कर्णावती । अमरेली के धारी तालुका के हिमखिमडी गांव में स्थित एक मदरसे में चल रही संदिग्ध गतिविधियों के आधार पर स्थानीय प्रशासन ने मदरसे पर बुलडोजर चला दिया। इस मदरसे में पढ़ाने वाले मौलाना मोहम्मद फजल अब्दुल अजीज शेख के पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से संबंध उजागर होने के बाद पुलिस ने उसे एटीएस को सौंप दिया था। मौलाना फिलहाल एटीएस की हिरासत में है।
मदरसा गरीबों को आवंटित जमीन पर बनाया गया था
मौलाना की गिरफ्तारी के बाद राजस्व विभाग को मदरसा भवन की वैधता की जांच की जिम्मेदारी दी गई। राजस्व विभाग की जांच में पता चला कि जिस जमीन पर मदरसा बना हुआ था, वह 100 वर्ग मीटर के प्लोट पर बना हुआ था। यह प्लोट उस समय गरीब लाभार्थियों को आवंटित किया गया था। प्रारंभिक जांच से पता चला कि जिस लाभार्थी को यह प्लोट आवंटित किया गया था, उसने यह प्लोट मौलाना को दान कर दिया था या बेच दिया था। जिसके चलते इस प्लोट के उपयोग सम्बन्धी शर्तों का उल्लंघन होने के कारण प्लोट पर किये गये निर्माण को हटाकर ध्वस्त कर दिया गया तथा प्लोट को सरकार ने अधिग्रहित कर लिया।
कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच किया गया डिमोलिशन
धारी के हेमखिमड़ी गांव में डिमोलिशन के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। ईस डिमोलिशन दो डीवायएसपी, तीन पीआई और अन्य पुलिस कर्मियों की निगरानी में किया गया। डिमोलिशन से पहले राजस्व विभाग ने मदरसे की भूमि की वैधता की पुष्टि के लिए मकान के समर्थन में साक्ष्य भी मांगे थे, लेकिन वह उपलब्ध नहीं करा पाने पर मदरसा को ध्वस्त कर दिया गया।
क्या था पूरा मामला..?
गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए अमरेली एसओजी टीम ने 2 मई को धारी के हेमखीमड़ी इलाके में “मदरसा-ए-दिनेमहमदी” पर छापा मारा और मौलाना मोहम्मदफजल अब्दुलअजीज शेख से पूछताछ की। जिसमें मौलाना से पहचान पत्र मांगे जाने पर उन्होंने केवल अपना आधार कार्ड प्रस्तुत किया, जिससे पता चला कि मौलाना अहमदाबाद के जुहापुरा का निवासी है। मौलाना ने बताया कि वह पिछले तीन साल से धारी स्थित इस मदरसे में रह रहा हैं। इसलिए पुलिस ने अहमदाबाद के जुहापुरा में भी जांच की। अमरेली एसओजी टीम ने उस मदरसे की जांच की जहां मौलाना रह रहा था, लेकिन वहां कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला। हालांकि, जब मौलाना के मोबाइल फोन की जांच की गई तो उसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के सोशल मीडिया ग्रुप और एप्लीकेशन पाए गए। इसलिए मौलाना से एसओजी ने पूछताछ की। साइबर सेल की टीम ने मौलाना के मोबाइल फोन की जांच के बाद खुलासा किया कि इन सभी ग्रुपों का प्रबंधन पाकिस्तान से किया जा रहा था। मौलाना को इस समूह में सदस्य के रूप में जोड़ा गया। इस समूह के सभी सदस्य पाकिस्तान और बांग्लादेश से थे। जिसमें अरबी भाषा में बड़ी मात्रा में संदेशों का आदान-प्रदान हुआ। इसलिए पुलिस ने कुछ संदेशों का गुजराती में अनुवाद भी करवाया। मौलाना के फोन पर मिले ग्रुप और एप्लीकेशन के आधार पर गुजरात एटीएस मौलाना के रिमांड लेकर पूछताछ कर रहा है। मौलाना को पहलगाम में हमले के दौरान क्या कोई संदेश भेजा गया था, और यदि भेजा गया था, तो क्या उन्हें मिटा दिया गया था समेत के सवालों की दिशा में पूछताछ कर रहा है।
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