नई दिल्ली । भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले का जवाब निर्णायक तरीके से दे दिया है।
मंगलवार तड़के सुबह, भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने मिलकर ऑपरेशन ‘सिंदूर’ को अंजाम दिया और पाकिस्तान व पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में घुसकर 9 खतरनाक आतंकी अड्डों को ध्वस्त कर दिया।
यह पहला ऐसा संयुक्त सैन्य अभियान है जिसमें तीनों सेनाओं ने तालमेल के साथ आतंक के अड्डों पर अचूक प्रहार किया। बता दें कि भारतीय सेना ने इस स्ट्राइक में किसी भी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को टारगेट नहीं किया, बल्कि केवल और केवल आतंकवाद के अड्डों को लक्ष्य कर मिटाने का काम किया है— इसी वजह से ऑपरेशन ‘सिंदूर’ भारत की नीति और नैतिक बल को भी दर्शाता है।
ये 9 आतंकी कैंप किए ध्वस्त
1- मरकज सुब्हान अल्लाह, बहावलपुर : ये जैश ए मोहम्मद का हेडक्वार्टर था। शीर्ष आतंकी यहां आते थे।
2- सरजल कैंप, सियालकोट : अंतरराष्ट्रीय सीमा से सिर्फ 6 किलोमीटर दूर है। मार्च 2025 में कश्मीर के चार जवानों की हत्या करने वाले आतंकवादी यहीं ट्रेंड हुए थे।
3- महमूना जोया कैंप, सियालकोट : हिजबुल का ये कैंप कठुआ में एक्टिव था। पठानकोट एयरबेस पर इसी कैंप से हमला किया गया था।
4- मरकज तैयबा कैंप, कोटली : मुंबई आतंकी हमले के आतंकी यहीं ट्रेंड हुए थे। अजमल कसाब, डेविड हेडली भी।
5- सवाई नाला, मुजफ्फराबाद : पहलगाम, सोनमर्ग, गुलमर्ग हमले के आतंकियों ने यहीं ट्रेनिंग ली। पुंछ में 2023 में श्रद्धालुओं पर हुए हमले के आतंकी यहीं ट्रेंड हुए थे।
6- मरकज अहले हदीस, बरनाला
7- मरकज अब्बास, कोटली
8- मस्कर राहिल शाहिद, कोटली
9- सैयद बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद
जानिए आतंक के अड्डों की दूरी, जहां भारत ने किया प्रहार
- बहावलपुर – 100 किमी अंदर (जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर)
- मुरीदके – 30 किमी अंदर
- गुलपुर – 35 किमी अंदर
- सवाई कैंप – 30 किमी अंदर
- बिलाल कैंप – (दूरी गुप्त)
- कोटली कैंप – 15 किमी अंदर
- बरनाला कैंप – 10 किमी अंदर
- सरजल कैंप – 8 किमी अंदर
- महमूना कैंप – 15 किमी अंदर
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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