जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा 26 हिन्दुओं की बेरहमी से हत्या किए जाने की घटना से दुखी इंदौर में एक मुस्लिम व्यक्ति ने इस्लाम त्यागकर सनातन धर्म में घर वापसी कर ली। ये व्यक्ति हैं शहाबुद्दीन, जो कि शहर के कुलकर्णी भट्टा क्षेत्र स्थित सैयद निजामुद्दीन की दरगाह की बीते 40 वर्ष से सेवा कर रहे थे।
क्या कहा शहाबुद्दीन ने
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लाम त्यागकर घर वापसी करने के बाद दरगाह के खादिम शहाबुद्दीन ने अपना नाम भी बदलकर श्यामलाल रख लिया। उन्होंने कहा पहलगाम में आतंकियों के द्वारा जिस प्रकार से धर्म पूछकर हिन्दुओं की हत्या की गई है, उसके बारे में मैंने काफी गहराई से अध्ययन किया। इस पर सोचने के बाद मुझे अपनी गलती का आभास हुआ औऱ अब मैंने फैसला किया है कि अब से इस दरगाह में कव्वालियों की जगह हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा।
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दरगाह पर हुआ हनुमान चालीसा का पाठ और भंडारा
श्यामलाल की घर वापसी की खुशी में जिस दरगाह पर अब तक कव्वाली गाई जाती थी, वहीं रामायण, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। साथ ही इस मौके पर भव्य भंडारे का भी आयोजन हुआ। श्यामलाल बने शहाबुद्दीन ने बताते हैं कि मैं पहले सनातनी ही था, लेकिन कव्वालियों से प्रभावित होकर इस्लाम अपना लिया था। लेकिन अब मुझे अपनी गलती का अहसास हो चुका है। शहाबुद्दीन के द्वारा आयोजित इस भंडारे में क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल हुए और पहलगाम हमले की निंदा की।
पहलगाम के मृतकों के सम्मान में दो मिनट का मौन
इस मौके पर शहाबुद्दीन ने पहलगाम आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन भी रखा। अपने फैसले को लेकर शहाबुद्दीन कहते हैं कि मैं भटक गया था, जो उधर चला गया था, लेकिन अब मैं इधर फिर वापस आ गया हूं। उन्होंने दरगाह पर सालभर सुंदरकांड का पाठ करने का लक्ष्य रखा है।
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