एक तरफ पहलगांव हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को जाने वाले पानी पर रोक लगाने की कवायद शुरू कर दी है तो दूसरी ओर अपनी संकीर्ण सोच व राजनीतिक कारणों से पंजाब सरकार हरियाणा को जाने वाला पानी रोकने का प्रयास कर रही है। इस पर अदालत ने ऐसी टिप्पणी की है जो पंजाब के नेताओं को आइना दिखाने को पर्याप्त है। पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा के हिस्से का पानी रोकने पर पंजाब को लताड़ लगाते हुए कहा कि ‘हम दुश्मन देश के साथ ऐसा कर रहे हैं, राज्यों के भीतर नहीं करते।’
पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी की, जिसमें हरियाणा को पानी रोकने के लिए नंगल बांध और लोहंद नियंत्रण कक्ष जल विनियमन कार्यालयों में कथित तौर पर तैनात पंजाब पुलिस बलों को हटाने की मांग की गई है।
कुछ समय तक मामले की सुनवाई करने के बाद, चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमीत गोयल की खंडपीठ ने पंजाब सरकार के बयान पर ध्यान दिया कि पंजाब पुलिस बोर्ड के प्रबंधन में हस्तक्षेप नहीं करेगी। उन्होंने कहा, हम आज ही एक आदेश पारित करेंगे और इस छोटी सी बात पर फैसला करेंगे… अगर किसी को पानी के बंटवारे से जुड़ी समस्या है तो वह केंद्र सरकार से संपर्क कर सकता है।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर आरोप लगाया कि एक मई की सुबह पंजाब सरकार ने नंगल बांध और लोहंद नियंत्रण कक्ष जल नियमन कार्यालयों के संचालन और नियमन का नियंत्रण अपने पुलिस बल के माध्यम से जबरन अपने हाथ में ले लिया और हरियाणा को पानी छोडऩे से रोका।
बोर्ड ने कहा कि 30 अप्रैल को हुई बैठक में बोर्ड ने हरियाणा के लिए 8,500 क्यूसेक पानी छोडऩे का फैसला किया था, जिस पर पंजाब ने आपत्ति जताई थी। बीबीएमबी की याचिका में कहा गया है कि पंजाब सरकार की कार्रवाई पूरी तरह से असंवैधानिक और अवैध है और बोर्ड के वैधानिक कामकाज में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप है, जो राष्ट्रीय महत्व का कार्य कर रहा है, जो प्रकृति में संप्रभु है।
इसमें कहा गया है कि हरियाणा या किसी भी भागीदार राज्य को पानी की आपूर्ति संबंधित राज्य की जीवन रेखा का मामला है और बोर्ड के कामकाज में किसी भी भागीदार राज्य द्वारा ऊपर बताए गए किसी भी जबरन कार्रवाई से राज्य द्वारा अराजकता और अराजकता होगी। पेशे से वकील रविंदर सिंह ढल्ल ने एक अन्य याचिका दायर की थी, जिन्होंने बोर्ड द्वारा हल किए गए हरियाणा को पानी छोडऩे की मांग की थी।
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गुरमिंदर सिंह ने अदालत में एक हलफनामा दायर किया और कहा, कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, और खतरे की आशंका और बलों की तैनाती पर फैसला करना राज्य का विशेषाधिकार है। यह बोर्ड का काम नहीं है कि वह राज्य से तैनाती हटाने के लिए कहे। सिंह ने आगे कहा कि बलों की तैनाती पाकिस्तान के साथ सीमा पार सुरक्षा मुद्दों के मद्देनजर भी की गई है।
याचिकाकर्ता बीबीएमबी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट राजेश गर्ग ने कहा कि जहां तक सुरक्षा का सवाल है, वहां सुरक्षा निदेशक हैं। उन्होंने कहा, अगर राज्य बोर्ड के प्रबंधन में हस्तक्षेप करना शुरू कर दें और पानी की आपूर्ति रोक दें, तो इससे अराजकता पैदा हो जाएगी। उन्होंने अदालत को आगे बताया कि विवाद से पहले केवल 15 सुरक्षाकर्मी थे और अब भारत-पाक मुद्दे की आड़ में यह संख्या बढक़र 55 हो गई है। केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी सत्यपाल जैन ने कहा कि बीबीएमबी द्वारा पानी का प्रवाह केवल हरियाणा की ओर नहीं है, बल्कि राजस्थान और दिल्ली की ओर भी है।
उन्होंने कहा कि अगर किसी राज्य के पक्ष को हरियाणा के लिए पानी छोडऩे के बोर्ड के प्रस्ताव से आपत्ति है तो इसे उचित कानूनी तरीके से चुनौती दी जानी चाहिए। ज्ञात रहे कि भाखड़ा बांध से पंजाब पंजाब हरियाणा के हिस्से का पानी रोक रहा है। पंजाब सरकार का दावा है कि हरियाणा अपने हिस्से का पानी मार्च महीने में ही ले चुका है और पंजाब के पास उसे देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। इस मुद्दे को लेकर दोनों राज्यों के बीच बातचीत भी हो चुकी है पर इसका कोई परिणाम नहीं निकल पाया। अपनी बात मनवाने के लिए पंजाब ने नंगल बांध पर अपनी पुलिस की सुरक्षा बढ़ा दी है जिसके खिलाफ अदालत में याचिका दायर की गई थी।
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