गुरुवार रात जम्मू-कश्मीर के आकाश में जो हुआ, वह एक सामान्य सुरक्षा चुनौती नहीं थी- बल्कि यह पाकिस्तान की एक सोची-समझी आतंकवादी साजिश का हिस्सा था। 35 से अधिक जगहों पर एक साथ उड़ते 500 ड्रोन, जो न केवल निगरानी में सक्षम थे, बल्कि हमला करने की ताकत भी रखते हैं- यह इत्तेफाक नहीं, एक युद्धनीति का संकेत है।
ड्रोन की यह आक्रमण-शक्ति पाकिस्तान की नई ‘हाइब्रिड वॉरफेयर’ चाल को दर्शाती है। यह हमला न केवल भारतीय इलाकों की टोह लेने के लिए किया गया, बल्कि इसका उद्देश्य भारतीय सुरक्षा बलों को भ्रमित कर आतंकियों की घुसपैठ का रास्ता बनाना भी था।
क्योंकि जैसे ही रात होती है, LOC के अलग-अलग सेक्टरों में अचानक गोलीबारी शुरू हो जाती है, जिसका मकसद शोर और अफरा-तफरी के बीच ड्रोन की घुसपैठ और आतंकियों की घुसपैठ को आसान बनाना है। वहीं पाकिस्तान की इस चाल का भारतीय सेना माकूल जवाब दे रही है और वह इसमें सफल नहीं हो पा रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच LOC करीब 750 किमी लंबा है, जिसमें अखनूर से गुरेज तक की सीमा बेहद जटिल भौगोलिक परिस्थितियों से गुजरती है। 14,000 फीट की ऊंचाई, गहरी घाटियां, घने जंगल और नदियां – यह सब मिलकर ऐसी परिस्थितियां बनाते हैं, जहां छोटे-छोटे समूहों में आतंकियों की घुसपैठ तकनीकी रूप से संभव बन जाती है, खासकर जब उन्हें ड्रोन से रास्ता बताया जाए और फायरिंग से कवर दिया जाए।
लेफ्टिनेंट जनरल एम के दास, (सेवानिवृत) के अनुसार- “पाकिस्तान इस हालात को अपनी सहूलियत के हिसाब से युद्ध और आतंक की सीमा बनाना चाहता है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर LOC को ‘अंतर्राष्ट्रीय सीमा’ न मानने की नीति का फायदा उठाकर पाकिस्तान अधकचरी लड़ाई को आगे बढ़ा रहा है- जिसमें गोलीबारी भी है, आतंकी घुसपैठ भी हैं, और ड्रोन अटैक भी हैं।
LOC पर ड्रोन अटैक और भयंकर गोलीबारी से तनाव बढ़ाकर पाकिस्तान चाहता है कि भारतीय फौजें उलझी रहें ताकि कहीं और भारत कोई चौंकाने वाला कदम न उठा सके। अंधेरे में ड्रोन से नक्शा, फायरिंग से कवर और आतंकियों के लिए घुसपैठ के रास्ते खोलना- यही है पाकिस्तान की पुरानी नीति जो अब और खतरनाक हो चुकी है।
पाकिस्तान LOC पर अशांति फैलाकर वह पाकिस्तानी जनता को यह दिखाना चाहती है कि ‘हम युद्ध लड़ सकते हैं’- जबकि असल में वह आतंकियों के भरोसे भारत से युद्ध का भ्रम रच रहा है। इसके साथ ही वह BAT की पूरी मदद ले रहा है”।
वहीं बात करें पाकिस्तान का सीमा कार्यबल यानी BAT (Border Action Team) उन सीमावर्ती आतंकी हमलों की मुख्य ईकाई है, जिसमें प्रशिक्षित पाकिस्तानी कमांडो के रूप में खूंखार आतंकी शामिल होते हैं। इनका काम है सीमावर्ती भारतीय पोस्ट पर घात लगाकर हमला करना। यही वजह है कि ड्रोन हमलों के साथ BAT की घुसपैठ एक सिनक्रोनाइज़्ड अटैक स्ट्रैटेजी का हिस्सा हो सकती है।
रात में उड़ते ड्रोन और गोलियों की गूंज– यह पाकिस्तान का नया आतंकी चेहरा है, जिसमें तकनीक का समावेश है। भारत के लिए यह एक चेतावनी है, और भारत ने हमेशा की तरह न केवल यह चेतावनी सुनी है, बल्कि इसका मजबूत, निर्णायक और कड़ा जवाब देने को भी तैयार है।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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