Operation Sindoor
India Pakistan War History: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के दो सप्ताह बाद 6 मई की रात को भारत ने बड़ा जवाबी कदम उठाया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में 100 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया और उन्हें ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित कई आतंकी अड्डों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। भारत ने न केवल हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया, बल्कि मोस्ट वॉन्टेड आतंकी मसूद अजहर को भी बड़ा झटका दिया है। सेना की इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव और संघर्ष कोई नई बात नहीं है। 1947 में भारत से अलग होकर अस्तित्व में आए पाकिस्तान ने शुरू से ही हिंसा और टकराव का रास्ता अपनाया। विभाजन के तुरंत बाद ही उसने खून-खराबा शुरू कर दिया, जो समय-समय पर सीमा पार संघर्षों और युद्धों के रूप में सामने आता रहा। इतिहास गवाह है कि हर बार जब भी पाकिस्तान ने उकसावे की कार्रवाई की, भारत ने उसे माकूल जवाब दिया और उसे घुटनों पर लाने में देर नहीं लगाई। कई बार पाकिस्तान की सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा, जिसे भारत ने मानवीयता के आधार पर छोड़ दिया। इसके बावजूद, पाकिस्तान की नीति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। वह लगातार आतंकियों को शरण देता रहा है और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है, जिससे क्षेत्रीय शांति बार-बार बाधित होती है।
1947 में जब ब्रिटिश भारत ने स्वतंत्रता पाई, तो इसके साथ ही दो हिस्सों में बांट दिया गया। भारत और मुस्लिम बहुल पाकिस्तान। यह विभाजन महज सीमाओं का नहीं था, बल्कि लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली त्रासदी बन गया। विभाजन के कुछ ही महीनों बाद, कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की ओर से हमला किया गया। उस समय जम्मू-कश्मीर एक हिंदू राजा, महाराजा हरि सिंह द्वारा शासित रियासत थी। पाकिस्तान ने कबायली आतंकियों और सेना की मदद से कश्मीर पर कब्ज़ा करने की कोशिश की, जिसके जवाब में महाराजा ने भारत से मदद मांगी और भारत में विलय के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए।
1947-48 के युद्ध के करीब दो दशक बाद, 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर एक बार फिर युद्ध छिड़ गया। पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत कश्मीर में घुसपैठ कर अशांति फैलाने की कोशिश की, जिसका भारतीय सेना ने तीव्र प्रतिकार किया। इस संघर्ष ने जल्द ही पूर्ण युद्ध का रूप ले लिया और दोनों देशों की सेनाओं के बीच भीषण लड़ाई हुई। युद्ध में हजारों सैनिक मारे गए और भारी क्षति हुई। अंततः सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के हस्तक्षेप से युद्ध विराम हुआ। जनवरी 1966 में ताशकंद (अब उज्बेकिस्तान में) में भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच वार्ता हुई, जिसे ताशकंद समझौता कहा जाता है। इस समझौते के तहत भारत ने युद्ध के दौरान जीते गए क्षेत्रों को पाकिस्तान को लौटा दिया और अपनी सेना को पीछे बुला लिया।
1971 के युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार झेलनी पड़ी थी। भारत की सेना ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। पूर्वी पाकिस्तान आजाद होकर बांग्लादेश के रूप में नया देश बना। ये युद्ध आधिकारिक रूप से 3 दिसंबर, 1971 को शुरू हुआ और भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान सेना ने 16 दिसंबर को सरेंडर कर दिया था। 1972 में भारत और पाकिस्तान ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, कश्मीर में युद्ध विराम रेखा का नाम बदलकर नियंत्रण रेखा कर दिया। दोनों पक्षों ने सीमा पर और अधिक सैनिकों को तैनात किया, जिससे यह सैन्य चौकियों के एक भारी किलेबंद क्षेत्र में बदल गया।
1999 में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों ने भारतीय सीमा पार कर कारगिल की कई चोटियों पर कब्जा कर लिया था। कारगिल युद्ध मई से जुलाई के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में लड़ा गया। यह युद्ध तब शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सेना और उनके समर्थित आतंकियों ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया। उनका मकसद श्रीनगर-लेह राजमार्ग को काटना और कश्मीर में अस्थिरता पैदा करना था। भारत ने ऑपरेशन विजय शुरू किया, जिसमें भारतीय सेना और वायुसेना ने कठिन परिस्थितियों में घुसपैठियों को खदेड़ा। जुलाई 1999 तक भारत ने अधिकांश क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल कर लिया और 26 जुलाई को युद्ध आधिकारिक रूप से खत्म हुआ, जिसे अब कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह कहानी पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने की निरंतर कोशिशों को उजागर करती है। वर्षों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमलों ने घाटी में शांति को बार-बार भंग किया है। 2016 में उग्रवादियों ने कश्मीर के एक सैन्य अड्डे पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें 18 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। इसके बाद, 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में एक आत्मघाती हमलावर ने CRPF के काफिले पर हमला कर 40 जवानों की जान ले ली। यह हमला पूरे देश को झकझोर गया था और इसके बाद भारत ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी। हाल ही में, 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया आतंकी हमला पाकिस्तान द्वारा आतंक को समर्थन देने का एक और स्पष्ट संकेत है। इन घटनाओं से साफ है कि पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति में कोई बदलाव नहीं आया, लेकिन इस बार भारत ने ऑपरेशन सिंदूर से वो जवाब दिया है कि पाकिस्तान इसे ताउम्र नहीं भूलेगा।
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