पहलगाम हमले में इस्लामिक आतंकियों द्वारा धर्म के आधार पर हिंदुओं की निर्मम हत्या के बाद भारत द्वारा प्रतिशोध के ऐलान के बाद से पाकिस्तानी सेना और उसके नेताओं की हालात खराब है। जिसके चलते अब पाकिस्तान की पोल खुद उसके नेताओं के मुंह से खुल रही है। पहले रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने माना कि पाकिस्तान दशकों से आतंकवाद को पालता रहा है, और अब पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने साफ-साफ कह दिया कि पाकिस्तान का अतीत आतंकवाद को समर्थन देने वाला रहा है।
दरअसल बिलावल ने 1 मई को स्काई न्यूज को दिए इंटरव्यू में साफ तौर से स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने कट्टरपंथ को समर्थन दिया है। अफगान युद्ध के दौरान मुजाहिदीन को आर्थिक मदद और हथियार देने से लेकर आतंकवादी संगठनों को पालने तक – पाकिस्तान ने हर गंदा खेल खेला।
क्या कहा बिलावल ने..?
बिलावल भुट्टो ने कहा कि “जहां तक रक्षा मंत्री ने कहा है, मुझे नहीं लगता कि यह कोई रहस्य है कि पाकिस्तान का एक अतीत (आतंकवाद) है, नतीजतन, हमने भुगता है। यह कोई राज नहीं, जिसे छिपाया जा रहा। पाकिस्तान ने भुगता है। हम कट्टरपंथ की लहर से गुजरे हैं। लेकिन हमने जो झेला है, उसके परिणामस्वरूप हमने अपने सबक भी सीखे हैं। हमने इस समस्या को हल करने के लिए आंतरिक सुधार किए हैं’”
लश्कर के पालतू टीआरएफ ने ली पहलगाम नरसंहार की जिम्मेदारी
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘The Resistance Front (TRF)’ ने 22 अप्रैल को पहलगाम में 26 निर्दोष लोगों की हत्या की। गोलियों की बौछार में पर्यटक मारे गए।
ख्वाजा आसिफ ने भी कबूला था आतंकवाद को संरक्षण
बता दें कि बिलावल से पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी यही बात कबूल कर चुके हैं। उन्होंने स्काई न्यूज को बताया था कि पाकिस्तान दशकों तक आतंकवादियों को ट्रेनिंग, फंडिंग और संरक्षण देता रहा है। आसिफ ने आतंकवाद का दोष पश्चिमी देशों पर डालते हुए कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन के कहने पर पाकिस्तान ने ये भूमिका निभाई।
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था— “हमने पश्चिम के इशारे पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया, यह गंदा काम था, और हमने इसकी कीमत चुकाई है।” आसिफ ने यह भी स्वीकारा था कि अगर पाकिस्तान सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध और 9/11 के बाद की जंग में कूदने से बचता, तो उसका रिकॉर्ड कहीं बेहतर होता। लेकिन सच्चाई यह है कि पाकिस्तान ने सिर्फ अमेरिका या ब्रिटेन के लिए नहीं, बल्कि भारत को अस्थिर करने के लिए आतंक का इस्तेमाल किया।
घबराया पाकिस्तान, खुद स्वीकार रहा गुनाह
भुट्टो और आसिफ दोनों के बयानों को भारत के बढ़ते कूटनीतिक दबाव का परिणाम माना जा रहा है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। भारत ने सख्त कदम उठाते हुए-
- सिंधु जल समझौता निलंबित किया,
- अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट बंद किया,
- पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं रोक दीं।
- पाकिस्तानी उच्चायोग को बंद किया
जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भी शिमला समझौता स्थगित किया, भारतीय उड़ानों के लिए एयरस्पेस बंद करने और भारतीय नागरिकों के वीजा रद्द करने जैसे कदम उठाए।
आतंक पालने वालों की खैर नहीं
कुछ विशेष जानकारों की माने तो पहलगाम जैसे हमलों के बाद भारत अब पुरानी नीति पर नहीं लौटेगा। भारत के नेतृत्व की तरफ से संदेश साफ है कि इस बार आतंक को पालने वालों की अब खैर नहीं।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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