों की कमर तोड़ने के बाद विश्व के अनेक देशों में आतंकवाद और पाकिस्तान के बीच गर्भनाल के संबंधों का खुलासा करने गए भारत के विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों में से एक इन दिनों इस्लामी देश इंडोनेशिया में है और वहां भारत के सांसदों ने जब उन्हें आतंकवाद के खतरों और उसमें पाकिस्तान की मिलीभगत बताया तो वहां के समझदारों ने इस पर सहमति जताते हुए आतंकवादी का हर रूप में विरोध करने की बात की। उस इस्लामी देश के सबसे बड़े संगठन नाहदतुल उलमा ने आगे आकर कहा कि हम भारत के साथ हैं और जहां तक आतंकवाद से लड़ने की बात है तो हम साथ साथ इससे लड़ेंगे।
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने आपरेशन सिंदूर को लेकर पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे झूठ का पर्दाफाश किया और बताया कि कैसे बंटवारे के बाद से ही भारत का पड़ोसी इस्लामी देश भारत में आतंकवादी भेजकर जम्मू कश्मीर सहित पूरे देश को रक्तरंजित करता रहा है। भारत के सांसदों ने तथ्यों के साथ पूरी परिस्थिति स्पष्ट की और बताया कि पहलगाम जिहादी हमले के बाद पाकिस्तान के लापरवाह रवैए को देखते हुए ही, भारत ने सटीक निशाने साधकर पीओजेके में चल रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को नेस्तोनाबूद किया है।
भारत की ओर से प्रस्तुत इस पूरे प्रकरण को सुनने वालों में वहां के सबसे बड़े इस्लामी संगठन नाहदतुल उलमा के सदस्य भी थे। उन्होंने पूरा वक्तव्य सुनने के बाद भारत की पीड़ा को समझा और पाकिस्तान की शरारत पर हैरान रह गए। इस संगठन के वरिष्ठ सदस्यों ने एक स्वर से कहा कि साझा लड़ाई करके इस आतंकवाद को समाप्त करना होगा। विश्व में शांति कायम होनी चाहिए। किसी को किसी देश में इस तरह की शैतान हरकतें नहीं करनी चाहिए जैसी पाकिस्तान करता है। इस इस्लामी संगठन के अध्यक्ष उलिल अब्शार अब्दल्ला ने साफ कहा कि मजहब का नाम लेकर हिंसक गतिविधियां करना बहुत खतरनाक बात है। और इसके सबसे बड़े शिकार खुद मुसलमान हैं।

अब्शार अब्दल्ला ने यह बात भारत के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से अलग से इस विषय पर चर्चा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को साझा लड़ाई लड़कर ही समाप्त किया जा सकता है। इस रास्ते से ही शांति आ सकती है। भारत की तरह इंडोनेशिया भी आतंकवाद का शिकार रहा है। इसलिए अब्दल्ला ने कहा कि जिस प्रकार का भारत को अनुभव हो रहा है उसे हम समझ सकते हैं। उनका कहना था कि भारत और इंडोनेशिया दोनों आर्थिक विकास, राजनीतिक स्थिरता और शांति चाहते हैं।
अब्दल्ला का संगठन नाहदतुल उलमा उस देश का सबसे बड़ा इस्लामी संगठन होने के नाते अपनी अलग साख रखता है। यह संगठन इस्लामी मूल्यों को मानता है लेकिन हिंसा के विरुद्ध है। संगठन का मानना है कि हिंसा के लिए मजहब की आड़ लेना किसी तरह सही नहीं है। अगर ऐसा होता है कि तो यह एक बहुत खतरनाक सोच है। अब्दल्ला मानते हैं कि कुछ गुट हैं तो इस्लाम का नाम लेकर हिंसा फैलाते हैं, उसे उकसाते हैं। लेकिन यह गलत है। इस्लाम ‘शांति’ का मजहब है। खुद मुसलमान आतंकवाद के शिकार हो रहे हैं, इसलिए इस खतरे पर कैसे लगाम लगे, इसे मुसलमानों को अपनी पहली जिम्मेदारी मानना होगा।
अब्दल्ला ने भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा के बीच इंडोनेशिया के इतिहास का जिक्र किया कि कैसे इसमें भारत की समृद्ध सभ्यता की झलक दिखती है। उनका कहना है कि इस वजह से भी हम दोनों देशों के लोगों को अपने स्तर पर आपसी सहयोग को महत्व देना होगा। भारत के सांसदों के इस प्रतिनिधिमंडल की अगुआई जदयू से सांसद संजय कुमार झा कर रहे थे। उन्होंने भी अब्दल्ला के विचारों को सहानुभूति से भरा कहा। उन्होंने जानकारी दी कि नाहदतुल उलमा के अध्यक्ष ने भरोसा दिया है कि इस्लामिक देशों के संगठन में भी भारत द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं के प्रति समर्थन प्राप्त होगा।
भारत से गए इस प्रतिनिधिमंडल की भेंट इंडोनेशिया की नेशनल मेंडेट पार्टी तथा वहां के वरिष्ठ चिंतकों, विचारकों से भी हुई। प्रतिनिधिमंडल ने अनेक शिक्षा संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों से विशेष रूप से चर्चा की। जकार्ता में कार्यरत भारतीय दूतावास ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल यहां आपरेशन सिंदूर को लेकर भारत के विरुद्ध जो दुष्प्रचार किया जा रहा है, उसकी कलई खोलने आयश है। आतंकवाद को लेकर भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को पूरी दुनिया ने सराहा है।
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