घटनास्थल पर मौजूद ब्रिटेन की एसेक्स पुलिस (फोटो साभार: बीबीसी)
ब्रिटेन में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एसेक्स में एक 25 वर्षीय मुस्लिम युवक को एक ऐनमल शेल्टर हाउस में 37 कुत्ते मारने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एक रेस्क्यू सेंटर मानी जाने वाली इमारत में 37 कुत्ते मृत पाए गए थे।
बीबीसी के अनुसार इमारत पर पुलिस ने छापा मारा था, और 20 कुत्ते जिंदा पकड़े थे। इस इमारत के प्रति लोगों ने शिकायत की थी और उसके बाद पुलिस ने कार्यवाही की थी। इस दृश्य को देखकर पुलिस अधिकारी और आम लोग भी हैरान रह गए। पुलिस ने उस समय दो लोगों को गिरफ्तार किया था और इसे जटिल मामला बताया था। पुलिस ने मंगलवार को कहा था कि वे जांच कर रहे हैं और कुत्तों के मालिकों का पता लगा रहे हैं।
इस मामले में बाद में 25 आर्शीय ओविद रहमान को गिरफ्तार किया था। उसे एक संरक्षित पशु को अनावश्यक पीड़ा देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उस पर पशु कल्याण अधिनियम 2006 के विपरीत अपराध करने तथा झूठे प्रतिनिधित्व द्वारा धोखाधड़ी के तीन मामलों में भी आरोप लगाया गया है। रहमान को गुरुवार को साउथएंड मजिस्ट्रेट के सम्मुख पेश किया गया और उसे कस्टडी में भेज दिया गया। 9 जून को एक याचिका की सुनवाई होगी।
इसे लेकर एक बार फिर से सोशल मीडिया पर बहसें तेज हो गई हैं कि यह सब मजहबी कारण से किया गया है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि इस्लाम में कुत्ते को हराम माना जाता है। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तमाम बातें हो रही हैं। लोग कह रहे हैं कि कुत्ते को इस्लाम में हराम और गंदा माना जाता है।
एक यूजर ने लिखा कि रहमान दरअसल लोगों से 200-300 यूरो लेता था कि वह उनके कुत्तों को दूसरा घर दिलवा देगा और फिर उन्हें मार डालता था। एक यूजर ने लिखा कि अब इन्हें पूरी तरह से वापस भेजना चाहिए।
कुत्तों के मालिकों का कहना है कि वह कुत्तों को देखभाल के नाम पर ले जाता था। ऐसे ही एक कुत्ते के मालिक शैनन जेड ने कहा कि वे न्याय की लड़ाई लड़ेंगे। उनका कुत्ता भी मारे गए कुत्तों में है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ कुत्तों को बहुत बुरी स्थिति में देखा, मगर उनमें भी उनका कुत्ता नहीं था।
एक यूजर ने लिखा कि एक पाकिस्तानी आदमी ने एक डॉग रेस्क्यू सेंटर खोला। और वह लोगों से 250 यूरो तक लेता था और कहता था कि उनके कुत्तों को दूसरा घर ही मिलेगा और वह उन्हें लड़ाई के लिए पाइकीज़ को बेच देता था। उसके घर पर 37 कुत्ते मरे पाए गए।
लोग कह रहे हैं कि कुत्तों से प्यार ब्रिटिश मूल्य हैं, और जो इनका आदर नहीं करते उन्हें यहाँ से जाना चाहिए। इस्लाम में कुत्ते को गंदा माना गया है। यही कारण है कि ब्रिटिश मुस्लिम रह-रह कर यह आवाज उठाते रहते हैं कि कुत्तों का आवागमन उनके क्षेत्र में कम होना चाहिए। ऐसे पोस्टर्स भी कई बार सोशल मीडिया पर सामने आए जिनमें यह लिखा गया कि कुत्ते यहाँ अनुमत नहीं हैं।
ऐसे में ब्रिटेन के लोगों का कहना है कि क्या किसी के मजहबी यकीन के कारण पशुओं के साथ व्यवहार किया जाएगा? कुत्ते इंसान के सबसे अच्छे दोस्त माने जाते हैं, और कुत्तों को काफी लंबे समय से पाला जा रहा है और ब्रिटिश कल्चर है कि वे कुत्तों से प्यार करते हैं। क्या दूसरे मजहब के किसी यकीन के कारण वे अपने ब्रिटिश मूल्य छोड़ देंगे?
एक यूजर ने दावा किया था कि ब्रिटेन में मुस्लिम सोशल मीडिया पर कुत्तों पर प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं। कुत्ता फ्री ज़ोन बनाने की भी बात की जा चुकी है।
लोगों का कहना है कि यदि यह लोगों की सुरक्षा के लिए मांग हो तो भी उसके लिए कई उपाय किये जा सकते हैं, मगर जब आप इसलिए किसी पशु के खिलाफ अभियान चलाते हैं और यह अपील करते हैं कि कोई भी उस पशु को न पाले और उस पर प्रतिबंध लगा दिया जाए कि आपके मजहब में उसे गंदा बताया गया है तो यह असहिष्णुता है। ऐसे तो हर धर्म के कुछ न कुछ धार्मिक विश्वास होते हैं।
एक यूजर ने वर्ष 2024 में किस्सा साझा किया था कि कैसे एक Border Terrier ब्रीड के कुत्ते को बिबि स्टॉकहोम से 2 आप्रवासियों ने चाहू मार दिया था। ऐसे और भी उदाहरण सोशल मीडिया पर है, लोग यही कह रहे हैं कि क्या अब हमें बाहर से आए लोगों के मजहबी यकीन के आधार पर जीवन जीना पड़ेगा?
Leave a Comment