वक्फ संशोधन विधेयक : रसातल में कांग्रेस!
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

वक्फ संशोधन विधेयक : रसातल में कांग्रेस!

वक्फ संशोधन विधेयक पर संसद के दोनों सदनों में जब बहस चल रही थी, तब कांग्रेस के ‘प्रथम परिवार’ के मुंह से एक शब्द नहीं निकला। लेकिन विधेयक पारित होते ही कांग्रेस नेताओं ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी

by अखिलेश वाजपेयी
May 3, 2025, 08:13 am IST
in भारत, विश्लेषण
मुसलमानों का एक वर्ग वक्फ संशोधन कानून के समर्थन में

मुसलमानों का एक वर्ग वक्फ संशोधन कानून के समर्थन में

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

वक्फ संशोधन कानून के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में 70 से अधिक याचिकाएं दर्ज हैं। इनमें से 10 याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दो दिन की सुनवाई के बाद संशोधित कानून पर रोक तो नहीं लगाई, लेकिन एक अंतरिम आदेश अवश्य दिया। इसमें केंद्र सरकार के आग्रह पर उसे इस मुद्दे पर दाखिल याचिकाओं का जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया। साथ ही, अगली सुनवाई तक रजिस्टर्ड ‘वक्फ बाइ यूजर’ में कोई बदलाव न करने और वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियां न करने के निर्देश हैं। हालांकि, केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने यह आश्वासन सुनवाई शुरू होते ही दे दिया था। अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

अखिलेश वाजपेयी
वरिष्ठ पत्रकार

अगली सुनवाई पर न्यायालय जो भी निर्णय दे, लेकिन इस मामले में कांग्रेस एक बार फिर पूरी तरह से बेनकाब हो गई है। वक्फ संशोधन कानून का विरोध तो अन्य दल भी कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस में इस मुद्दे पर इंडी गठबंधन के अन्य सहयोगियों पीछे छोड़ देने की होड़ दिख रही है। तुष्टीकरण में जुटी कांग्रेस को देखते हुए यह आरोप निराधार नहीं लगता कि वह देश का इस्लामीकरण करने वाली शक्तियों के साथ है। साथ ही, उन आशंकाओं को भी आधार मिलता है कि कांग्रेस का मुस्लिम प्रेम आम मुसलमानों, महिलाओं के लिए न होकर कट्टरपंथी मुस्लिमों तक ही सीमित है। इस कानून के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल याचिकाओं में कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी की दिलचस्पी और भूमिका इस बात की पुष्टि करती है कि मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है।

कांग्रेस का प्रपंच

सिब्बल और सिंघवी जैसे महंगे वकील अक्सर हिंदू और सनातन संस्कृति विरोधी मुकदमे लड़ते हैं, कभी आतंक के आरोपियों के पक्ष में दलील देते हैं। लेकिन मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न और खाड़ी देशों में फंसे मुस्लिम युवकों की वापसी के लिए इनका हृदय क्यों नहीं तड़पता? स्पष्ट है कि कांग्रेस का उद्देश्य मुस्लिमों का कल्याण नहीं, सिर्फ मुस्लिम वोटों की बदाैलत सत्ता का रास्ता आसान बनाने की कोशिश करना है।

कांग्रेस इसलिए भी कठघरे में है, क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा से वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने के अगले दिन, 4 अप्रैल को इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में सबसे पहले जिन दो लोगों की याचिका पहुंची, उनमें एक एआईएमआईएम के अध्यक्ष व सांसद असदुद्दीन ओवैसी थे और दूसरे बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद। इसी तरह, विधेयक पारित होने के बाद जयराम रमेश का इसके विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय जाने का ऐलान और कुछ घंटे बाद ही कांग्रेस सांसद जावेद की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करना बताता है कि इस पूरे प्रकरण के पीछे कांग्रेस है।

दरअसल, कांग्रेस को लग रहा था कि वह मुसलमानों को यह संदेश देने में कहीं पीछे न रह जाए कि वह उनके हितों की ही संरक्षक नहीं है, बल्कि उनके वर्चस्व, श्रेष्ठता और उनकी एकाधिवारवादी मानसिकता को भी समर्थन देने के लिए हर तरह से तैयार है। इसीलिए उसने अपने मुस्लिम सांसद की तरफ से याचिका कराई।

बात-बात में पंथनिरपेक्षता, संविधान की रक्षा तथा लोकतंत्र बचाने की दुहाई देने वाली कांग्रेस इन मुद्दों पर पूरी तरह कठघरे में है। मजहब विशेष से जुड़ा कोई भी विषय आते ही न्यायालय की श्रेष्ठता, संविधान के सम्मान, लोकतंत्र के मूल्यों की दुहाई देने वाली कांग्रेस ने अनेक बार हिंदू व सनातन संस्कृति के विरोध में न्यायालय में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सक्रिय रही है। याद कीजिए, कांग्रेस सरकार ने न्यायालय में शपथ-पत्र देकर भगवान राम और रामसेतु को काल्पनिक बताया था। राम जन्मभूमि मंदिर सहित कई मामले इसके उदाहरण हैं।

दोहरे चरित्र पर उठे सवाल

लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा की अनुपस्थिति को न केवल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, बल्कि केरल जेम-इयथुल उलमा द्वारा संचालित मलयालम दैनिक ‘सुप्रभातम्’ ने भी ‘काला धब्बा’ बताया। अखबार ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ संसद में राहुल गांधी के न बोलने पर सवाल उठाया और वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी की भी तीखी आलोचना की।

अखबार संपादकीय में लिखता है,“वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी, जिनसे देश बड़ी उम्मीदें रखता है, पार्टी व्हिप के बावजूद संसद में मौजूद नहीं थीं। यह उनके लिए एक दाग की तरह रहेगा। विधेयक पर बहस के दौरान वह कहां थीं, यह सवाल हमेशा बना रहेगा।” प्रियंका गांधी वाड्रा मुस्लिम बहुल वायनाड से सांसद हैं। पहले यह राहुल गांधी की संसदीय सीट थी। लोकसभा चुनाव के दौरान इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के साथ प्रियंका वाड्रा के लिए प्रचार किया था।

नीति और नीयत

हाल ही में गुजरात अधिवेशन में राहुल गांधी ने वक्फ संशोधन कानून को मजहबी स्वतंत्रता और संविधान पर हमला करार दिया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है। संवैधानिक संस्थाओं पर नियंत्रण करना चाहती है। उन्होंने यहां तक कहा कि आने वाले समय में दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को भी निशाना बनाया जाएगा।

राहुल का यह बयान कांग्रेस की मंशा बताने के लिए काफी है। प्रश्न यह है कि बात-बात में संविधान और लोकतंत्र बचाने की दुहाई देने वाले राहुल गांधी संवैधानिक प्रक्रिया के तहत लोकसभा में प्रस्तुत वक्फ संशोधन विधेयक पर चुप्पी साधे क्यों बैठे रहे? उनकी मां एंतोनियो माइनो भी राज्यसभा में विधेयक पर कुछ क्यों नहीं बोलीं? यहां तक कि उनकी सांसद बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी विधेयक पर चर्चा के दौरान मौजूद नहीं थीं। सदन में चुप्पी और सड़क पर विरोध, यह दोमुंहापन कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस वही रास्ता चुना है, जिस पर स्वतंत्रता संग्राम के समय मुस्लिम लीग चल रही थी।

कांग्रेस न तो लोकतंत्र का सम्मान करती है और न ही संविधान, न्यायपालिका और विपक्ष के अधिकारों का। राजनीतिक विश्लेषक प्रो. ए.पी. तिवारी कहते हैं कि इन मुद्दों पर कांग्रेस का इतिहास काफी दागदार रहा है। ज्यादा पीछे जाने की जरूरत नहीं है। हाल ही में नेशनल हेरॉल्ड मामले में ईडी की ओर से न्यायालय में दाखिल आरोप-पत्र से कांग्रेस के संविधान और न्यायालय के सम्मान की चिंता की पोल खुल जाती है।

जांच एजेंसी द्वारा किसी मामले की जांच के बाद आरोपी के विरुद्ध न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल करना न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है, पर इसके विरोध में कांग्रेस नेतृत्व ने जिस तरह कार्यकर्ताओं से देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया, वह क्या है? क्या इसे न्यायिक प्रक्रिया को गैर-संवैधानिक तरीके से प्रभावित करने की कोशिश नहीं माना जाना चाहिए? संविधान, न्यायपालिका, लोकतंत्र की दुहाई देने वाले राहुल गांधी और कांग्रेस को यह भी बताना चाहिए कि जब केंद्र में मनमोहन सरकार थी, तब सलाहकार परिषद संविधान की किस व्यवस्था के तहत बनाई गई थी। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली इस परिषद को किस लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत संविधानेत्तर अधिकार दिए गए थे?

राहुल को केंद्रीय मंत्रिमंडल से पारित प्रस्ताव को संविधान के किस अधिकार और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत सार्वजनिक रूप से फाड़ने का अधिकार मिला था? शाहबानो मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए संसद से कानून बनाकर पलटना, 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय मानने के बजाए देश पर आपातकाल थोपना, लोकसभा का कार्यकाल बढ़ाना तथा समूचे विपक्ष को जेल में ठूंस देना, ऐसे कदम उठाकर कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों ने किस संविधान की रक्षा की थी? क्या यह न्यायपालिका का सम्मान और लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन था?

चिंता या दिखावा

वक्फ संशोधन विधेयक को संविधान पर हमला और मुसलमानों की मजहबी स्वतंत्रता छीनने का षड्यंत्र बताना यह साबित करता है कि कांग्रेस को मुसलमानों से सहानुभूति कम, उनका सियासी इस्तेमाल करने में ज्यादा दिलचस्पी है। अगर ऐसा न होता तो देश में अब तक सबसे अधिक समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस को वक्फ संपत्तियों को कुछ बड़े मुस्लिम नेताओं के कब्जे में रख देने के आरोपों का तथ्यपरक जवाब लेकर सामने आना चाहिए था। आंकड़ों के साथ यह बताना चाहिए था कि वक्फ संपत्तियों से इतने गरीब मुसलमानों, विधवाओं व गरीब मुस्लिम महिलाओं की सहायता की गई।

वक्फ के नाम पर देश में लाखों हेक्टेयर भूमि है। अगर इसका ठीक से उपयोग हुआ होता और कांग्रेस मुस्लिमों को सिर्फ वोट बैंक न समझती तो स्थिति कुछ और होती। आज मुस्लिम समुदाय के भीतर से संशोधित वक्फ कानूनों के समर्थन में आवाजें उठ रही हैं, समुदाय के लोग ही वक्फ बोर्डों पर संपत्तियां हड़पने के आरोप लगा रहे हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग कांग्रेस सहित उन सभी दलों से जवाब मांग रहे हैं, जो संशोधनों का विरोध कर रहे हैं।

हिंदू हितों पर कुठाराघात

यह तो आने वाला समय बताएगा कि नए वक्फ कानून का विरोध कांग्रेस को कितने मुस्लिम वोट दिला पाएगा, लेकिन वक्फ कानूनों के विरोध के बहाने उसकी हिंदू विरोधी होने की प्रवृत्ति एक बार फिर सामने आ गई है। हालांकि वक्फ कानूनों का मजहब की आजादी या मस्जिदों या अन्य मजहबी मामलों की व्यवस्थाओं से कोई लेना-देना नहीं है। इसका संबंध सिर्फ दान में दी गई जमीन अथवा मुस्लिमों की बेनामी जमीन और संपत्ति के प्रबंधन से है, लेकिन बांग्लादेश से लेकर संशोधित वक्फ कानूनों के विरोध के बहाने जिस तरह मुस्लिमों के ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही है, वह चिंताजनक है। पश्चिम बंगाल में हो रहे हिंदुओं के उत्पीड़न पर कांग्रेस की चुप्पी भी सवाल खड़े करती है। आखिर क्यों कांग्रेस ममता सरकार पर सवाल नहीं उठा रही है?

क्या कांग्रेस को मुस्लिम वोटों के लिए हिंदुओं के उत्पीड़न से भी गुरेज नहीं है? भले ही वक्फ का इतिहास आजादी से पहले का है, लेकिन पहला वक्फ बोर्ड अधिनियम तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू सरकार ने बनाया था। फिर उसी सरकार ने 1955 में इसमें संशोधन किया और वक्फ बोर्ड को ज्यादा अधिकार दे दिए। इसके बाद 1995 में कांग्रेस सरकार ने ही इसमें संशोधन कर वक्फ को पहले से ज्यादा अधिकार दे दिए। इसके बाद 2013 में संशोधन कर वक्फ बोर्डों को असीमित अधिकार दे दिए गए। इसकी आड़ में वक्फ बोर्ड ने देश भर में बड़ी संख्या जमीन ही नहीं हथियाई, बल्कि सरकारी जमीनों पर भी कब्जा कर लिया।

कठघरे में कांग्रेस

नए वक्फ कानून के विरोध पर देश के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त उदय माहूरकर कहते हैं, ‘‘कांग्रेस सरकारों का वक्फ एक्ट देश के इस्लामीकरण के षड्यंत्र का हिस्सा था। इसकी आड़ में देश में मुगलिया सल्तनत को कायम रखने की साजिश की गई। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने देश में राज व्यवस्था का ऐसा मॉडल तैयार किया, जो भारत में एक अन्य पाकिस्तान तैयार करने वाला था।’’ तो कांग्रेस की नीति और नीयत पर संशय खड़ा होना स्वाभाविक है।

कांग्रेस सरकार की कार्यशैली और नीतियां सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण तक सीमित नहीं हैं। कांग्रेस सत्ता पाने के लिए भारत के इस्लामीकरण के लिए षड्यंत्ररूपी बीज को खाद-पानी भी देती चली आ रही है। कांग्रेस के शासनकाल में ‘हिंदू आतंकवाद’ और ‘भगवा आतंकवाद’ का झूठा विमर्श गढ़ने के लिए कितने गहरे षडयंत्र रचे गए। इसे स्थापित करने के लिए एक कपोल कल्पित कथानक लिखा गया। आतंकी तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी के बाद एक-एक कर वे षड्यंत्र उजागर हो रहे हैं।

संविधान को ठेंगा दिखा कर मुस्लिम आरक्षण की पैरवी, कांग्रेस शासित राज्यों द्वारा न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी कर बार-बार मुस्लिमों को आरक्षण की घोषणा, सलमान खुर्शीद जैसे नेताओं द्वारा हिंदुत्व की तुलना बोको हरम और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों से करना, मुंबई आतंकी हमले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं हिंदू संगठनों का हाथ बताना, यह साबित करता है कि कांग्रेस अब मुस्लिम तुष्टीकरण से आगे हिंदुओं का उत्पीड़न कर देश के स्वरूप को बदलने के षड्यंत्र तक पहुंच गई है।

 

Topics: नेशनल हेरॉल्डराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघहिंदू संगठनहिंदूप्रियंका गांधी वाड्राहिंदू आतंकवादपाञ्चजन्य विशेषभगवा आतंकवादवक्फ संशोधन विधेयकमुस्लिम बहुल वायनाडसनातन संस्कृति विरोधी
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस: छात्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का ध्येय यात्री अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

India democracy dtrong Pew research

राहुल, खरगे जैसे तमाम नेताओं को जवाब है ये ‘प्‍यू’ का शोध, भारत में मजबूत है “लोकतंत्र”

कृषि कार्य में ड्रोन का इस्तेमाल करता एक किसान

समर्थ किसान, सशक्त देश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies