हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली ‘गोल्डन डोम’ बनाने की घोषणा की, जिसका उद्देश्य बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइलों के खतरे का मुकाबला करना है। प्रस्तावित प्रणाली पर 175 अरब डॉलर से अधिक खर्च होने जा रहे हैं और राष्ट्रपति ट्रम्प कार्यालय छोड़ने से पहले 2029 तक परियोजना को पूरा करना चाहते हैं। यह घोषणा इस साल मार्च में यमन में पांचवीं पीढ़ी के नवीनतम स्ट्राइक विमान यूएस F -35 को हूती आतंकवादी संगठन द्वारा मार गिराने के करीब पहुंचने की खबरों की पृष्ठभूमि में आई है। जाहिर है इस खबर को अमेरिका ने दबा दिया था।
अमेरिका ने इस साल मार्च में यमन में हूती ठिकानों पर हमला करने के लिए ‘ऑपरेशन रफ राइडर’ शुरू किया था। हूती यमन में स्थित एक आतंकवादी संगठन है, जो यमन में सऊदी और अमेरिका समर्थित शासन से लड़ रहा है। यमन में स्थिति सरकारी बलों और हूती संगठन के बीच नियमित संघर्ष की रिपोर्टों के साथ नाजुक बनी हुई है। अमेरिका के ‘F-16 वाइपर’ लडाकू विमानों को भी यमन में हूतियों की अल्पविकसित वायु रक्षा क्षमता का सामना करना पड़ा है। ऐसी भी जानकारी सामने आ रही है की हूतियों द्वारा अमेरिका के एक एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया गया।
हूतियों की वायु रक्षा क्षमता ने अमेरिकीऔर अन्य सैन्य विश्लेषकों को समान रूप से आश्चर्यचकित किया है। हूती के पास मोबाइल एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जो कहीं भी दिखाई दे सकते हैं और हवाई मिशन को बाधित कर सकते हैं। हूतियों द्वारा तात्कालिक निष्क्रिय अवरक्त सेंसर और प्राथमिक हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का उपयोग कर रहे हैं जो F -35 जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों के लिए भी खतरा प्रतीत होते हैं। चूंकि पाकिस्तान के जिहादी तत्वों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, इसलिए उनके लिए हूती जैसे आतंकवादी संगठनों से समान वायु रक्षा क्षमता प्राप्त करना संभव है।
ऑपरेशन सिंदूर में गहरी चोट खाने के कारण पाकिस्तान हूतियों की वायु रक्षा क्षमता हासिल करना चाहेगा। इस तरह के नए खतरे भारत की व्यापक वायु रक्षा रणनीति के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रस्तुत करते हैं। यह पता चला है कि हूती मोबाइल, लो-टेक सिस्टम जैसे रिपर्पज्ड इन्फ्रारेड गाइडेड मिसाइल (जैसे थाकिब -1 या 2, सकर – 358) और रडार गाइडेड एसए -6 सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं। यह तकनीक अपनी उच्च गतिशीलता और निष्क्रिय सेंसर के कारण पता लगाने और मुकाबला करने में सक्षम हैं। यह संभव है कि पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी ) दोनों पर समान लागत प्रभावी, मोबाइल वायु रक्षा प्रणाली (जैसे चीनी HQ-9 या पाकिस्तान का LY -80) तैनात कर सकता है। पाकिस्तान से उभरते हुए मिसाइल खतरे से निपटने के लिए भारतीय बहुस्तरीय वायु रक्षा कवर को भविष्य में बेहतर तरीके से तैयार करना पड़ सकता है।
पता लगाने और लक्ष्यीकरण के लिए निष्क्रिय अवरक्त सेंसर पर निर्भरता को बायपास करने में हूतियों की वायु रक्षा क्षमता सक्षम रही है। यह एक विवादित हवाई क्षेत्र में भारतीय वायु सेना के लिए चिंता का विषय हो सकता है। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सशस्त्र सेनाओं के हाथों मिली हार के बाद पाकिस्तान पीएल-10 जैसी चीन की उन्नत आईआर-गाइडेड मिसाइलें हासिल करने की प्रक्रिया में होगा। पाकिस्तान के पास क्यूडब्ल्यू-2 जैसी मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) है जो हमारे लिए खतरा है। तदनुसार, भारतीय बलों को इस तरह के शक्तिशाली खतरे के खिलाफ इन्फ्रारेड काउंटर मेजर्स (IRCM) को प्राथमिकता देनी पड़ सकती है।
इस बात की संभावना है कि हूती आईआर आधारित सिस्टम एफ -35 जैसे उन्नत विमान का पता लगा सकते हैं, खासकर जब हथियार के इस्तेमाल के लिए वेपन बे खुलते हैं और रडार क्रॉस-सेक्शन बढ़ाते हैं। यह निश्चित रूप से भारत के अपने लड़ाकू विमानों में हथियार वेपन बे खोलने के लिए आवश्यक कुछ सेकंड गंभीर परिणाम दे सकते हैं। यह कम तकनीक लेकिन प्रभावी वायु रक्षा से बचाने के लिए एकीकृत आईआरसीएम और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। इन कम-तकनीकी और अपेक्षाकृत सस्ती प्रणालियों की उपलब्धता बड़े पैमाने पर है, जो हमारे वायु रक्षा संसाधनों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। हमारी वायु रक्षा प्रणाली को और भी सजग रहना होगा।
हमारे लिए एक और सबक ड्रोन युद्ध के क्षेत्र में है। हूतियों ने अपनी आईआर-निर्देशित मिसाइलों के साथ महत्वपूर्ण संख्या में अमेरिकी एमक्यू -9 रीपर मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को नष्ट करने की अलौकिक क्षमता प्रदर्शित की। एक आतंकवादी संगठन के हाथों में इस तरह की क्षमता भारतीय मानव रहित प्रणालियों के बारे में भी गंभीर चिंता पैदा करती है। लेकिन भारतीय सेनाओं ने आईआरसीएम और आवश्यक रणनीति को शामिल करके एक मजबूत वायु रक्षा तंत्र का प्रदर्शन किया है। नतीजतन, भारतीय वायु रक्षा हवा में अधिकांश पाक ड्रोन को नष्ट कर सकते हैं। लेकिन ड्रोन एक झुंड बनाकर हमला कर रहे हैं ताकि कुछ तो लक्ष्य तक पहुंचकर नुकसान पहुंचाए। हमें ऐसी स्थिति से निपटने केलिए तैयार रहना होगा।
भारतीय वायु सेना (IAF) ने दुश्मन की हवाई सुरक्षा को पूर्वव्यापी रूप से बेअसर करने के लिए दुश्मन की हवाई रक्षा का दमन (Suppression of Enemy Air Defences- SEAD) की मजबूत योजना भी बनाई है। ब्रह्मोस जैसे घातक और सटीक हथियार प्लेटफार्मों के साथ, भारत ने चीनी HQ- 9 या पाकिस्तान के मोबाइल एसएएम सिस्टम जैसे स्तरित वायु रक्षा को भेदने की अपनी क्षमता ऑपरेशन सिंदूर में बखूबी प्रदर्शित की है। भारत ने पहले ही वायु रक्षा कवर को और मजबूत करने के लिए अधिक एस -400 और अन्य वायु रक्षा प्रणालियों का आदेश दिया है। साथ ही स्वदेशी रक्षा साजोसामान भी तेजी से मुहैया किया जा रहा है।
हूती ग्रुप युद्ध क्षमताओं के लिए ईरान पर निर्भर करता है। उनकी वायु रक्षा की रणनीति एक खाका प्रदान करती है, जिसे हमारे विरोधी दोहरा सकते हैं। पाकिस्तान, अपने जिहादी संपर्क के साथ, समान रूप से प्रभावी लेकिन कम लागत वाली प्रणालियों का अधिग्रहण कर सकता है। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध को आतंकवादियों द्वारा आयोजित मिसाइलों और आईआर प्रणालियों से अधिक से अधिक पारंपरिक खतरों का मुकाबला करना पड़ सकता है। इसके अलावा, रणनीतिक और सामरिक खुफिया जानकारी को आतंकवादी संगठनों में हो रही तरक्की से मेल खाना होगा।
भारतीय रक्षा उद्योग, सार्वजनिक और निजी दोनों को अब हवा में असममित खतरे से निपटने के लिए ओवरड्राइव मोड में काम करना होगा। भारतीय स्टार्टअप्स द्वारा बनाए गए यूएवी ने युद्ध के मैदान की परिस्थितियों में सराहनीय प्रदर्शन किया है। हमारे आक्रामक और रक्षात्मक दोनों प्लेटफार्मों को भारतीय वायु रक्षा कवर में अधिग्रहण, एकीकृत और संचालित किया गया है। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक युद्ध को अगले स्तर तक अपग्रेड करने की आवश्यकता हो सकती है। संक्षेप में, भारतीय नवाचार और नवीनता को विरोधी से आगे रहना होगा।
भारत के वायु रक्षा परिप्रेक्ष्य से, हूती मॉडल मोबाइल, कम लागत वाली प्रणालियों के बढ़ते खतरे को उजागर करता है जो हमारे हवाई प्लेटफार्मों को चुनौती दे सकते हैं।
सौभाग्य से, पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने अमेरिका की सलाह के खिलाफ भी, सर्वोत्तम प्रणालियों के साथ जैसे S-400 से हमारे वायु रक्षा कवर को बेहतर बनाने में निवेश किया है। लेकिन नए उभरते खतरे गतिशील प्रकृति के हैं और हमारे रक्षा योजनाकारों को लगातार चौकस रहना होगा। हमने पाकिस्तान के सभी मंसूबों को नाकाम करने के लिए आसमान में अपने सैन्य कौशल का प्रदर्शन किया है। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है। भारत और हमारे सशस्त्र सेनाओं को मेरी सलाह होगी कि वे तत्काल और निकट भविष्य में पाकिस्तान और चीन पर हमारी हवाई श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए अनुकूल रणनीति तैयार रखें । जय भारत!
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के अपने विचार हैं। ये आवश्यक नहीं कि पाञ्चजन्य इससे संबंधित हो)
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