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बात न मानने वाली महिलाओं के लिए सऊदी अरब की खास जेल

सऊदी अरब की दार अल-रिया जेलों में महिलाओं और लड़कियों को नाफरमानी के नाम पर कैद कर यातनाएं दी जाती हैं। कोड़े मारना, कौमार्य परीक्षण और आत्महत्या के मामले इन सुधार गृहों की भयावह हकीकत बयां करते हैं।

by सोनाली मिश्रा
May 29, 2025, 10:41 am IST
in विश्व, विश्लेषण
Saudi arab women jail

प्रतीकात्मक तस्वीर

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सऊदी अरब में लगातार ही अपनी छवि को सुधारने के लिए सरकार कार्य कर रही है और जिनमें महिलाओं को तमाम अधिकार दिए जाने भी शामिल हैं। मगर सऊदी अरब में महिलाओं को लेकर एक सच्चाई सामने आई है। यह सच्चाई महिलाओं की वह दुनिया बताती है, जहाँ पर अंधेरा ही अंधेरा है। द गार्जियन में सऊदी की उन जेलों की सच्चाई दिखाई गई है, जहाँ पर लड़कियों को नाफरमानी के चलते कैद किया जाता है।

मगर ये नाफरमानी किन मामलों को लेकर होती हैं? ये लड़कियां और महिलाएं यहाँ पर कैद क्यों हैं? यहाँ पर उन महिलाओं या लड़कियों को सजा के लिए रखा जाता है जिन्हें उनके घरवालों ने निकाल दिया है या शौहर ने बात न मानने के कारण निकाल दिया है, या फिर उन पर निकाह के बाद भी गैर मर्द से संबंधों का आरोप हैं या फिर वे घर से गायब हो गई हैं। इन्हें दर-अल रेया कहा जाता है और इनके खिलाफ आवाज उठाना सऊदी में लगभग असंभव है। द गार्जियन के अनुसार उसने पिछले छह महीनों से इन नरक में रह रही महिलाओं की हालत पर सबूत जुटाए हैं। इनकी सजा में नियमित आधार पर कोड़े मारना, जबरन मजहबी तालीम और बाहरी जगत से किसी भी तरह का कोई संपर्क न होना शामिल है।

यह लिखता है, “बताया जाता है कि हालात इतने खराब हैं कि आत्महत्या या आत्महत्या के प्रयास के कई मामले सामने आए हैं। महिलाएं कई साल तक जेल में बंद रहती हैं, अपने परिवार या पुरुष अभिभावक की अनुमति के बिना बाहर नहीं निकल पातीं। एक युवा सऊदी महिला जो इस कैद से बाहर भागने में सफल रही, उसने कहा, “सऊदी में पली-बढ़ी हर लड़की दार अल-रिया के बारे में जानती है और जानती है कि यह कितना भयानक है। यह नरक जैसा है। जब मुझे पता चला कि मुझे वहां ले जाया जा रहा है तो मैंने अपनी जान लेने की कोशिश की। मुझे पता था कि वहां महिलाओं के साथ क्या होता है और मैंने सोचा कि ‘मैं इससे बच नहीं सकती।”

लड़कियों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता कहते हैं कि ये कम ज्ञात कथित सुधार गृह लड़कियों के लिए यातना स्थल है और इन्हें नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। सऊदी अधिकारियों ने इन सुधार गृहों के विषय मेंबताया कि इन्हें 1960 के दशक में पूरे देश में स्थापित किया गया था जिससे कि अपराध करने वाली लड़कियों को वहाँ पर लाया जा सके और उन्हें सुधारा जा सके और साथ ही उन्हें मनोवैज्ञानिकों की सहायता से ऐसा किया जा सके कि वे परिवारों में वापस जा सकें।

मगर कार्यकर्ताओं की मानें तो यह लड़कियों के लिए कब्रगाह ही है। गार्जियन के अनुसार सारा अल-याहिया, जिन्होंने सुधार गृहों को खत्म करने के लिए अभियान शुरू किया था, ने कई लड़कियों से बात की है जो एक तमाम अपमानजनक हालातों को बताती हैं, जहाँ कैदियों को आने पर कपड़े उतारकर तलाशी ली जाती है और कौमार्य परीक्षण किया जाता है और उन्हें सुलाने के लिए बेहोश करने वाली दवाएँ दी जाती हैं।

“यह एक जेल है, केयर होम नहीं, जैसा कि वे इसे कहते हैं। वे एक-दूसरे को नंबर से बुलाते हैं। ‘नंबर 35, यहाँ आओ।’ जब लड़कियों में से कोई अपना पारिवारिक नाम बताती है, तो उसे कोड़े मारे जाते हैं। अगर वह प्रार्थना नहीं करती है, तो उसे कोड़े मारे जाते हैं। अगर वह किसी दूसरी महिला के साथ अकेली पाई जाती है, तो उसे कोड़े मारे जाते हैं और उस पर समलैंगिक होने का आरोप लगाया जाता है। जब लड़कियों को कोड़े मारे जाते हैं, तो गार्ड इकट्ठा होकर देखते हैं।”

याहिया, जो अब 38 वर्ष की है और सुधार गृह में रहती है, कहती है कि उसके माता-पिता ने उसे 13 वर्ष की उम्र से ही दार अल-रिया भेजने की धमकी दी थी। वह कहती है, वे कहती हैं कि उनके अब्बा ने उन्हें सजा के तौर पर यहाँ भेजने की बात कही थी, क्योंकि उन्होनें अपने अब्बा द्वारा किये जा रहे यौन शोषण का विरोध किया था। उन्होंने आगे कहा कि लड़कियों और महिलाओं को दार अल-रिया और एक अपमानजनक घर में रहने के बीच निर्णय लेने की भयावह दुविधा का सामना करना पड़ सकता है। यदि कोई महिला ऐसी लड़की की सहायता भी करती है तो उसे भी सजा दी जाती है। एक महिला ने बताया कि यदि आपके भाई या पिता द्वारा आपका यौन शोषण किया जाता है या आप गर्भवती हो जाती हैं तो परिवार की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए आपको ही दार अल-रिया भेजा जाता है।

एक लड़की ने बताया कि जब उसने अपने अब्बा और भाई द्वारा अपने साथ किये जा रहे यौन शोषण के विषय में शिकायत की तो उन्होनें घर की इज्जत को सड़क पर लाने को लेकर उसे यहाँ भेज दिया। अपना नाम गुप्त रखने वाली एक महिला कार्यकर्ता का कहना है, “इन महिलाओं का कोई नहीं है। उन्हें सालों तक अकेला छोड़ा जा सकता है, बिना कोई अपराध किए भी।” यह रिपोर्ट दिल दहला देने वाली तस्वीरे प्रस्तुत करती है कि एक चमक दमक से भरी दुनिया में मजहबी औरतों की यह भी स्थिति हो सकती है।

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