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भारत से पिटे जिन्ना के देश के विदेश मंत्री इशाक डार आज चीन जाकर टपकाएंगे घड़ियाली आंसू, मुत्तकी से भी होगी बात

इशाक डार की आज से हो रही चीन यात्रा को रणनीतिक सहयोग और भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने में बीजिंग की मदद की गुहार की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है

Published by
Alok Goswami

आपरेशन सिंदूर में आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहे भारत से बुरी तरह चोट खाए जिन्ना के देश के नेता मुस्लिम ब्रदरहुड का वास्ता देकर दुनिया भर के इस्लामी देशों के सामने गिड़गिड़ा चुके हैं, लेकिन किसी ने उसके आंसू नहीं पोंछे हैं। सिर्फ तुर्किए और अजरबैजान ही उसके पाले में खड़े दिख रहे हैं। उधर कम्युनिस्ट विस्तारवादी चीन अपने स्वार्थ और शैतानी मंशा की वजह से परोक्ष रूप से जिन्ना के देश के आंसू पोंछ रहा है। इसीलिए आज पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार बीजिंग जा रहे हैं। एजेंडे में द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार और क्षेत्र की सुरक्षा स्थितियों का जायजा लेना बताया जा रहा है। लेकिन डार के बीजिंग जाने की असलियत दुनिया जानती है।

डार वहां के विदेश मंत्री वांग यी से मिलने वाले हैं और बेशक, भारत को लेकर उनके कान भरकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले हैं। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार, बीजिंग में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर मुत्तकी से भी उनकी बात होगी। मुत्तकी से पिछले सप्ताह भारत के विदेश मंत्री जयशंकर फोन पर लंबी बात कर चुके हैं। तालिबान हुकूमत आजकल पाकिस्तान के नेतृत्व से बौखलाए हुए हैं। लेकिन बीजिंग में डार के दौरे से क्या निकलने वाला है इस पर विश्व के रक्षा विशेषज्ञ खास नजर बनाए हुए हैं।

चीनी नेतृत्व से डार के इस दौरे के लिए जैसे तैसे हामी भरवाने के बाद, जिन्ना के देश के विदेश मंत्री यह जताने की पूरी कोशिश करेंगे कि ‘चीन के विदेश मंत्री वांग यी जानते हैं कि उनके लिए पाकिस्तान एक अहम देश है। और कि, चीन जिन्ना के देश के लिए संकट की इस घड़ी में उसके साथ खड़ा है।’ सूत्रों के अनुसार, तालिबानी विदेश मंत्री पर बीजिंग ने वहां आकर डार से मिलने का दबाव डाला होगा। डार के साथ उनकी बैठक से संभवत: यह संकेत जाए कि अफगान हुकूमत भी पाकिस्तान से हमदर्दी रखती है। लेकिन क्या ऐसा होगा?

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अनेक अवसरों पर अपने देश के प्रति पाकिस्तान की शैतानी का खुलासा कर चुके हैं। लेकिन क्योंकि आज अफगानिस्तान की हुकूमत को आधि​कारिक तौर पर सिर्फ बीजिंग ने मान्य किया हुआ है, इसलिए वांग का वहां आने का अनुरोध वह शायद टाल नहीं पाए होंगे। लेकिन क्या वे भारत के विरुद्ध इशाक डार का फर्जी रोना—धोना सुनेंगे और उसे मरहम लगाएंगे, यह जानना दिलचस्प होगा। पाकिस्तान, चीन और अफगानिसतान की इस प्रस्तावित त्रिपक्षीय बैठक का मुख्य एजेंडा क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार और हाल के भूराजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा है। लेकिन बैठक का अधिकांश समय भारत के पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी कैंपों पर निर्णायक प्रहार और उसके बाद जिन्ना के देश की असफल सैन्य हरकतों की चर्चा में ही जाने की उम्मीद लगाई जा रही है।

मुत्तकी से पिछले सप्ताह भारत के विदेश मंत्री जयशंकर फोन पर लंबी बात कर चुके हैं

बेशक, चर्चा में जिन्ना के देश के विदेश मंत्री इशाक डार ‘भारत की सैन्य क्षमताओं और उसके सामने पाकिस्तान के कड़ी टक्कर लेने’ को लेकर चिरपरिचित फर्जी बयानबाजी करेंगे। भारत पर तुर्की के खैरात में दिए घटिया क्वालिटी के ड्रोन और मिसाइलें दागकर जिस प्रकार पाकिस्तान ने भारत के आम नागरिकों पर प्रहार करने की कोशिश की, उसे सैन्य परंपराओं की जानकारी रखने वाला कोई देश उचित ठहरा ही नहीं सकता। चार दिन में भारत ने पाकिस्तान को ऐसी मार मारी की उसे अपने कद का भान हो गया और वह संघर्ष विराम के लिए भारत के सामने गिड़गिड़ाने लगा। भारत युद्ध चाहता ही नहीं था, आपरेशन सिंदूर का उद्देश्य तब और आगे भी अपने पर हर आतंकवादी हमले का कड़ा जवाब देना ही है। लेकिन आतंकवाद का प्रसारक जिन्ना का देश सैन्य संघर्ष पर उतर आया और मुंह की खाने को मजबूर हुआ। अंतत: संघर्ष विराम हुआ।

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले करके 100 से अधिक आतंकियों को ठिकाने लगाया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों ही नहीं, आम नागरिकों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसका भारत की ओर से अचूक प्रतिकार किया गया।

इस पृष्ठभूमि में, इशाक डार की आज से हो रही चीन यात्रा को रणनीतिक सहयोग और भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने में बीजिंग की मदद की गुहार की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। ध्यान रहे, पाकिस्तान चीन से राजनयिक और सैन्य समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत पर दबाव बना सके।

मोटे तौर पर बैठक के मुख्य मुद्दे घोषित रूप से इस प्रकार रहने वाले हैं—
1. भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए साझा रणनीतियों पर विचार।
2. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी CPEC और उससे जुड़े निवेश पर चर्चा।
3. अफगानिस्तान की अस्थिरता से उत्पन्न खतरों पर त्रिपक्षीय चर्चा।
4. पाकिस्तान द्वारा चीन से सैन्य सहायता और कूटनीतिक समर्थन की मांग।

इसमें संदेह नहीं है कि भारत को इस बैठक पर बारीक नजर रखनी होगी। चीन और पाकिस्तान के बीच हर वार्ता का परिणाम भारत विरोधी चाल ही रहा है। साथ ही, अफगानिस्तान से पाकिस्तान के वर्तमान रिश्तों को देखते हुए भारत के नीतिकारों को मुत्तकी के बैठक के बाद के बयान पर गौर करना होगा। देखना होगा कि चीन पाकिस्तान को किसी सैन्य समर्थन की गारंटी न दे, क्यों कि इससे तनाव और बढ़ेगा। इशाक डार की यह चीन यात्रा केवल और केवल भारत को घेरने की कोई रणनीति बनाने वाली हो सकती है।

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