दर्जनों धोखाधड़ी के मामलों के साथ मिशनरी कन्वर्जन में शामिल पूर्व बिशप पीसी सिंह को ईओडब्ल्यू ने मंगलोर से गिरफ्तार कर लिया है। लंबे समय से फरार चल रहे इस आरोपी की तलाश में कई एजेंसियां जुटी थीं और अब इसे न्यायिक प्रक्रिया के दायरे में लाया गया है।
दरअसर, विशप की गिरफ्तारी उस मामले में की गयी जिसमें चर्च के नाम पर करोड़ों की सरकारी मुआवजा राशि को छलपूर्वक गबन कर लिया गया था। कटनी स्थित बार्लेय स्कूल की 0.22 हेक्टेयर जमीन का रेलवे विभाग द्वारा अधिग्रहण किया गया था। इसके एवज में रेलवे ने मुआवजे के रूप में 2 करोड़ 45 लाख 30 हजार 830 रुपए की राशि स्वीकृत की थी। यह राशि स्कूल और उसके संचालन संस्था एनडीटीए के खाते में जानी चाहिए थी, लेकिन पूर्व बिशप पीसी सिंह और संस्था के चेयरमैन पॉल दुपारे ने मिलकर इस रकम को गैर-कानूनी तरीके से हड़प लिया।
उन्होंने इस मामले में फर्जी दस्तावेज बनाकर कोर्ट में प्रस्तुत किए और खुद को मुआवजा प्राप्त करने का पात्र सिद्ध करने की कोशिश की। जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि पीसी सिंह और उनके साथी पॉल दुपारे ने न्यायालय में स्कूल के प्रिंसिपल के नाम से एक कूटरचित पत्र प्रस्तुत किया, ताकि मुआवजा राशि को स्वयं प्राप्त किया जा सके। यह पत्र पूरी तरह फर्जी था और इसका कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं था।
ईओडब्ल्यू ने शुरु में आईपीसी की धारा 406, 420 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया था। लेकिन अब जाली दस्तावेजों के उपयोग की पुष्टि होने पर धारा 467, 468 और 471 भी जोड़ दी गई है। इससे मामला और गंभीर हो गया है।
पूर्व बिशप पीसी सिंह की आपराधिक पृष्ठभूमि किसी शातिर अपराधी से कम नहीं है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में उसके खिलाफ कुल 64 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
अपराध में आरोपी की गिरफ्तारी ई ओ डव्लू के लिए बड़ी चुनोती थी। उप पुलिस अधीक्षक एस.एस. धामी के नेतृत्व में निरीक्षक मोमेन्द्र कुमार मर्सकोले, प्रधान आरक्षक अभिनव ठाकुर, आरक्षक शेख नदीम और सुनील मिश्रा ने कर्नाटक के मंगलोर जाकर आरोपी को गिरफ्तार किया।
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