भारत

‘ब्रह्मास्त्र’ है ब्रह्मोस

उत्तर प्रदेशआने वाले दिनों में देश की रक्षा चुनाैतियों का उत्तर बनेगा। गत 11 मई को प्रदेश के रक्षा गलियारे में ‘ब्रह्मोस एकीकरण एवं परीक्षण सुविधा केंद्र’ का उद्घाटन किया गया। 200 एकड़ में फैले इस परिसर में बूस्टर सब-असेंबली, एवियोनिक्स, प्रोपेलेंट, रैमजेट इंजन का एकीकरण किया जाएगा

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सुनील राय

रक्षा क्षेत्र में सरकार की नीतियां अब परिणाम देने लगी हैं। भारत रक्षा उत्पादों को निर्यात करने की चुनौती स्वीकार करते हुए रक्षा उत्पादक देश के रूप में उभरा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2020 में लखनऊ में आयोजित डिफेंस एक्सपो में यह घोषणा की थी कि ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किया जाएगा। गत 11 मई को यह घोषणा फलीभूत हुई। राजनाथ सिंह (वर्चुअल) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रक्षा गलियारे में ब्रह्मोस एकीकरण एवं परीक्षण सुविधा केंद्र का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने कहा, “ब्रह्मोस न केवल दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है, बल्कि यह भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत, दुश्मनों के लिए प्रतिरोध और अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए राष्ट्र की अटूट प्रतिबद्धता का संदेश है। ब्रह्मोस भारत और रूस की शीर्ष रक्षा प्रौद्योगिकियों का संगम है। इसके द्वारा पहले ही लगभग 500 प्रत्यक्ष और 1,000 अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन किया जा चुका है, जो रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में राज्य की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाता है।

यूपीडीआईसी में अब तक 34,000 करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के साथ कुल 180 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और 4,000 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही किया जा चुका है। विमान निर्माण, यूएवी, ड्रोन, गोला-बारूद, मिश्रित और महत्वपूर्ण सामग्री, छोटे हथियार, कपड़ा और पैराशूट आदि में प्रमुख निवेश किया गया है। लखनऊ में ही पीटीसी इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा टाइटेनियम और सुपर एलॉय मैटेरियल प्लांट शुरू किए जा रहे हैं। इसके अलावा, सात अतिरिक्त महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव रखी जा रही है, जो रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता के प्रयासों को मजबूती प्रदान करेंगी और सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में भी योगदान देंगी।’’

राजनाथ सिंह ने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, “2024 में वैश्विक सैन्य व्यय बढ़कर 2,718 अरब डॉलर हो गया है। इतना बड़ा बाजार एक अवसर है, जिसका भारत को लाभ उठाना चाहिए। नया भारत सीमा के दोनों तरफ आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। ऑपरेशन सिंदूर में हमारे सशस्त्र बलों ने वीरता और संयम का परिचय दिया और पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर हमला करके मुंहतोड़ जवाब दिया। हमने न केवल सीमा से सटे सैन्य ठिकानों पर कार्रवाई की, बल्कि हमारे सशस्त्र बलों का आक्रोश रावलपिंडी तक पहुंच गया, जहां पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय स्थित है।”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “आतंकवाद कुत्ते की दुम है जो कभी सीधी नहीं होने वाली। जो प्यार की भाषा मानने वाले नहीं, उनको उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा। इस दिशा में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से दुनिया को एक संदेश दिया है। कोई भी आतंकी घटना अब युद्ध जैसी होगी और आतंकवाद को जब तक हम पूरी तरह कुचलेंगे नहीं, तब तक समस्या का समाधान होगा भी नहीं। किसी भी स्वावलंबी देश के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी रक्षा आपूर्ति के लिए दुनिया के अन्य देशों पर निर्भर होने की बजाय स्वयं उस लक्ष्य को प्राप्त करे। इस्राएल इसका सबसे बेहतर उदाहरण है, जिसने सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त किया है। उसने अपने अगल-बगल के दुश्मन देशों को नाकों चने चबाने पर विवश किया है।’’

ब्रह्मोस को इस तरह से बनाया गया है कि यह तीनों सेनाओं-नौ सेना, थल सेना और वायु सेना- के लिए उपयोगी है। इसे पनडुब्बी, पानी के जहाज, विमान या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड़ में नहीं आती। ब्रह्मोस अमेरिका की टॉम हॉक से लगभग दोगुना अधिक तेजी से वार कर सकती है। इसकी प्रहार क्षमता भी टॉम हॉक से बहुत ज्यादा है। रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया तथा भारत के रक्षा अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से इसे विकसित किया है। ब्रह्मोस मिसाइल रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

युद्ध के दौरान जब टैंक या अन्य मिसाइल से हमला किया जाता है, तब उसका लक्ष्य पहले से निर्धारित कर दिया जाता है। ऐसे में किसी गतिशील वस्तु पर निशाना लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है। ब्रह्मोस के आ जाने के बाद अब यह समस्या दूर हो गई है। अगर कोई ड्रोन या अन्य कोई लक्ष्य हवा में लगातार गतिशील बना हुआ है तो ब्रह्मोस उससे निबटने में पूरी तरह सक्षम है। ब्रह्मोस लक्ष्य का पीछा कर उसे नष्ट कर देती है। लखनऊ में 200 एकड़ में फैले ब्रह्मोस एकीकरण एवं परीक्षण सुविधा केंद्र में बूस्टर सब-असेंबली, एवियोनिक्स, प्रोपेलेंट, रैमजेट इंजन का एकीकरण किया जाएगा। 300 करोड़ रुपये की लागत से बने परिसर में डिजाइन और प्रशासनिक ब्लॉक की भी योजना बनाई जा रही है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने इस सुविधा के संचालन के लिए अब तक 36 प्रशिक्षुओं का चयन किया है। इनमें से पांच चयनित प्रशिक्षुओं को गत 11 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मानित भी किया।

2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट में दो रक्षा गलियारों की घोषणा की थी। इसमें से एक उत्तर प्रदेश के हिस्से में आया था। इसके लिए 6 नोड तय किए गए थे। इनमें लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़, झांसी और चित्रकूट को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कॉरिडोर के लिए चुना गया। कानपुर में सेनाओं के लिए गोला बारूद उत्पादन केंद्र की शुरुआत पहले ही हो चुकी है। 6 रक्षा उत्पादन गलियारों में 50,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य है। इसके तहत युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। देश और दुनिया के अलग-अलग भागों से 57 एमओयू किए गए हैं, जिनके माध्यम से करीब 30,000 करोड़ रुपये का निवेश केवल रक्षा क्षेत्र में किया जा रहा है। इसमें लगभग 60,000 युवाओं को नौकरी देने का लक्ष्य है। यही नहीं, ब्रह्मोस, पीटीसी, डीआरडीओ, एलएंडटी और सभी इकाइयां स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करके रोजगार उपलब्ध करा रही हैं।

प्रदेश में इकाई लगाने के लिए 10 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। बुंदेलखंड में रक्षा गलियारे के लिए 15 प्रतिशत तक सब्सिडी दी गई है। वहीं, एमएसएमई (लघु उद्योग) के लिए बुंदेलखंड में 7.5 प्रतिशत और अन्य क्षेत्र में 5 प्रतिशत तक सब्सिडी दी गई है। सब्सिडी के मामले में पूरे देश में यह अभी तक की सबसे बेहतरीन नीति है। इसी तरह, कॉमन फैसिलिटी सेंटर के अलावा स्टाम्प में शत प्रतिशत, ट्रांसपोर्ट में 50 प्रतिशत छूट दी गई है। यहां तक कि रक्षा गलियारे के लिए भूमि भी कम कीमत पर उपलब्ध कराई गई है। पहले फैक्ट्री लगाने के बाद ट्रांसफॉर्मर आदि का खर्च निवेशक को ही उठाना पड़ता था, लेकिन अब रक्षा गलियारे में फैक्ट्री लगाने के लिए केवल बिजली कनेक्शन लेना पड़ता है। शेष खर्च सरकार वहन करती है।

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