खालिस्तान की मांग करने वाले मुट्ठीभर अलगाववादियों का ऑस्ट्रेलिया में प्रदर्शन फ्लॉप रहा। द ऑस्ट्रेलिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार 1 मई को कुछ खालिस्तान समर्थक भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठे हुए। यह संख्या मात्र 30 तक ही सिमट गई।
आयोजकों के अनुसार सैकड़ों की संख्या में लोगों के जुड़ने की उम्मीद थी, तो वहीं केवल और केवल 30 के लगभग लोग ही इस कथित प्रदर्शन में शामिल हुए। प्रदर्शन में शामिल लोगों के हाथों में पहलगाम में मारे गए लोगों की रक्तरंजित तस्वीरें थीं तो वहीं कुछ लोग भारत के झंडे को फाड़ रहे थे। वे उकसाने वाले काम कर रहे थे।
ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थक तत्व पिछले कई वर्षों से अपना सिर उठा रहे हैं और भारतीयों को काफी परेशान कर रहे हैं। मगर यह भी सच है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष खालिस्तान समर्थकों की संख्या में कमी आई है। ऑस्ट्रेलिया टुडे से बात करते हुए एक अलगाववादी ने कहा “मुझे नहीं पता क्यों, मगर पिछले वर्ष से हमें पहले के जैसे समर्थन नहीं मिल रहा है।”
एक बात महत्वपूर्ण थी कि इस कथित प्रदर्शन में मौजूद कुछ लोगों ने पाकिस्तान ज़िन्दाबाद के भी नारे लगाए। इससे यह बात भी साबित हुई कि खालिस्तान समर्थक और कोई नहीं बल्कि पाकिस्तान समर्थक ही हैं। यह भी हैरान करने वाली बात है कि पाकिस्तान में लगातार सिखों का दमन और उत्पीड़न उनके धर्म के आधार पर हो रहा है और अब वहां पर मुट्ठी भर सिख ही शेष हैं, फिर भी खुद को सिखों का प्रतिनिधि कहने वाले खालिस्तान समर्थक पाकिस्तान में हो रहे सिखों के प्रति अत्याचार पर बात न करके पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक भारतीय उच्च अधिकारी ने इस प्रदर्शन की निंदा करते हुए इसे पाकिस्तान के हाथों की कठपुतली बताया। उन्होंने कहा कि हम हमेशा से ही यह जानते हैं कि यह पूरा नाटक पाकिस्तान के हाथों की कई कठपुतलियों के द्वारा हो रहा है।
ऑस्ट्रेलिया टुडे से वहां पर रहने वाले कई भारतीयों ने भी बात की। उन्हें इस बात को लेकर बहुत गुस्सा था कि आखिर उनके देश की छवि के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। प्रदर्शन स्थल के पास काम करने वाले प्रोजेक्ट मैनेजर रोहित बंसल ने कहा कि उन्हें वहां पर भारतीय झंडे के साथ किये जा रहे अपमान पर बहुत गुस्सा आ रहा है। दोपहर के भोजन के लिए बाहर आया और यह नाटक देखा, यह ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, इन गुंडों को भारत और उसके लोगों से बहुत नफरत है।
ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान समर्थक रह-रह कर ऐसी हरकतें करते रहते हैं, जिनके कारण आम सिख भी परेशान हैं। वे हिन्दू मंदिरों में तोड़फोड़ भी करते हैं। हमला करते हैं। वर्ष 2023 में खालिस्तान जनमत संग्रह के दौरान मारपीट की दो घटनाएं हुई थीं। उस हिंसा के बाद भी कई सिखों ने खालिस्तान समर्थक सिखों से दूरी बना ली थी। उस समय बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार कई सिख परिवारों ने यह कहा था कि वे खालिस्तान का समर्थन नहीं करते हैं और खालिस्तान पर जनमत संग्रह एक बकवास से अधिक कुछ नहीं है।
कई वर्षों से खालिस्तान समर्थक समूहों की गतिविधियां बढ़ी हैं, वे आजादी की बात करते हैं मगर अब धीरे-धीरे जैसे-जैसे उनका कथित आंदोलन आगे बढ़ रहा है, उनके चेहरे से मुखौटे हट रहे हैं और असली चेहरा सामने आ रहा है। असली चेहरा है पाकिस्तान का। पाकिस्तान से आए सिख परिवारों के पास अभी भी विभाजन के समय की वे कहानियां हैं, जिनमें अपनों से बिछड़ने का दर्द है, पीड़ा है। विभाजन के समय न जाने कितने सिख पाकिस्तानी सोच का शिकार हुए थे। वही सोच कि हर कीमत पर उन्हें पाकिस्तान चाहिए ही चाहिए। रावलपिंडी से लेकर लाहौर तक पीड़ा की जो कहानियां हैं, वे जिंदा हैं। रक्त अभी भी सूखे रूप में मौजूद है। फिर भी कथित खालिस्तान समर्थकों का राजनीतिक आका पाकिस्तान है और क्यों है, यह नहीं पता।
ऑस्ट्रेलिया में 1 मई 2025 को हुए प्रदर्शन से एक बार फिर से खालिस्तान समर्थकों का असली चेहरा सामने आया है।
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