कनाडा की खालिस्तानी पार्टी एनडीपी के नेता जगजीत सिंह (फोटो साभार: एचटी)
कनाडा चुनावों के नतीजे तकरीबन स्पष्ट हो चुके हैं। देश की सत्ता में लगातार लिबरल पार्टी की बनी रहेगी इसमें फिलहाल कोई संदेह नहीं है। हालांकि बहुमत के आंकड़े को छूती दिखाई नहीं दे रही जैसा कि पिछली बार हुआ था और तब लिबरल पार्टी के जस्टिन ट्रूडो को खालिस्तानी समर्थक जगमीत सिंह की एनडीपी (न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ) जो 25 सीटें जीती थी, ने समर्थन देकर सरकार चलाई थी। लेकिन इस बार के चुनावों में एनडीपी का सूपड़ा साफ होता दिखाई दे रहा है।
अभी तक के नतीजों में जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली एनडीपी को मात्र 7 सीटें ही मिलती दिखाई दे रही हैं। हैरानी इस बात की है कि कभी कनाडा के प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने वाले खालिस्तानी समर्थक सांसद जगमीत सिंह खुद भी चुनाव हार गए हैं। उनके नेतृत्व में एनडीपी का इतना बुरा हाल हो गया कि एनडीपी का राजनीतिक पार्टी का स्टेटस तक छिनने जा रहे हैं। इसी के चलते जगमीत सिंह ने अब इस्तिफा दे दिया है।
कनाडाई पत्रकार ऋषि नागर बताते हैं कि देश में किसी भी पार्टी का राजनीतिक पार्टी का स्टेटस तभी कायम रहे सकता है जब उसके पास कम से कम 12 सीटें हों लेकिन एनडीपी उससे कम सिर्फ 7 पर ही सिमट रही है। गौर रहे कि यदि अंत तक यही नतीजे रहे तो जगमीत सिंह के नेतृत्व में सरकार का सपना देखने वाली एनडीपी को खुद जगमीत सिंह ने ही डुबो दिया, ऐसा कहना शायद गलत नहीं होगा।
गौरतलब कि कि एनडीपी की स्थापना 1961 में हुई थी। वर्तमान में सिख सांसद जगमीत सिंह इस पार्टी के लीडर हैं। यह सामाजिक न्याय, लेबर राइट्स, आर्थिक समानता, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक कल्याण पर जोर देती है। 2021 के संघीय चुनाव में NDP ने 25 सीटें जीतीं, जिससे यह हाउस ऑफ कॉमन्स में चौथी सबसे बड़ी पार्टी बनी। लेकिन इस बार चुनाव से पहले हुए रिसर्च में NDP की सीटें घटने का अनुमान लगाया गया था और वो सही साबित होता दिखाई दे रहा है।
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