रूस के राष्ट्रपति पुतिन एमनेस्टी इंटरनेशनल के क्रियाकलापों पर कड़ी नजर रखे हुए थे
यूक्रेन के साथ युद्ध और संघर्षविराम के तनाव से गुजर रहे रूस ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल को ‘अवांछनीय संगठन’ ठहराते हुए प्रतिबंधित कर दिया है। मॉस्को ने यह फैसला 2015 के कानून के तहत लिया गया है, जिसके अनुसार ऐसे संगठनों के साथ किसी भी तरह की साझेदारी रखने को अपराध माना जाता है। इस प्रतिबंध के तहत एमनेस्टी इंटरनेशनल को रूस में अपने सभी कार्य, परियोजनाएं बंद करनी होंगी। इतना ही नहीं, जो भी इस संगठन का समर्थन या सहयोग करता पाया जाएगा उसके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की भी मुनादी की गई है।
रूस के महाअभियोजक कार्यालय ने इस बयान जारी किया है। इसमें एमनेस्टी इंटरनेशनल पर रूस विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। बयान के अनुसार, यह संगठन रूस को राजनीतिक और आर्थिक तौर पर दुुनिया से अलग करने का वातावरण पैदा करने के उद्देश्य से काम कर रहा था। यहां ध्यान रहे कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रूस—यूक्रेन युद्ध पर कई रिपोर्ट जारी की थीं, जिनमें रूस पर ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ करने का आरोप लगाया गया था।
दूसरी तरफ एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रूस के इस कदम पर अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। उल्लेखनीय है कि यह संगठन 1961 में स्थापित किया गया था। इसका काम है दुनिया भर में ‘मानवाधिकारों के उल्लंघन’ की रिपोर्टिंग और दस्तावेजीकरण करना। यह उन लोगों की रिहाई के लिए अभियान भी चलाता है, जिन्हें वह ‘अन्यायपूर्ण तरीके से कैद’ में होना मानता है। यहां यह भी जानना चरूरी है कि कई विशेषज्ञों ने इस संगठन को पश्चिमी वोक तत्वों से प्रेरित और संचालित भी बताया है। इस संगठन की अनेक रिपोर्ट विवादित रही हैं और इस पर एकपक्षीय होने का भी आरोप लगता रहा है।
रूस में ‘अवांछनीय संगठन’ की सूची में पहले 223 संस्थाएं पहले से दर्ज हैं। इस सूची में अनेक प्रमुख समाचार पत्र और अधिकार समूह भी शामिल हैं। इस सूची में दर्ज संगठनों के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग रूस के कानून के तहत ‘अपराध’ माना जाता है और ऐसा करने वालों के लिए सख्त सजा का प्रावधान भी किया गया है।
स्वाभाविक तौर पर रूस के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा की जाएगी, जिनमें पश्चिमी देश सबसे आगे होंगे, क्योंकि, जैसा पहले बताया, इस संगठन द्वारा परोक्ष रूप से पश्चिमी हित को आगे रखते हुए चीजों पर एकपक्षीय राय बनाने वाला बताया जाता है। लेकिन व्याप के हिसाब से आज एमनेस्टी इंटरनेशनल विश्व का एक प्रमुख मानवाधिकार संगठन बन गया है। विभिन्न देशों में मानवाधिकार से जुड़े मामलों पर इसके अपने विशेषज्ञ सर्वे करके रिपोर्ट तैयार करते हैं। यह संगठन कौन से मामले देखेगा, इसका निर्धारण भी यह स्वयं करता है।
रूस द्वारा लगाया गया यह प्रतिबंध दिखाता है कि वह देश अपने हित के विरुद्ध किसी भी प्रकार की टीका—टिप्पणी या पर्यवेक्षण के प्रति कितना सख्त है। अन्य अनेक देशों के विपरीत ‘मानवाधिकार’ के नाम पर देश के हितों की बली देने अथवा किसी दबाव में आने को मॉस्को कभी तैयार नहीं रहा है।
रूस द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशनल पर प्रतिबंध लगाने का यह फैसला राजनीतिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस प्रतिबंध के विरुद्ध पश्चिमी लॉबी कोई अभियान चला सकती है और रूस पर दबाव बना सकती है, उस पर मानवाधिकार उल्लंघन के कुछ नए आरोप भी मढ़ सकती है।
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