इम्फाल । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मणिपुर प्रांत द्वारा आयोजित 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग – 2025 का सफल समापन आज इम्फाल पूर्वी जिले के हराओरौ स्थित राजर्षि भाग्यचंद्र स्किल डेवेलपमेंट सेंटर (RBSDC) में हुआ।
यह गहन प्रशिक्षण शिविर 40 वर्ष से कम आयु के स्वयंसेवकों के लिए आयोजित किया गया था, जिसमें मणिपुर के विभिन्न जिलों—इम्फाल ईस्ट, इम्फाल वेस्ट, बिष्णुपुर, सेनापति, उखरूल, तमेंगलोंग और जिरीबाम—से कुल 71 शिक्षार्थियों (शिक्षार्थी) ने भाग लिया। आरएसएस के मूल उद्देश्य “व्यक्तित्व निर्माण एवं चरित्र निर्माण” के अनुरूप यह कार्यक्रम राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित कर्मठ कार्यकर्ताओं को तैयार करने पर केंद्रित रहा।
शिविर के दौरान स्वयंसेवकों को शारीरिक (Sharirik) और बौद्धिक (Boudhik) दोनों प्रकार के प्रशिक्षण दिए गए। यह सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम नेतृत्व क्षमता, सामाजिक उत्तरदायित्व और राष्ट्रीय सेवा के प्रति समर्पण की भावना को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से तैयार किया गया था।
शिविर की एक विशेष और भावनात्मक झलक मातृभोजन के रूप में सामने आई, जो सुदनरी (1 अप्रैल, 2025) को आयोजित हुआ। इस सांस्कृतिक आयोजन में 53 स्वयंसेवकों के परिवारों ने भाग लिया, जहाँ स्वयंसेवकों की माताओं ने अपने हाथों से बना हुआ भोजन लाकर प्रशिक्षणार्थियों को प्रेमपूर्वक परोसा। यह कार्यक्रम आरएसएस की पारिवारिक एकता और सामाजिक सौहार्द की भावना का प्रतीक रहा।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि श्री निंगोम्बम इराबंता सिंह थे, जबकि आरएसएस असम क्षेत्र के कार्यवाह श्री ख्वैरकपम राजेन सिंह ने संसाधन व्यक्ति के रूप में मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम में आरएसएस असम क्षेत्र, विभाग (Vibhag) और जिला (Jilla) स्तर के वरिष्ठ कार्यकर्ता, समान विचारधारा वाले संगठनों के सदस्य, व्यापारी, शिक्षाविद और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग उपस्थित रहे।
अपने प्रेरणादायक संबोधन में श्री ख्वैरकपम राजेन सिंह ने कहा कि आरएसएस भारत का एकमात्र ऐसा संगठन है, जो 1925 में अपनी स्थापना के बाद से आज तक कभी किसी विभाजन या गुटबंदी का शिकार नहीं हुआ। उन्होंने संघ की निरंतर प्रगति और विस्तार का श्रेय स्वयंसेवकों की निःस्वार्थ सेवा भावना और अटूट समर्पण को दिया। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे संघ का विस्तार होता जा रहा है, वैसे-वैसे उसका समाज निर्माण में योगदान भी प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
मुख्य अतिथि श्री निंगोम्बम इराबंता सिंह ने एक पूर्व आरएसएस कार्यक्रम की स्मृति साझा की। उन्होंने बताया कि एक बार अचानक बारिश हो जाने पर जहाँ आमजन छांव की तलाश में भागने लगे, वहीं स्वयंसेवक अनुशासित रूप से बैठे रहे और वक्ता को ध्यानपूर्वक सुनते रहे। उन्होंने आरएसएस की सेवा भावना, अनुशासन और त्याग के भाव की सराहना की तथा इसे समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत बताया।
संघ शिक्षा वर्ग – 2025 का समापन प्रशिक्षणार्थियों के मन में अनुशासन, एकता और राष्ट्र सेवा के प्रति नवनिर्मित संकल्प के साथ हुआ।
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