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27 साल पहले हिमाचल में भी हुआ था पहलगाम जैसा आतंकी हमला,मुस्लिम शख्स को छोड़ आतंकियों ने किया था 35 हिन्दुओं का नरसंहार

वर्ष 1998 में भी एक भयावह आतंकी हमला हुआ था, जब आतंकियों ने 35 हिंदू मजदूरों का नरसंहार कर दिया था, जबकि मुस्लिम व्यक्ति को छोड़ दिया गया था। यह हमला हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में किया गया था।

Published by
आर पी सिंह

पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। आज के इंटरनेट और सोशल मीडिया दौर का नतीजा था कि पल भर में ही ये खबर पूरी दुनिया में फैल गई। अब से 27 साल पहले ऐसा ही एक घटना हुई जिसने देश को हिलाकर रख दिया था। 1998 में भी इसी तरह हुआ था जब आतंकियों ने 35 हिन्दू मजदूरों का नरसंहार कर दिया था और मुस्लिम शख्स को बख्श दिया था। ये हमला हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में हुआ था। नब्बे के दशक में कश्मीर आतंकवाद की आग में जल रहा था हिन्दू पलायन कर रहे थे ऐसे में आस-पास के इलाकों में भी आतंकियों ने अपनी दहशत फैला रखी थी। कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने चंबा में हुए आतंकी हमले के जख्म फिर से हरे कर दिए।

हिमाचल प्रदेश के का चंबा जिला कश्मीर की सीमा से भी जुड़ा है ऐसे में कश्मीर में फैले आतंक का असर हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में भी दिखाई देता था। साल 1998 में हुए इस आतंकी हमले में 35 हिंदू मजदूरों को आतंकियों ने बहुत ही बेरहमी से हत्या कर दी थी। मारे गए सभी मजदूर दूसरे राज्यों से चंबा जिले में काम करने के लिए आए थे। इस हमले में आतंकियों ने 6 हिन्दू मजदूरों को बंधक बना लिया और मुस्लिम मजदूरों को जिंदा छोड़ दिया। बाकी मजदूरों का कत्ल कर दिया और बंधक बनाए गए 5 मजदूरों का आज तक पता ही नहीं चला। आतंकियों ने ये हमला एक रणनीति के तहत किया था जिसके मुताबिक वो कश्मीर की तरह से हिमाचल प्रदेश में भी अपना खौफ फैलाना चाहते थे ताकि वो वहां पर भी इस्लामिक राज्य स्थापित कर सकें।

तत्कालीन हिमाचल के सियासी माहौल को देखते हुए आतंकियों ने रणनीतिक फैसले के तहत ये हमला किया था ताकि उनका खौफ हिमाचल में भी दिखाई पड़े। आतंकियों के इस हमले ने न केवल चंबा जिले बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश में डर और अविश्वास का माहौल बना दिया था। इस हमले के बाद चंबा और हिमाचल प्रदेश में सुरक्षा की कड़ी निगरानी रखी गई, लेकिन उस समय के आंतरिक संकट और भय ने हर किसी को चिंतित कर दिया था। आज भी इस हमले की यादें लोगों के दिलों में ताजा हैं, और यह घटना कभी भी हिमाचल प्रदेश की आतंकी गतिविधियों के इतिहास का एक गहरा निशान बन गई है।

हिजबुल मुजाहिद्दीन ने ली थी कालावन आतंकी हमले की जिम्मेदारी

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 2 अगस्त 1998 को एक खौफनाक आतंकी हमला होता है, जिसमें आतंकियों ने सिर्फ हिन्दुओं को निशाना बनाया और 35 हिन्दुओं का कत्ल कर दिया जबकि उन्ही के साथ काम कर रहे मुस्लिम मजदूरों को आतंकियों ने छोड़ दिया। जबकि 5 और हिन्दू मजदूरों को आतंकी बंधक बनाकर अपने साथ ले गए, जिनका आज तक कोई पता नहीं चला। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी हिजबुल मुजाहिदीन नाम के आतंकी संगठन ने ली थी। यह हमला चंबा और कश्मीर की सीमा पर स्थित सतरुंडी कालावन नामक गांव में हुआ था। आतंकवादियों ने यह हमला रात में किया था, जब सभी मजदूर अपने टेंटों में सो रहे थे।

क्या हुआ था हमले वाले दिन?

हमले के दिन, ये मजदूर दुर्गम साच पास मार्ग पर सड़क निर्माण के काम में लगे हुए थे। यह मार्ग पहाड़ी इलाकों में था, और मजदूर इस कठिन इलाके में सड़क बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। वे अस्थायी रूप से टेंट में रह रहे थे, और यही उनके लिए सुरक्षित स्थान था। लेकिन आतंकवादियों ने उनके लिए किसी भी प्रकार की सुरक्षा का ख्याल नहीं रखा। आतंकियों ने एक साथ हमला किया और मजदूरों को घेर लिया। निर्दोष मजदूरों पर हमला करते हुए, उन्होंने उन पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इस हमले में कई मजदूरों की मौत हो गई और वे बुरी तरह से घायल हो गए। आतंकवादियों ने कुल 35 मजदूरों को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। इस हमले के दौरान पांच को बंदी बना लिया गया और उन्हें अपने साथ ले गए। इन मजदूरों का क्या हुआ, इसका आज तक इसका पता नहीं चल पाया है।

इतिहास का काला अध्याय बनकर रह गई कालावन आतंकी हमले की दास्तां

यह हमला इस तथ्य को और भी भयानक बनाता है कि इन मजदूरों ने न तो किसी राजनीति में भाग लिया था, न ही कोई संघर्ष छेड़ा था। वे बस अपनी रोज़ी-रोटी के लिए काम कर रहे थे। उनका अपराध सिर्फ इतना था कि वे जम्मू-कश्मीर की सीमा के पास काम कर रहे थे, और आतंकवादी संगठन के लिए यह एक अवसर बन गया था। यह हमला न केवल चंबा जिले में, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश में आतंकवाद के बढ़ते खतरे का संकेत था। साच पास जैसे दुर्गम इलाके में काम कर रहे मजदूरों का इस प्रकार शिकार होना, आतंकवादियों के लिए यह एक घिनौना कदम था, जिसने पूरे इलाके में डर और अविश्वास का माहौल बना दिया था। आज भी इस घटना की यादें लोगों के दिलों में ताजा हैं, और यह घटना प्रदेश के इतिहास का एक काला अध्याय बन गई है।

मौके पर बनाया गया है शहीद स्मारक

2 अगस्त 1998 को चंबा जिले के सतरुंडी और कालावन गांवों में हुए आतंकवादी हमला, जिसमें निर्दोष मजदूरों की बेरहमी से हत्या की गई थी। इस हमले के बाद, उन शहीद मजदूरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 14 सितंबर 2014 को एक शहीद स्मारक का निर्माण किया गया।

यह स्मारक घटनास्थल पर स्थापित किया गया, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इस जघन्य हमले के बारे में जानकारी मिल सके और उन मजदूरों की शहादत को याद किया जा सके। इस स्मारक पर हमले के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसमें बताया गया है कि सतरुंडी गांव में 9 और कालावन गांव में 26 हिंदू मजदूरों की आतंकवादियों ने हत्या की थी। ये मजदूर चंबा जिले के दुर्गम इलाके में साच पास मार्ग पर सड़क निर्माण कार्य में लगे हुए थे। हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकवादियों ने रात के अंधेरे में उन पर हमला किया और उन्हें बेरहमी से गोलियों से भून डाला था।

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