भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी के खिलाफ न्यूयॉर्क स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों ने न केवल भारत की आर्थिक संरचना को झटका दिया, बल्कि वैश्विक राजनीति और रणनीतिक साझेदारियों को भी प्रभावित किया। यह षड्यंत्र अडाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कमजोर करने के लिए रचा गया था। एक गुप्त ऑपरेशन के बाद इस्राएल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने यह खुलासा किया है। मोसाद की रिपोर्ट के अनुसार, गौतम अडाणी के उद्योगों को करीब ढाई लाख करोड़ का नुकसान पहुंचाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट एक बड़ी साजिश और मिलीभगत का हिस्सा थी। इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सैम पित्रोदा का नाम भी आया है।
24 जनवरी, 2023 को जब हिंडनबर्ग ने अडाणी समूह पर भारत के कॉर्पोरेट इतिहास का ‘सबसे बड़ा घोटाला’ करने का आरोप लगाया, ठीक उसी समय अडाणी पोर्ट्स ने इस्राएल के सबसे बड़े बंदरगाह हाइफा को खरीदने के लिए 1.2 अरब डाॅलर का करार किया था। उस समय प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी मौजूद थे। उन्होंने अडाणी से व्यक्तिगत तौर पर हिंडनबर्ग के आरोपों पर सवाल भी पूछा था। उन्होंने कहा था, “अगर यह हमला आपको कमजोर करता है, तो यह सिर्फ इस बंदरगाह सौदे को नहीं, बल्कि भारत और इस्राएल के साझे भविष्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है।”
वैश्विक साजिश और ऑपरेशन जेपेलिन
नेतन्याहू ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को भारत को कमजोर करने की साजिश मानते हुए अपनी खुफिया एजेंसी को तत्काल काम पर लगाया। इसके बाद मोसाद ने ‘ऑपरेशन जेपलिन’ शुरू किया और हिंडनबर्ग के वैश्विक नेटवर्क की पड़ताल शुरू की। मोसाद ने हिंडनबर्ग के न्यूयार्क स्थित कार्यालय और कंपनी के संस्थापक नाथन एंडरसन की निगरानी की। फिर पूरे षड्यंत्र का पटाक्षेप कर दिया। इसमें कई एक्टिविस्ट, वकील, पत्रकार, हेड फंड और जॉर्ज साेरोस की मिलीभगत भी सामने आई। 353 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी एजेंसी USAID, OCCRP तथा ब्लूमबर्ग व गार्डियन जैसी कुछ पश्चिमी मीडिया और भारत के विपक्षी नेता इस पूरे षड्यंत्र में शामिल थे।
मोसाद ने सितंबर 2023 में हिंडनबर्ग के संस्थापक नथान एंडरसन के ईमेल डिक्रिप्ट किए, जिसमें लिखा था, “नेट की रिपोर्ट तो बस शुरुआत थी, अभी और आने वाला है।” USAID ने पश्चिमी मीडिया और संगठनों के माध्यम से अडाणी विरोधी नैरेटिव को जानबूझकर बड़ा बनाया। यहां तक कि अमेरिकी न्याय विभाग और SEC ने भी अडाणी पर कानूनी कार्रवाई की, लेकिन मामला अदालत में टिक नहीं सका। जनवरी 2024 में अडाणी को ऑपरेशन जेपेलिन की जानकारी दी गई। नवंबर 2024 में मोसाद ने यह रिपोर्ट कुछ मीडिया हाउस को दी, लेकिन केवल फ्रेंच पोर्टल ‘मिडियापार्ट ने इसे प्रकाशित किया। अंततः जनवरी 2025 में नाथन एंडरसन ने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का फैसला लिया, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यह मामला भी खत्म हो गया।
राहुल गांधी, सैम पित्रोदा की निगरानी
मोसाद ने भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के अमेरिका स्थित घर के सर्वर को हैक किया तो उसे कथित रूप से एन्क्रिप्टेड चैटरूम्स और हिंडनबर्ग से कांग्रेस नेताओं के बैक चैनल संवाद के सबूत मिले, जिसे उसने उजागर किया। इस जांच में राहुल गांधी और हिंडनबर्ग रिसर्च टीम के बीच संबंध स्पष्ट रूप से सामने आए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इसका मकसद गौतम अडाणी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कमजोर करना था। रिपोर्ट से भारतीय शेयर बाजार को 150 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ था। मोसाद की अंदरूनी बातचीत में राहुल गांधी को ‘कड़वा वंशज’ कहा गया। रिपोर्ट के अनुसार, राहुल मई 2023 में अमेरिका के पालो ऑल्टो में हिंडनबर्ग से जुड़े लोगों से मिले थे।

भारत के खिलाफ षड्यंत्र
यह रिपोर्ट सिर्फ अडाणी के खिलाफ वित्तीय हमले की कहानी भर नहीं है, बल्कि यह भारत और उसके रणनीतिक साझेदार इस्राएल के विरुद्ध चल रही एक बहुस्तरीय अंतरराष्ट्रीय साजिश को भी उजागर करती है। एक ओर यह भारत के विपक्ष की भूमिका पर सवाल खड़े करती है, तो दूसरी तरफ बताती है कि आज की वैश्विक राजनीति में आर्थिक हमले भी किसी सैन्य युद्ध से कम नहीं हैं। यह भी कि मोसाद जैसे संगठन इन्हें रोकने के लिए कितनी दूर तक जा सकते हैं। हिंडनबर्ग ने अडाणी-सेबी ही नहीं, बल्कि दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों को निशाना बनाया था। उसने 2020 में अमेरिकी कंपनी निकोला पर अपनी टेक्नोलॉजी को लेकर निवेशकों से झूठ बोलने का आरोप लगाया था। इस मामले में अमेरिकी अदालत ने कंपनी के संस्थापक ट्रेवर मिल्टन को धोखेबाजी के लिए दोषी ठहराया था।
2017 में स्थापित और मात्र 10 कर्मचारियों वाली हिंडनबर्ग रिसर्च ने सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में अफरा-तफरी मचाई। उसने ट्विटर (अब एक्स) को भी नहीं छोड़ा था। 2022 में हिंडनबर्ग ने ट्विटर में पहले शॉर्ट पोजिशन लिया था। फिर कहा कि अगर एलन मस्क ट्विटर के साथ होने वाले करार से पीछे हटे तो 44 अरब डॉलर का ऑफर कम हो जाएगा। फिर जुलाई में इसने मस्क के खिलाफ एक चाल चली और ट्विटर में लॉन्ग पोजिशन बनाई। लेकिन मस्क ने 44 अरब डॉलर में ट्विटर को ही खरीद लिया था।
कुछ समय पहले अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कंपनी को टारगेट करने के आरोप में अमेरिका के न्याय विभाग ने 30 निवेश एवं रिसर्च कंपनियों तथा उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ जांच शुरू की थी। जिन कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू हुई थी, उनमें हिंडनबर्ग रिसर्च भी शामिल है। ये कंपनियां किसी को भी लक्षित करके उसकी वित्तीय रिपोर्ट जारी करती थीं और उसके स्टॉक पर अपना शॉर्ट पोजीशन बनाती थीं। उस कंपनी का स्टॉक जितना गिरता, उतना ही ये लाभ कमाती थीं।
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