आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान से कई तस्वीरें निकालकर सामने आईं। जिसने पाकिस्तानी सरकार सेना और आतंकियों के गठजोड़ को सम्पूर्ण विश्व के सामने बेनकाब कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर में ढेर हुए आतंकियों को वहां सेना ने पूरे पाकिस्तानी राजकीय सम्मान के साथ दफनाया। इसके अलावा आतंकियों की लाशों पर पाकिस्तानी सरकार के अफसर और राजनेताओं को भी फातिहा पढ़ते हुए पूरे विश्व ने देखा। जिससे स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तानी सेना और आतंकी अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
भारत बार-बार इस बात को साबित करता रहा है कि पाकिस्तानी सेना ही असल में आतंक की जननी है। कई बार पाकिस्तानी सेना से जुड़े आतंकी भारत में पकडे भी जा चुके हैं। अब इसी लिस्ट में एक और नया नाम तानिया परवीन के रूप में जुड़ गया है।
पाकिस्तान की वायुसेना कमांडों है आतंकी तानिया परवीन
वर्ष 2020 में भारत के पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना से गिरफ्तार हुई तानिया परवीन को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पानी चार्ज शीट में बड़े खुलासे किए हैं। एनआईए की जांच में सामने आया है कि तानिया परवीन, अरबी भाषा की छात्रा के रूप में रह रही थी, असल में वह पाकिस्तानी वायुसेना कर्मी रह चुकी है। इसके अलावा वह सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कमांडों भी है।
ISI के इशारे पर आतंकी भर्ती करती थी तानिया परवीन
तानिया परवीन भारत में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर काम कर रही थी। पाकिस्तानी मिलिट्री ट्रेंड तानिया परवीन को भारत में घुसपैठ करने, कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने, और आतंकी संगठन LeT के लिए ऑनलाइन भर्ती करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बता दें यह कोई मामूली आतंकी भर्ती मॉड्यूल नहीं था, बल्कि पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाया जा रहा हाई-टेक हाइब्रिड वॉरफेयर का हिस्सा था।
हनीट्रैप से निकलती थी ख़ुफ़िया जानकारी
लगभग 70 से ज्यादा जिहादी सोशल मीडिया ग्रुप्स की सक्रिय सदस्य तानिया परवीन फर्जी प्रोफाइल बनाकर भारतीय सेना के जवानों से दोस्ती कर उनके जरिए संवेदनशील सूचनाएं चुराने की कोशिश करती थी।
तानिया परवीन की चैट और सोशल मीडिया गतिविधियों की जांच में NIA ने साफ किया है कि वह भारत के पूर्वी हिस्से में फैले एक बड़े जिहादी नेटवर्क की सक्रिय सदस्य थी। उसकी ऑनलाइन बातचीत और गतिविधियों से यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान, खासकर उसकी सेना और ISI, भारत के भीतर आंतरिक अस्थिरता फैलाने और रक्षा तंत्र को कमजोर करने की लगातार साजिश कर रहे हैं।
पाकिस्तानी साजिश के पक्के सबूत
NIA ने तानिया परवीन के खिलाफ UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत कई धाराओं में मामला दर्ज किया है। उसकी चार्जशीट में-
- पाकिस्तान स्थित आकाओं से बातचीत के स्क्रीनशॉट,
- भारतीय सैन्य कर्मियों को निशाना बनाने के चैट लॉग्स,
- और आतंकी समूहों से जुड़ने के प्रमाण शामिल हैं।
तानिया परवीन से मिले ये सबूत यह साबित करते हैं कि तानिया पाकिस्तानी सैन्य तंत्र द्वारा प्रशिक्षित और निर्देशित एक आतंकी एजेंट थी।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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