Gayatri Mantra: सनातन संस्कृति में देवी गायत्री को विशेष स्थान प्राप्त है। धर्मशास्त्रों में उन्हें वेदों की जननी और परम ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र न केवल आध्यात्मिक शक्ति का स्रोत है, बल्कि इसका गहन अर्थ समझने मात्र से चारों वेदों का सार और ज्ञान प्राप्त हो सकता है। देवी गायत्री की उपासना से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वह मोक्ष की ओर अग्रसर होता है। शास्त्रों में वर्णित है कि जैसे चारों वेद ज्ञान का समुद्र हैं, उसी तरह गायत्री मंत्र उस समुद्र की मूलधारा है, संक्षेप में कहें तो वेदों का निचोड़।
यह भी मान्यता है कि जितना पुण्य और ज्ञान चारों वेदों के अध्ययन से प्राप्त होता है, उतना ही लाभ केवल गायत्री मंत्र के चिंतन और अभ्यास से भी संभव है। इसलिए गायत्री मंत्र को वेदों का सार और देवी गायत्री को उस दिव्य ज्ञान की स्रोत शक्ति कहा गया है। सनातन परंपरा में देवी गायत्री को अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली देवी माना गया है। मान्यता है कि चारों वेद, शास्त्र और श्रुतियों की उत्पत्ति देवी गायत्री से हुई है, इसी कारण उन्हें वेदमाता कहा जाता है। वेदों की जननी के रूप में उनका स्थान सर्वोच्च है। देवी गायत्री न केवल वेदमाता हैं, बल्कि त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश की आराध्य देवी भी मानी जाती हैं। उन्हें देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती का रूप या अवतार भी माना जाता है यानी एक ही देवी में त्रिदेवियों का समावेश।
गायत्री मंत्र का नियमित जाप चमत्कारी रूप से फलदायी होता है
विशेष रूप से विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। जब विद्यार्थी प्रतिदिन श्रद्धा से गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, तो उनके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है।
- पढ़ाई में मन लगता है
- याददाश्त तेज होती है
- बुद्धि स्पष्ट और धारदार बनती है
- बिजनेस में तरक्की के लिए फलदायी है गायत्री मंत्र का जाप
गायत्री मंत्र
ओम भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।।
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