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‘आपरेशन सिंदूर’: दुस्साहस को किया चित

पाकिस्तान को यह समझना होगा कि भारत ने बदले की भावना से ‘आपरेशन सिंदूर’ नहीं किया है। इसने आतंकी संगठनों द्वारा आगे भी हमले करने के स्पष्ट संकेतों और सभी हितधारकों से परामर्श के बाद यह कदम उठाया है। इस ऑपरेशन में सेना के तीनों अंगों ने उच्च स्तरीय तालमेल दिखाया है

by कर्नल जयबंस सिंह
May 11, 2025, 07:31 pm IST
in भारत, विश्लेषण, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
पाकिस्तानी हमले में मलबा बनी इमारत

पाकिस्तानी हमले में मलबा बनी इमारत

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सात मई के शुरुआती घंटों में भारत ने पाकिस्तान स्थित ज्ञात आतंकवादी केंद्रों पर हवा से सतह पर मार करने वाली निर्देशित मिसाइलों से सटीक हमला किया। हमला रात 1:05 बजे शुरू हुआ और लगभग 25 मिनट तक चला। इस ऑपरेशन में उत्तर में मुजफ्फराबाद से लेकर दक्षिण में बहावलपुर तक नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। इनका फैलाव लगभग 750 किलोमीटर तक था। बहावलपुर अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किलोमीटर दूर है, जबकि निकटतम लक्ष्य चक अमरू पठानकोट के पास अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ही है।

हमले से पहले गहन विचार

जयबंस सिंह
रक्षा विशेषज्ञ

भारत के इस आपरेशन को पहलगाम में हुए क्रूर आतंकी हमले का प्रतिशोध बताया जा रहा है, जिसमें सांप्रदायिक नफरत का क्रूर प्रदर्शन करते हुए आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों को मार दिया था। हमले के स्रोत के बारे में आश्वस्त होने के बावजूद भारत ने प्रारंभिक प्रतिक्रिया में पाकिस्तान पर केवल राजनयिक और आर्थिक प्रतिबंध लगाए। वीजा रद्द करने का मकसद सक्रिय स्लीपर सेल से देश की सुरक्षा करना था। भारतीय प्रतिक्रिया नपी-तुली और परिपक्व थी।

जांच से पता चला कि पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों, मुख्य रूप से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का हाथ था। इन आतंकी संगठनों ने अपने मुखौटे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) के माध्यम से हमले को अंजाम दिया। यह तो स्पष्ट हो गया है कि इन आतंकी संगठनों को पाकिस्तानी सेना की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का सक्रिय समर्थन प्राप्त है। दुनिया भर की खुफिया एजेंसियों को भी अहसास हो चुका है कि पहलगाम हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों का हाथ है। परिणामस्वरूप, संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ लगभग सभी देशों ने उस जिहादी हमले की निंदा की और पाकिस्तान से अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने का आह्वान किया। लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इनकार की मुद्रा में रहना ही बेहतर समझा।

भारत में पाकिस्तान विरोधी भावना व्यापक थी। पूरा देश पीड़ितों और उनके परिवारों के समर्थन में एकजुट था और बदला लेने की मांग भी कर रहा था। सरकार पर बहुत दबाव था, फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार भावनाओं में नहीं बही। सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए एक दृष्टिकोण तैयार करने हेतु विपक्षी दलों के नेताओं के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया। सरकार के सभी विभागों, मुख्य रूप से गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को इसमें शामिल किया गया। सेवा प्रमुखों को सरकार और प्रधानमंत्री को व्यक्तिगत रूप से सलाह देने के लिए बुलाया गया। सुरक्षा और अन्य निकायों की कैबिनेट समिति की कई बैठकें हुईं। सीसीएस की बैठकों से लेकर प्रधानमंत्री के साथ प्रमुखों की आमने-सामने की बैठकों तक, निर्बाध नागरिक-सैन्य समन्वय दिखाई दिया। ये राष्ट्रीय रक्षा सिद्धांत के अनुप्रयोग में उच्च स्तर की परिपक्वता के संकेतक हैं।

इन सब से मिले परामर्श तथा हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की मिलीभगत के बारे में खुफिया जानकारी और अन्य विभिन्न स्रोतों से मिली पुष्टि के आधार पर भारत ने पाकिस्तान को अपनी स्थिति सुधारने का पर्याप्त अवसर दिया। साथ ही, उससे जघन्य अपराध के दोषियों को दंडित करने की मांग की। समान सोच वाले देश और संस्थाएं पाकिस्तान से उम्मीद कर रही थीं कि वह अपनी गलती स्वीकार करे और अपनी धरती पर सक्रिय आतंकवादी ढांचे के खिलाफ कार्रवाई करे। लेकिन 15 दिन तक पाकिस्तान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसकी बजाय उसने अपने लोगों के बीच भारत के खिलाफ जिहाद की भावना को बढ़ावा देना शुरू कर दिया।

आतंकवादी संगठनों द्वारा आगे भी दुस्साहस किए जाने के स्पष्ट संकेत तथा सभी हितधारकों के परामर्श के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि क्रूर और बर्बर आतंकवादियों को सबक सिखाने के लिए पूर्व-कार्रवाई आवश्यक है। इसलिए आतंकी ठिकानों पर हमले को बदले की कार्रवाई नहीं माना जाना चाहिए। इसका उद्देश्य उन लोगों के खिलाफ भारत राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करना था, जो तर्क समझने को तैयार नहीं हैं। यह निर्णय सराहनीय बुद्धिमत्ता और रणनीतिक अंतर्दृष्टि के साथ शांत और वस्तुनिष्ठ तरीके से लिया गया।

भारत की प्रबल कार्रवाई

निर्णय लेने की प्रक्रिया में बात का विशेष ध्यान रखा गया कि बात आगे न बढ़े। इसलिए केवल ज्ञात आतंकी शिविरों को ही निशाना बनाया गया। सटीक निर्देशित हथियारों का इस्तेमाल इस तरह से किया गया कि केवल लक्ष्य को निशाना बनाया जा सके, जिससे आसपास की किसी भी नागरिक सुविधा को क्षति न पहुंचे। नियंत्रण रेखा पर या पाकिस्तान के भीतर किसी भी सैन्य ठिकाने पर हमला नहीं किया गया। वास्तव में, भारत ने जिस नपे-तुले, सावधानीपूर्वक और परिपक्व तरीके से प्रतिक्रिया दी है, वह सराहनीय है। समय के साथ वैश्विक समुदाय इसकी प्रशंसा करेगा। इस ऑपरेशन में भारतीय सशस्त्र बल, थलसेना, वायुसेना और नौसेना ने उच्च स्तरीय एकजुटता को प्रदर्शित किया है। इनमें सहज तालमेल दिखाई दिया। इस ऑपरेशन के माध्यम से सशस्त्र बलों ने समन्वित ‘थिएटर कमांड’ की अवधारणा की पहली अग्नि परीक्षा पास कर ली है, जिसे पिछले कुछ वर्षों में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति के साथ शुरू किया गया था।

सरकार ने ऑपरेशन के बाद जिस तरह से प्रेस ब्रीफिंग की, वह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ दो महिला सैन्य अधिकारियों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी मौजूद थीं। यह आधुनिक, समावेशी और मुखर भारत का एक शक्तिशाली संदेश था। इस हमले का प्रतीकात्मक महत्व उतना ही है, जितना कि यह आपरेशन। कुल मिलाकर, इसने भारतीय राष्ट्र की आतंकी गतिविधियों के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति और सुरक्षा को सर्वोपरि रखने के संकल्प को मजबूती से व्यक्त किया है।

भारत के लिए सकारात्मक पहलू यह है कि सरकार के कार्यों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाने की प्रवृत्ति रखने वाले उसके राजनीतिक विपक्ष ने इस बार परिपक्वता का परिचय दिया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद का निर्णायक जवाब देने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की सराहना की है तथा संघर्ष की इस जारी स्थिति को लेकर सरकार द्वारा आगे की जाने वाली किसी भी कार्रवाई के लिए अपना समर्थन दोहराया है।

पाकिस्तान की बौखलाहट

भारत के इस आपरेशन के बाद नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान द्वारा तोपों से गोलाबारी शुरू करने से तनाव बढ़ता गया। भारत भी दमदार जवाब देता रहा, लेकिन केवल एलओसी स्थित सैन्य ठिकानों पर। दुखद बात यह है कि पाकिस्तान एलओसी के पास के भारतीय गांवों पर हमला कर रहा था, जिससे भारी संख्या में नागरिक हताहत हो रहे थे। यह पाकिस्तान द्वारा जिनेवा समझौते का एक और गंभीर उल्लंघन था, जिसे भारत सरकार को संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए। भारतीय सेना के आपरेशन के बाद 7 मई को पाकिस्तान के शेयर बाजार इक्विटी सूचकांक में करीब छह प्रतिशत की गिरावट आई।

यह 2021 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है और गंभीर चिंता का विषय है। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने इस चुनौती पर प्रकाश डाला है कि भारत के साथ तनाव जारी रहने पर पाकिस्तान का आर्थिक विकास प्रभावित होगा। कुल मिलाकर, सैन्य वृद्धि पाकिस्तान की वित्तीय कठिनाइयों से उबरने की पहले से ही कठिन यात्रा को और अधिक प्रभावित करेगी। लेकिन पूरा संयम रखते हुए अंतत: 8 मई को भारत ने पाकिस्तान की बेशर्म हिमाकत का कड़ा जवाब देना शुरू किया और देखते-देखते उसे घुटनों पर ला दिया। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक सीमा पर तनाव बना हुआ है। पाकिस्तान भारत की सीमावर्ती आबादी पर निशाना साधने से बाज नहीं आया है इसलिए भारतीय राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व पूरी तरह से सतर्क है और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की बात कह चुका है।

संभल जाए ‘आतंकिस्तान’!

भारत की जवाबी कार्रवाई से बौखलाया पाकिस्तान सीमावर्ती इलाकों में लगातार गोलीबारी कर रहा है। यदि वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो निश्चित तौर पर उसे कठोर प्रतिक्रिया मिलेगी

 

Topics: लश्कर-ए-तैयबाजैश-ए-मोहम्मदमुजफ्फराबादपाञ्चजन्य विशेषपहलगाम आतंकी हमलेआपरेशन सिंदूरपाकिस्तान की बौखलाहटभारत सकारात्मक पहलूबहावलपुर
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