कनाडा में हाल में संपन्न चुनावों में बुरी तरह हारे खालिस्तानी समर्थकों और जनता द्वारा धिक्कारे जाने के बाद वहां के पाकिस्तानी प्यादे खालिस्तानी हिंदू विरोधी परेड निकालकर अपने अंदर का जहर सामने लाए हैं। इस परेड में हिन्दुओं के विरुद्ध जहरीली नारेबाजी करने के अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री जयशंकर का अपमान करने की भी घिनौती कोशिश की। इन विश्व सम्मानित नेताओं के पुतले बनाकर उन्हें सींखचों के पीछे दिखाया गया। टोरंटो और अन्य शहरों में बड़ी संख्या में बसे हिन्दू समुदाय में इस घटना को लेकर तीखा आक्रोश है। गनीमत है कि अब कनाडा में हिन्दू विरोधी और खालिस्तान प्रेमी जस्टिन त्रूदो का राज नहीं है। अब वहां मार्क कार्नी प्रधानमंत्री हैं जो त्रूदो सरकार की गलतियों को ठीक करने के काम में जुटे हैं। कार्नी भारत के साथ बिगड़े रिश्तों को फिर से मधुर बनाने के लिए प्रयासरत हैं। इसलिए भी खालिस्तानियों में काफी गुस्सा है और वे अलगाववादी हिन्दू विरोधी हरकतें कर रहे हैं।
खालिस्तानियों की मंशा साफ है कि जिस तरह वे पहले पाकिस्तानी प्यादे गुरपतवंत पन्नू के शैतानी एजेंडे पर चलते हुए हिंदू समुदाय के विरुद्ध हरकतें कर रहे थे अब आगे भी वहां की नई सरकार उन्हें इन उपद्रवों को करने की खुली छूट दे दे। वे खुलेआम हिंदू विरोधी नफरत फैलाते आ रहे हैं। टोरंटो में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा निकाली गई इस परेड में कथित तौर पर पन्नू के इशारे पर ही 8,00,000 हिंदुओं को वापस भारत भेजने की मांग उछाली गई।

यह परेड माल्टन गुरुद्वारा, टोरंटो से निकाली गई थी। सोशल मीडिया पर परेड का एक वीडियो वायरल हुआ है। यहां ध्यान रहे कि यह आयोजन सिख गुरुद्वारों और हिंदू मंदिरों में व्यापक तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद हुआ है। हिंदू समुदाय के एक सम्मानित जन द्वारा पोस्ट किए गए उस वीडियो में खालिस्तानी उग्रपंथी समूह की ओर से “हिंदू विरोधी घृणा” साफ झलक रही है। एक यूजर शॉन बिंदा ने ट्वीट किया कि “यह भारत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन नहीं है। यह उस खालिस्तानी आतंकवादी समूह की ओर से हिंदू विरोधी नफरत का प्रदर्शन है, जो कनाडा के सबसे घातक हमले के लिए कुख्यात है, फिर भी ऐसा अहंकार है कि कनाडा में रहने के अधिकार का दावा कर रहा है। #खालिस्तानी आतंकवाद।”
कनाडा के वरिष्ठ पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने भी उस हिंदू विरोधी परेड का वीडियो साझा किया है। उन्होंने सवाल किया है कि क्या मार्क कार्नी का कनाडा खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में जस्टिन त्रूदो से अलग होगा? वे लिखते हैं, “हमारी सड़कों पर उपद्रव मचाने वाले जिहादियों ने सामाजिक ताने-बाने को काफी नुकसान पहुंचाया है, वे हर एक यहूदी को धमका रहे हैं। क्या मार्क कार्नी का कनाडा जस्टिन त्रूदो से अलग होगा?” ध्यान रहे, यह खालिस्तानी नफरती हरकत कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा लिबरल पार्टी को चुनावों में शानदार जीत दिलाने के कुछ दिनों बाद हुई है।
उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं के गठबंधन ने इसे शर्मनाक बताया है। उसने कहा है, “दुनिया ने पहले भी इस तरह का उदाहरण देखा है और उसे सचेत होने की ज़रूरत है। क्या शहर, प्रांतीय और राष्ट्रीय संस्थाएं इस पर ध्यान देंगी? क्या मानवाधिकार समूह या मीडिया इसे कवर करेंगे?” पिछले महीने सर्रे में वार्षिक खालसा दिवस बैसाखी परेड में खालिस्तान के झंडे और भारत विरोधी झांकियां भी देखी गई थीं। उस कार्यक्रम की आलोचना हुई थी। उसमें भी पीएम मोदी और अमित शाह के “वांटेड” लिखे पोस्टर दिखाए गए थे।
कनाडा के गत दिनों हुए संसदीय चुनावों में खालिस्तान समर्थक न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी और उसके नेता जगमीत सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा था। जगमीत ब्रिटिश कोलंबिया की बर्नबी सेंट्रल सीट से चुनाव लड़े थे, उन्हें लिबरल पार्टी के वेड चांग ने हराया था। इस जगमीत सिंह की हार को भारत-कनाडा संबंधों के लिए सकारात्मक माना जा रहा है, क्योंकि, जैसा पहले बताया, पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो के कार्यकाल में भारत और कनाडा के रिश्तों में खालिस्तानी मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ गया था।
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