देहरादून । जाने माने ओजस्वी वक्ता मुकुल कानितकर ने विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित नारद जयंती कार्यक्रम में कहा कि “वर्तमान समय संचार व संवाद का समय है। राष्ट्रीयता के साथ संवादों को गहन विचार के बाद ही प्रसारित किया जाना चाहिए” मेडिकल कॉलेज सभागार में विश्व संवाद केन्द्र देहरादून की ओर से नारद जयन्ती, पत्रकारिता दिवस समारोह में बतौर मुख्य वक्ता मुकुल कानितकर
(अखिल भारतीय संयोजक- भारतीय प्रचार टोली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने यह बातें कही।
नारद जयंती के वार्षिक कार्यक्रम अवसर पर आज विश्व संवाद केंद्र ने पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली वाले पत्रकार भारत चौहान, रश्मि खत्री, जगदीश पोखरियाल, नागेंद्र उनियाल, राजीव खत्री व भुवन उपाध्याय को सम्मानित किया। कार्यक्रम में हिमालय हुंकार पत्रिका की नारद जयंती विशेषांक और गंगा गाथा नाटक पुस्तक का भी विमोचन किया गया।
उन्होंने कहा कि संवाद राष्ट्र को सुदृढ़ करने के लिए ही किया जाना चाहिए। महाभारत, रामायण काल के प्रसंग को जोड़कर उन्होंने वर्तमान पत्रकारिता का खाका खींचा। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई ऐसे समाचार प्रसारित किए गए जिनसे नुकसान हो सकता था। ऐसे संवादों को विस्तार देने से हमें बचाना चाहिए।
उन्होंने ऑपरेशन पूरा होने के बाद की हालातों पर संवाद स्थापित करने से पहले पूरी जानकारी की पुष्टि करने पर जोर दिया।
कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए यूपीइएस कुलपति प्रो. राम के.शर्मा ने वेद, उपनिषद, विज्ञान के आधार पर शोध कार्यों को आगे बढ़ाने की बात कही। उन्होंने कहा कि निरंतर अध्ययन नितांत आवश्यक है और अध्ययन जीवन को सार्थकता प्रदान करती है।
कार्यक्रम का संचालन गजेंद्र खंडूड़ी और बलदेव पाराशर ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेंद्र कुमार,विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष सुरेंद्र मित्तल, विश्व संवाद केंद्र के निदेशक विजय कुमार हिमालय हुंकार के संपादक रणजीत सिंह ज्ज्याला विभाग प्रचारक धनंजय मनीष बागड़ी सहित अन्य मौजूद रहे।
Leave a Comment