भारत

कुछ भी बोलने से पहले ये जरूर सोचना चाहिए कि दुश्मन आपके बयान को एजेंडा न बना ले

भारत पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी सेना ने शंकराचार्य, खड़गे, टिकैत, नेहा राठौर और ध्रुव राठी जैसे भारतीयों के बयानों को हथियार बनाकर भारत को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की।

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आदित्य भारद्वाज

पहलगाम हमले के बाद जब भारत ने जवाबी कार्रवाई की तो पाकिस्तानी सेना ने अपने दावों के समर्थन में जिन चार लोगों के बयान पेश किए उनमें आदिगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वर नंद महाराज, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, किसान नेता राकेश टिकैत और एजेंडाधारी लोकगायिक नेहा राठौड़ के बयानों मीडिया के सामने परोसा। पाकिस्तानी सेना ने कहा ये लोग भी तो भारतीय हैं, देखिए ये क्या कह रहे हैं। हमारा कोई हाथ इस अटैक में नहीं था। एक तरह से पाकिस्तानी सेना ने भारत को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। जबकि असलियत सब जानते हैं कि क्या है ? आपके किसी नाराजगी के चलते बोले हुए कुछ शब्दों को दुश्मन अपने एजेंडे के तौर पर कैसे प्रयोग कर सकता है, यह उसका उदाहरण। निश्चित तौर पर देश सबसे पहले है, उससे ज्यादा कुछ भी नहीं हो सकता।

लोकतांत्रिक व्यवस्था में सबको बोलने का अधिकार मिला हुआ है। आप भाजपाई हो सकते हैं, आप कांग्रेसी हो सकते हैं, आप सरकार को पसंद करने वाले या फिर न पसंद करने वाले हो सकते हैं, लेकिन इस स्वतंत्रता का यह अर्थ कतई नहीं कि आप कुछ भी बोलें। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तानी सेना ने आदिगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, किसान नेता राकेश टिकैत, लोक गायिका नेहा राठौर और यू-ट्यूबर ध्रुव राठी के बयानों को आधार बनाकर हम पर ही सवाल खड़े करने का प्रयास किया।

शंकराचार्य जी की बात करें तो शंकराचार्य पद की एक मर्यादा होती है। जब आप मंच से कोई बयान देते हैं तो उसका एक अर्थ होता है। आपका बोलना किसी साधारण व्यक्ति का बोलना नहीं हैं, क्या यह उचित लगता है कि आपके बयान को पाकिस्तान अपने एजेंडे के साथ दिखाकर हम पर सवाल उठाता है। शंकराचार्य आपसे आग्रह है कि आप अपने पद की मर्यादा को स्मरण रखते हुए राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानें। जब देश पर संकट हो, तब समाज को एक करने का प्रयास करें न कि ऐसे बयान दें जिससे शत्रु के एजेंडे को बल मिले।

राकेश टिकैत किसानों के नेता तो आप उनके हित के लिए आवाज उठाएं, कोई आपको रोक रहा है, लेकिन इस तरह के बयान न दें जैसे पिछले दिनों आपने दिए। पहलगाम हमले के बाद आपने बोला था कि चोर तो यहीं हैं। इसी बयान को पाकिस्तान ने अपने एजेंडे के तौर पर इस्तेमाल किया। इसलिए बोलने से पहले यह जरूर सोचें कि आपके ऐसे बयानों को ही आधार बनाकर पाकिस्तान जैसा आतंकी राष्ट्र दुष्प्रचार करेगा। आपकी आवाज किसानों की समस्याओं तक सीमित रहे, राष्ट्रविरोधी शक्तियों को आपके शब्दों का लाभ न मिले, इस पर आपको आत्ममंथन करने की जरूरत है।

नेहा राठौर और ध्रुव राठी जैसे वामपंथी प्रवृत्ति के तथाकथित कलाकार यूट्यूबरों को तो कतई यह भ्रम नहीं पालना चाहिए कि कला और विचार की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्र की जड़ें खोदना क्षम्य होगा।

नेहा राठौर ‘यूपी का बा’ जैसे गीत, सारे बड़े आतंकी हमले भाजपा के समय पर ही हुए हैं जैसे बयान तात्कालिक वाहवाही भले दिला दें,लेकिन जब तुम्हारे शब्द पाकिस्तान के कुटिल एजेंडे का हिस्सा बन रहे हैं तो तुमको आत्मविश्लेषण करना चाहिए।

ध्रुव राठी जैसे यूट्यूबर सिर्फ अपना एजेंडा चलाता है। भारत में रहता तक नहीं है। उसके वीडियो को पाकिस्तान प्रोपेगेंडा के उपकरण की तरह प्रयोग करता है। राष्ट्र की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाकर लोकप्रियता की दुकानदारी करने वालों को यह समझा दिए जाना बेहद जरूरी है कि लोकतंत्र की स्वतंत्रता का अर्थ राष्ट्रविरोधी प्रोपेगंडा का लाइसेंस नहीं है।

मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे वरिष्ठ नेताओं से भी अपेक्षा है कि विपक्ष की भूमिका निभाइए लेकिन यह जरूर ध्यान रखें कि आपकी बातें सीमा पार किस तरह प्रस्तुत की जा रही हैं। जब बात राष्ट्र की सुरक्षा की हो तो राजनीति नहीं बल्कि एकता अपेक्षित होती है। मतभेदों के भीतर भी मातृभूमि के प्रति निष्ठा होनी चाहिए।

हमें यह समझना चाहिए कि पाकिस्तान जैसे आतंक प्रायोजक देश हमारी असहमति को अंतर राष्ट्रीय मंच पर पेश कर हम पर ही सवाल खड़ा करने की पूरी कोशिश करता है। राष्ट्रधर्म यही कहता है कि जहां राष्ट्र की बात हो वहां सबको एक हो जाना चाहिए। ऐसे मौके पर पर जब तनाव चरम पर है तो हमारे बोले गए शब्दों, हमारे बयानों को शत्रु हथियार बना सकता है। इसलिए बहुत सोच समझकर बोलने की जरूरत है।

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