चार राज्यों में पांच विधानसभा सीटों के उपचुनाव की घोषणा के पश्चात अब इसके राजनीतिक निहितार्थों का आकलन शुरू हो गया है। इन पांच सीटों में गुजरात के दो सीट, केरल, पश्चिम बंगाल और पंजाब की एक-एक विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव होने हैं। ये उपचुनाव भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। इन उपचुनावों से केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल के राजनितिक नब्ज़ का पता चलेगा। केरल और पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं जबकि पंजाब और गुजरात में 2027 में विधानसभा के चुनाव हैं।
केरल में नीलांबुर विधानसभा सीट का उपचुनाव है। यह सीट मलप्पुरम जिले में स्थित है। इससे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं कि यह सीट वायनाड लोकसभा सीट में है। वायनाड लोकसभा सीट से विगत तीन लोकसभा चुनाव 2019, 2024 में दो बार इस सीट से गांधी परिवार का प्रतिनिधित्व हो रहा है। वर्तमान में इस सीट से प्रियंका गांधी सांसद हैं। इस विधानसभा सीट से निर्दलीय पी वी अनवर दो बार से माकपा नीट लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के सहयोग से जीत रहे हैं। मगर पी वी अनवर ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देकर ममता बनर्जी की अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
इस बार पूरी उम्मीद हैं कि तृणमूल कांग्रेस इस उपचुनाव में पी वी अनवर को अपना उम्मीदवार बनाएगी। तृणमूल कांग्रेस के इस उपचुनाव में पी वी अनवर को अपना उम्मीदवार बनाये जाने के कारण ना इस सीट पर बल्कि पूरे राज्य में एक नई राजनीतिक अध्याय की शुरुआत होगी। ममता बनर्जी को कम्युनिस्ट दलों से चुनाव लड़ने का पुराण अनुभव इस उपचुनाव में पार्टी को बहुत काम आएगा। तृणमूल कांग्रेस के कारण इस बार के उपचुनाव में इस सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबले की संभावना है क्योंकि एलडीएफ, यूडीएफ और एनडीए इस सीट पर परंपरागत प्रतिद्वंद्वी है।
यह सीट गांधी परिवार, एलडीएफ और यूडीएफ सबों के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के राहुल गाँधी ने 56000 से अधिक मतों की बढ़त बनाई थी, जबकि 2019 के लोकसभा के चुनाव में 61000 से अधिक मतों की बढ़त बनाई थी। कांग्रेस पार्टी नीत यूडीएफ के लिए इस सीट को जितने की चुनौती है। वहीं माकपा नीत एलडीएफ के लिए इस सीट को बरक़रार रखने की चुनौती है। वहीं तृणमूल कांग्रेस से चुनावी मैदान में संभावित पूर्व विधायक पी वी अनवर के लिए नए राजनीतिक माहौल में सीट को बचाए रखने की चुनौती है। अगर पी वी अनवर चुनाव जीतने में सफल होते हैं तो राज्य की राजनीति में एक नया दौर शुरू होगा। अभी तक राज्य के मुस्लिम मतदाताओं का रुझान इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग पार्टी के कारण यूडीएफ की ओर रहता है मगर तृणमूल कांग्रेस पार्टी के इस सीट को जीतने की स्थिति में राज्य में मुस्लिम मतदाताओं का रुख ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की ओर हो सकता है।
पंजाब में लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट का उपचुनाव आम आदमी पार्टी के विधायक गुरप्रीत सिंह गोगी के निधन के कारण हो रहा है। इस सीट के उपचुनाव में आप ने अपने राज्य सभा सांसद संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाकर सबको चौका दिया है। ऐसा उम्मीद लगाया जा रहा है कि अगर संजीव अरोड़ा उपचुनाव जीत जाते हैं तो उनके द्वारा खाली किए गए राज्यसभा सीट पर आप सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल खुद राज्यसभा जाएंगे। अतएव यह उपचुनाव अरविंद केजरीवाल और आप दोनों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। अगर आप चुनाव हार जाती हैं तो यह केजरीवाल के प्रतिष्ठा पर बहुत बड़ा धब्बा होगा और 2027 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पूर्व आप के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।
गुजरात में दो विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव है एक सीट विसावदर आम आदमी पार्टी के विधायक द्वारा इस्तीफा और भाजपा के शामिल होने के कारण हो रहा है। वहीं दूसरी कड़ी विधानसभा सीट पर उपचुनाव भाजपा विधायक के निधन के कारण हो रहा है। इन दोनों सीटों पर यह महत्वपूर्ण हैं कि आप और कांग्रेस पार्टी में कौन सा दल भाजपा का मुख्य प्रतिद्वंदी बनता है। गुजरात में आप औऱ कांग्रेस पार्टियों में भाजपा का मुख्य प्रतिद्वंदी बनाने की लड़ाई चल रही है। अगर कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता है तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा क्योंकि हाल ही में गुजरात में कांग्रेस पार्टी का बड़ा सम्मेलन हुआ था।
आप का पूरा प्रयास इन उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी को पछाड़ कर राज्य की राजनीति में मुख्य विपक्षी दल बनना है। कांग्रेस पार्टी के लिए प्रतिष्ठा और भी दांव पर लग गया है क्योंकि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में शून्य सीट प्राप्त करने के बाद 2024 में पार्टी गुजरात से लोकसभा चुनाव में अपना खाता खोलने में सफल हुई है।
पश्चिम बंगाल में नदिया जिले के कालीगंज विधानसभा की सीट पर उपचुनाव होने हैं। यह उपचुनाव तृणमूल कांग्रेस के विधायक नसीरुद्दीन अहमद के निधन के कारण हो रहा है। विगत तीन विधानसभा चुनाव से इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस चुनाव जीत रही है। 2021 के विधानसभा चुनाव में कम्युनिस्ट और कांग्रेस पार्टी राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी। इन दलों का प्रयास होगा कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य विधानसभा में अपना खाता खोला जा सके। 2021 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा मुख्य प्रतिद्वंदी थी और इस बार भाजपा का इस सीट को जीतने की प्रबल संभावना है। इस सीट का उपचुनाव आगामी 2026 के राज्य विधानसभा के चुनाव से पहले सभी दलों के लिए एक प्रतिष्ठा का विषय है।
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