कट्टर इस्लामी होने का दावा करने वाला जिन्ना का देश और उसके रहनुमा कितने भी उलटे सीधे बयान दें, असलियत में तो वह कायर देश है और भारत से चार बार खुले युद्ध में पिट चुके उसके फौजी हिन्दुस्थान के नाम से कांपते हैं। यह बात 1993 में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में दर्ज है। विश्व में गुप्तचरी माहौल के संदर्भ में तब जारी की गई उक्त रिपोर्ट में पाकिस्तान की रणनीतिक असुरक्षा और भारत के प्रति उसकी भय की भावना को उजागर किया गया था। रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान भारत की बढ़ती आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक शक्ति से खौफ खाता है। इसी असुरक्षा के भाव के कारण वह आतंकवाद को एक रणनीतिक हथियार के रूप में अपनाता है।
इसमें संदेह नहीं कि पाकिस्तानी मीडिया एंकर कितने भी बड़बोले हों, असल में तो वहां के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को भाषण में भारत का उल्लेख करते वक्त मिर्गी का सा दौरा पड़ जाता है। सोशल मीडिया पर कई वीडियो तैर रहे हैं उनकी इस हालत के। जिन्ना के देश की सेना के जवान फौज छोड़कर भाग रहे हैं कि कहीं फिर से भारत से बुरी तरह न पिटना पड़े। पाकिस्तानी के फौजी मुखिया को अपनी अरबों की संपत्ति और विदेश में बने फार्म हाउस की ज्यादा चिंता है बजाय जवानों की चिंता करने के। ‘भारत से चार बार पिट चुके हैं तो पांचवीं बार भी पिट लेंगे’ का भाव ओढ़कर फौजी कर्नल—जनरल अपनी दुनिया में मस्त हैं। इस असुरक्षा में से उनकी आतंकवाद की राज्य नीति पैदा हुई है और मदरसे से इतर पढ़ने वाला वहां का बच्चा बच्चा यह जानता है।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की वही रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान भारत के सामने खुद को बहुत कमजोर महसूस करता है और इसी कारण वह कम खर्च, अधिक नुकसान वाली आतंकी रणनीति अपनाए हुए है, जिसमें आतंकवाद को एक औजार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। रिपोर्ट आगे कहती है कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ खुले युद्ध में जीत नहीं सकता इसलिए वह प्रॉक्सी वॉर का सहारा लेता है।
1993 की उस अमेरिकी रिपोर्ट का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की संभावना कम है, लेकिन गलतफहमी या किसी बड़े आतंकी हमले के कारण दोनों देशो के बीच टकराव बढ़ सकता है। रिपोर्ट में लिखा है कि कश्मीर ऐसा मुद्दा है, जिससे युद्ध की शुरुआत हो सकती है, लेकिन पाकिस्तान पहले से ही कमजोर स्थिति में रहेगा। इस रिपोर्ट के आने के बाद 1999 में पाकिस्तान ने भारत पर कारगिल युद्ध थोपा था और बुरी तरह मुंह की खाकर भागा था। उसने तक अपने मृत जवानों तक का अपमान करते हुए शुरू में उनकी छलनी शरीरों को वापस लेने से मना कर दिया था।
1993 की सीआईए रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान इस्लामी आतंकवादथ को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है, न कि मजहबी आस्था से प्रेरित होकर। पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को हथियार और प्रशिक्षण देकर भारत में अस्थिरता फैलाने की कोशिश करता है। अगर उस दौर की उस आकलन की तुलना आज की स्थिति से करें तो पाकिस्तान हर संभावित शैतानी चाल को चलता आ रहा है और रिपोर्ट की प्रासंगिकता साबित करता आ रहा है। सबसे ताजा उदाहरण पहलगाम में किया गया आतंकी हमला है। इस हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ नामक जिहादी गुट ने ली है, जिसे पाकिस्तान पोषित जिहादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा माना जाता है। पाकिस्तान हमेशा की तरह अपनी इसमें किसी भी भूमिका से इनकार कर रहा है, लेकिन आतंकवाद को लेकर उसकी नीति समय-समय पर दुनिया के सामने उजागर होती रही है।
रिपोर्ट पाकिस्तान की रणनीतिक असुरक्षा और भारत के प्रति उसके भय को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। पाकिस्तान अपनी कमजोर स्थिति को छिपाने के लिए आतंकवाद को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है, यह भी दुनिया के सामने तथ्यों के साथ साबित किया जा चुका है। इस नाते 1993 की वह अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट आज भी सही साबित होती दिखती है। पाकिस्तान अपनी शैतानी नीतियों से बाज नहीं आ सकता।
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