बहु विवाह का दुरुपयोग कर रहे हैं मुसलमान: इलाहाबाद हाई कोर्ट
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होम भारत उत्तर प्रदेश

बहु विवाह का दुरुपयोग कर रहे हैं मुसलमान: इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि मुस्लिम पुरुष को बहु-विवाह तभी करना चाहिए जब वह सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार कर सके। मुरादाबाद मामले में कोर्ट ने फुरकान की याचिका पर सुनवाई की, चार्जशीट को चुनौती दी गई।

by सुनील राय
May 15, 2025, 02:17 pm IST
in उत्तर प्रदेश
इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम युवक को एक से अधिक शादी तभी करनी चाहिए जब वह सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार करने की क्षमता रखता हो। इस्लामिक काल में विधवाओं और अनाथ की सुरक्षा के लिए कुरान में बहु विवाह की सशर्त इजाजत दी गई थी मगर आज के समय में पुरुष इसका दुरुपयोग कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद के मैनाठेर थाने में पीड़िता ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि फुरकान जो कि पहले से शादीशुदा था, उसने इस बात को छिपाकर उससे शादी कर ली। पीड़िता ने फुरकान पर बलात्कार का आरोप लगाया था। पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद वर्ष नवंबर 2020 में न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

इसके बाद मुरादाबाद के जनपद न्यायालय से फुरकान एवं अन्य के खिलाफ सम्मन जारी किया गया।  इस सम्मन को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता फुरकान एवं दो अन्य लोगों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। याचिका में मांग की गई कि पुलिस की तरफ से दाखिल की गई चार्जशीट को क्वैश कर दिया जाय।

फुरकान के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि याची मुसलमान है और उसके खिलाफ आईपीसी 494 के अंतर्गत कोई अपराध नहीं बनता क्योंकि इस्लाम में इस बात का प्रावधान है कि मुस्लिम युवक चार शादी कर सकता है। राज्य सरकार के अधिवक्ता की तरफ से इसका विरोध किया गया।

उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने 18 पन्ने के फैसले में कहा कि यह स्पष्ट है कि याची फुरकान ने उससे दूसरी शादी की है। दोनों ही मुस्लिम महिलाएं हैं, इसलिए दूसरी शादी वैध है। याचियों के खिलाफ वर्तमान मामले में आईपीसी की धारा 376 के साथ 495 व 120 बी का अपराध नहीं बनता है। कोर्ट ने इस मामले में विपक्षी संख्या 2 को नोटिस जारी किया है। 26 मई 2025 से शुरू होने वाले हफ्ते में मामले की अगली सुनवाई होगी। इस मामले पर जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अगले आदेश तक याचियों के खिलाफ किसी भी तरह के उत्पीड़नात्मक कार्यवाही पर रोक लगा दी है।

Topics: बहु-विवाहइस्लाम में बहु-विवाहPolygamy in IslamकुरानAllahabad High Courtइलाहाबाद उच्च न्यायालयPolygamyMuslim Marriageमुस्लिम विवाह
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