पांक ने सोशल मीडिया पर साझा की ये तस्वीरें
पाकिस्तान ने बलूचों के खिलाफ दमन अभियान और बढ़ा दिया है। इसी बीच बलूचिस्तान के क्वेटा से चौंकाने वाली खबर सामने आई है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि क्वेटा (पूर्व नाम शालकोट) के सिविल अस्पताल का मुर्दाघर पाकिस्तानी सेना द्वारा क्षत-विक्षत शवों से भर दिया गया है। फर्जी मुठभेड़ों में मारे गए अब तक 50 से अधिक लोगों के सड़ते हुए शवों को मुर्दाघर में एक-दूसरे के ऊपर रखा गया है, जिससे भयावह स्थिति बन रही है। बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के मानवाधिकार विभाग पांक ने सिविल अस्पताल के मुर्दाघर में क्षत-विक्षत शव मिलने की खबरों पर चिंता व्यक्त करते हुए मानवाधिकार संगठनों से शवों की पहचान कर उनका सम्मानजनक अंतिम संस्कार करने की मांग की है।
पांक ने क्षत-विक्षत शवों की तस्वीरें साझा कीं
पांक ने एक्स पर रविवार (4 मई 2025) को क्षत-विक्षत शवों की तस्वीरें साझा करते हुए जानकारी दी कि पिछले महीने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा किए गए फर्जी मुठभेड़ों में दो दर्जन से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से लगभग एक दर्जन की पहचान कर ली गई है और उनके परिवारों ने उन्हें दफना दिया है, जबकि बाकी लोग सम्मानजनक अंतिम संस्कार से वंचित रह गए हैं। पांक ने पाकिस्तान सरकार और सभी संबंधित मानवाधिकार संगठनों से तत्काल कड़े कदम उठाने का आह्वान किया है। उनके मुताबिक, प्रत्येक शव की मौत के कारणों की पारदर्शी, स्वतंत्र फोरेंसिक जांच की जाए। जहां संभव हो, मृतक की पहचान सार्वजनिक रूप से उजागर करें और समय पर शव को उनके परिवारों को सौंपा जाए। सभी जिम्मेदार पक्षों को जवाबदेह ठहराएं, खासकर हिरासत में मौत और न्यायेतर हत्याएं के मामलों में। स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार पर्यवेक्षकों को अनुमति दें। बलूचिस्तान के लोग न्याय, सम्मान और सच जानने के हकदार हैं। चुप्पी और निष्क्रियता से उस समुदाय के घाव और गहरे हो जाएंगे जो पहले से ही प्रताड़ित हैं।
बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के प्रवक्ता ने कहा, ”बीएनएम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से इन शवों की पहचान करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने और मृतकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार के लिए पाकिस्तानी सरकार पर जोर देने का आह्वान करता है। परिवारों को अपने प्रियजनों को उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार दफनाने की अनुमति दी जानी चाहिए।”
बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन के मामले बढ़े
उन्होंने कहा कि यह घटना बताती है कि बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पाकिस्तानी सेना ने बलूचिस्तान में अपना क्रूर और हिंसक दमन अभियान और बढ़ा दिया है। कुछ ही दिन पहले केच जिले में बलूच स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत के बाद उनके शव भी पाकिस्तानी सेना ने अपने कब्जे में ले लिए थे। परिवारों के सार्वजनिक विरोध के बावजूद उन्हें शव वापस नहीं किए गए, जिसके बाद पाकिस्तानी सेना की अमानवीय और दमनकारी नीतियों का खुलासा हुआ। लोगों को जबरन गायब करना और हिरासत में हत्याएं बलूच राष्ट्रीय आंदोलन को नहीं दबा पाएंगी।
प्रवक्ता ने कहा कि भारत के साथ युद्ध जैसी स्थिति बनाने और पाकिस्तान के पंजाब में युद्ध की भावना भड़काने के पाकिस्तानी सेना के प्रयास बलूचिस्तान में क्रूर सैन्य आक्रमण को तेज करने के लिए माहौल बना रहे हैं। इससे यह बात स्पष्ट होती जा रही है कि उनका निशाना कोई विदेशी दुश्मन नहीं, बल्कि बलूच राष्ट्र है।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बलूचिस्तान 1948 के बाद से अब तक चार विद्रोह के दौर देख चुका है। इस समय बलूचिस्तान अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। यह दौर बलूचिस्तान के इतिहास और पंजाबी बहुल पाकिस्तान की शासन व्यवस्था के साथ उसकी लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
बलूचिस्तान में 181 लोगों को जबरन गायब किया गया: पांक
कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने अन्य सहयोगी सशस्त्र समूहों के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर लोगों के अपहरण किए। इनमें मुख्य रूप से छात्रों, कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। मृतक पाकिस्तानी सेना की हिरासत में गायब किए लोग थे, जिनकी हत्या कर दी गई थी। इस वर्ष मार्च में बलूचिस्तान के लोगों की आवाज बन चुकी प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता महरंग बलूच को गिरफ्तार किया गया था। बताया जाता है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने क्वेटा में एक विरोध प्रदर्शन के बाद आतंकवाद, देशद्रोह और हत्या के आरोपों के तहत महरंग को गिरफ्तार किया था। इस दौरान बल प्रयोग के कारण तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। वहीं पांक ने यह दावा भी किया है कि मार्च 2025 में बलूचिस्तान में 181 लोगों को जबरन गायब किया गया और 12 की हत्या की गई।
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