दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका आए श्वेत शरणार्थियों का स्वागत क्यों नहीं कर रहे डेमोक्रेट्स?
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका आए श्वेत शरणार्थियों का स्वागत क्यों नहीं कर रहे डेमोक्रेट्स?

अमेरिका में डेमोक्रेट्स और लेफ्ट समुदाय ट्रम्प के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। उनके अनुसार श्वेत समुदाय कैसे पीड़ित हो सकता है?

by सोनाली मिश्रा
May 17, 2025, 07:09 pm IST
in विश्व
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका आए श्वेत शरणार्थियों को लेकर इस समय तमाम बातें हो रही हैं। कई लोग इसे ट्रम्प की राजनीति बता रहे हैं तो कई लोग ऐसा कह रहे हैं कि यह ट्रम्प की श्वेत श्रेष्ठता की अवधारणा को स्थापित करती है। अल जजीरा जैसे कई पोर्टल्स हैं, जो यह कह रहे हैं कि ट्रम्प जो कि आप्रवासियों के खिलाफ हैं और जो अब अमेरिका में कोई भी नया शरणार्थी नहीं चाहते हैं, वह अब दक्षिण अफ्रीका के श्वेत शरणार्थियों को लाकर यही स्थापित करना चाहते हैं कि श्वेत लोगों पर दक्षिण अफ्रीका में अत्याचार हो रहे हैं, और यह बहुत विवादास्पद दावा है।

अमेरिका में डेमोक्रेट्स और लेफ्ट समुदाय ट्रम्प के इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। उनके अनुसार श्वेत समुदाय कैसे पीड़ित हो सकता है? अमेरिका में डेमक्रेटिक सीनेटर क्रिस वैन हॉलेन ने एक्स पर पोस्ट किया कि ट्रम्प और मस्क 60 श्वेत दक्षिण अफ़्रीकी लोगों को शरणार्थी का दर्जा देने वाले हैं – जिन्हें इसकी ज़रूरत नहीं है, जबकि ट्रम्प उन शरणार्थियों को जेल में बंद करके निर्वासित कर रहे हैं जो अन्य देशों में वास्तविक ख़तरों का सामना कर रहे हैं। यह इस अराजक प्रशासन द्वारा अपनाई जा रही बीमार वैश्विक रंगभेद नीति है।

Trump and Musk are about to give refugee status to 60 white South Africans — who do not need it — while Trump locks up and deports refugees here who face genuine dangers in other countries.⁰
This is the sick global apartheid policy being adopted by this lawless administration.… pic.twitter.com/hDN3qbk9Fe

— Senator Chris Van Hollen (@ChrisVanHollen) May 9, 2025

मगर ऐसा नहीं है कि केवल वैन हॉलेन की ओर से ही यह प्रतिवाद आया हो। कुछ रिलीजियस संस्थानों जैसे एपिस्कोपल चर्च को भी इन श्वेत शरणार्थियों का आना रास नहीं आया है। इस निर्णय के विरोध में एपिस्कोपल चर्च ने घोषणा की कि वह आने वाले अफ़्रीकनर्स के कारण अमेरिका की सरकार के साथ अपनी लगभग चार दशक पुरानी साझेदारी को वित्तीय वर्ष के अंत तक समाप्त कर देगा।

चर्च ने इस संबंध में एक पत्र जारी किया और कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि ट्रम्प एक ओर तो शरणार्थियों के लिए इनकार कर रहे हैं और दूसरी ओर श्वेत शरणार्थियों के लिए दरवाजे खोल रहे हैं। एक विशेष वर्ग के लिए ऐसी छूट गलत मानदंड स्थापित करेगी।

डेमोक्रेट्स इसे राजनीतिक कदम बता रहे हैं। उनका कहना है कि जहां वास्तविक शरणार्थियों के लिए ट्रम्प ने दरवाजे बंद कर दिए हैं तो वहीं एक विशेष नस्ल के लिए दरवाजे खोले जा रहे हैं, और यह मानवीयता नहीं बल्कि राजनीतिक कदम है।

अमेरिका की सीनेटर जेन शाहीन ने भी इसका विरोध करते हुए बयान जारी किया कि पिछले साल, संयुक्त राष्ट्र ने पाया कि कोई भी दक्षिण अफ़्रीकी शरणार्थी का दर्जा पाने के योग्य नहीं था। इस प्रशासन द्वारा एक समूह को लाइन में सबसे आगे रखने का निर्णय स्पष्ट रूप से राजनीति से प्रेरित है और इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास है।

USA Senator Jeanne Shaheen: "Last year, the UN found that no South Africans were eligible for refugee status. The decision by this administration to put one group at the front of the line is clearly politically motivated & an effort to rewrite history." 👇🏽 pic.twitter.com/HYB3P4oWi5

— Clayson Monyela (@ClaysonMonyela) May 13, 2025

अल जजीरा ने भी लिखा है कि इस निर्णय को लेकर कई प्रश्न उठ रहे हैं। अल जजीरा ने दक्षिण अफ्रीका सरकार के हवाले से लिखा कि ट्रम्प का दावा कि Afrikaners के साथ अन्याय हो रहा है, पूरी तरह से झूठ है। यह ध्यान दिया जाए कि वे  सबसे अमीर और आर्थिक रूप से सबसे विशेषाधिकार वाले समुदाय रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति का कहना है कि श्वेत समुदाय के जो लोग वहां से जा रहे हैं, दरअसल वे कायर लोग हैं और वे परिवर्तन विरोधी लोग हैं। वे चाहते हैं कि देश पहले की स्थिति में वापस चला जाए। मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।

जहां दक्षिण अफ्रीका की सरकार यह लगातार इनकार कर रही है कि वह श्वेत समुदाय के साथ अन्याय नहीं कर रही है, तो वहीं सोशल मीडिया और मीडिया में कई ऐसे समाचार आ रहे हैं, जो उस भयावह स्थिति को बता रहे हैं, जिसका सामना श्वेत लोग वहां पर कर रहे हैं। वर्ष 2020 के एक समाचार को साझा करते हुए एक व्यक्ति ने पोस्ट किया था कि कोई टिप्पणी नहीं। समाचार यह था कि 71 वर्षीय महिला तब सदमे से मर गई थीं, जब उन्होंने अपनी ही आंखों के सामने अपनी तीन पोतियों का बलात्कार देखा था। हालांकि उस समय इस घटना को महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों से जोड़कर देखा गया था।

कई कहानियां और घटनाएं मीडिया और सोशल मीडिया पर हैं और यह नियम भी है कि सरकार श्वेत किसानों की संपत्ति बिना किसी प्रक्रिया के ले सकती है और ऐसा दावा किया जा रहा है कि महज 7 या 8 प्रतिशत श्वेत किसानों के पास देश की 70% भूमि है। मगर कुछ लोगों का कहना है कि यह दावा गलत है। श्वेत किसानों के पास मात्र 22% भूमि है।

GENOCIDE: Many Democrats are citing false claims that white South Africans own 70% of the land. The fact is they only own 22% of the land. Non-whites own 78% of the land and yet only 12% of the black owned land in South Africa is farmed. Whites, despite only owning 22% of the… pic.twitter.com/RHslaWt3Ef

— @amuse (@amuse) May 15, 2025

प्रश्न यही उठ रहा है कि डेमोक्रेट्स से लेकर अलजजीरा तक लोग केवल इन 59 लोगों के विरोध में क्यों हैं जबकि पूरे यूरोप और अमेरिका में शरणार्थी तो कई देशों से आ रहे हैं? लेफ्ट लिबरल लोग प्रश्न कर रहे हैं कि यह ट्रम्प की राजनीति है या फिर वास्तव में शरणार्थियों के प्रति चिंता?

 

Topics: अमेरिकादक्षिण अफ्रीकाडोनाल्ड ट्रंपट्रंपश्वेत शरणार्थीडेमोक्रेट्सलेफ्ट समुदाय
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

एलन मस्क ने ‘अमेरिकन पार्टी’ की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका अब एक “यूनिपार्टी” बन चुका है जहां डेमोक्रेट और रिपब्लिकन, दोनों ही आम जनता की आवाज़ को अनसुना कर रहे हैं।

इधर ‘बिग ब्यूटीफुल’ पास, उधर ‘अमेरिकन पार्टी’ के साथ मस्क कूदे मैदान में, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, ‘ये मूर्खता है’!

Texas Flood death toll rises

टेक्सास में भीषण बाढ़: 80 की मौत, 28 बच्चे शामिल, 41 लोग लापता

Elon Musk launches America Party

मस्क का सियासी दांव: लॉन्च किया अपना दल ‘अमेरिका पार्टी’, क्या बदल पाएंगे राजनीति?

कहूटा रिसर्च लैबोरेटरी में यूरेनियम संवर्धन की गतिविधियां तेज हो गई हैं

कहूटा में परमाणु ईंधन क्यों जमा कर रहा जिन्ना का देश? क्या आतंकवादी सोच का भारत का पड़ोसी बना रहा परमाणु अस्त्र?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies