1992 का राजस्थान में अजमेर कांड तो याद होगा आपको जिसमे अजमेर शरीफ दरगाह के खादिम परिवार के फारूक और नफीस चिश्ती के मजहबी गैंग ने सौ से अधिक हिंदू लड़कियों को फंसाकर अपनी हवस का शिकार बनाया, फिर उन्हें ब्लैकमेल कर उनके साथ सामूहिक यौन शोषण (गैंगरेप) किया था। अब ठीक उसी पैटर्न पर भोपाल में ‘लव जिहाद सिंडिकेट’ का भंडाफोड़ हुआ है।
भोपाल के इस कांड का तरीका भी अजमेर कांड की तरह ही है, जिसमे पहले भोपाल के एक कॉलेज की एक छात्रा को प्यार के जाल में फंसाया गया, फिर प्यार के बहाने उसके अंतरंगता से जुड़े अश्लील वीडियो बनाए गए और उसके बाद इस छात्रा को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया गया।
बता दें यह कोई सामान्य आपराधिक मामला नहीं, बल्कि एक सुनियोजित मजहबी साजिश है, जिसे फरहान खान, साहिल खान और अली खान जैसे मजहबी युवकों ने अंजाम दिया। इन मजहबी युवकों ने पहले हिन्दू नाम रखकर, हिन्दू छात्राओं से दोस्ती की, फिर दुष्कर्म कर उनके अश्लील वीडियो बनाए और अंततः ब्लैकमेल किया और इस्लाम में कन्वर्जन का दबाव बनाया।
मजहबी दरिंदों ने ये काम एक हिन्दू छात्रा के साथ नहीं किया। बल्कि एक-एक कर 3 हिंदू छात्राओं को अपने इस मजहबी षड्यंत्र (लव जिहाद) में फंसाकर शिकार बनाया। हालांकि पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही है, इसलिए अजमेर कांड की तरह अन्य पीड़िताओं के सामने आने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
पहले वीडियो फिर ब्लैकमेलिंग, फिर सहेलियों से मुलाकात का दबाव
इस मजहबी षड्यंत्र की पीड़िताओं के बयान बताते हैं कि एक बार फंसने के बाद, आरोपियों द्वारा लड़कियों से कहा गया कि वे अपनी सहेलियों को भी इन “लड़कों” (जो आरोपियों के सिंडिकेट के सदस्य जो मुस्लिम थे) से मिलवाएं, वरना उनके अश्लील वीडियो वायरल कर दिए जाएंगे।
डर, समाज का भय और इज्ज़त की चिंता पीड़ित हिन्दू छात्राओं को मजबूर करती थी, जिसके चलते छात्राएं मजबूरी में अपनी सहेलियों को इन वहशी दरिंदों के हवाले ठीक वैसे करती रहीं जैसा कि अजमेर कांड में हुआ था।
सनातन को अपमानित कर बनाया जाता था इस्लाम कबूलने का दबाव
पुलिस को पीड़िताओं ने बताया कि आरोपी हमारे सामने हिंदू धर्म के खिलाफ अश्लील और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया करते थे, इसके बाद वह हमें जबरन इस्लाम कबूल करवाने की कोशिश भी किया करते थे। उन्होंने हमारा कन्वर्जन करवाने के लिए बहुत दबाव बनाया था। वह चाहते थे कि किसी भी तरह से हम इस्लाम कबूल कर लें।
‘कैसे मांगते मदद उनके पास हमारी वीडियो थी’
पीड़ित लड़कियों ने बताया कि उनकी नजर हम पर रहती थी, किसी भी लड़की ने पहले हिम्मत नहीं दिखाई, क्योंकि आरोपियों के पास उनकी और उनके परिवार की इज्जत थी। आरोपी उन्हें अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दिया करते थे। बता दें यहां भी मजहबी आरोपियों ने वही फॉर्मूला अपनाया जो अजमेर में आज से तीन दशक पहले अपनाया गया था।
कानून की पकड़ में दरिंदे
यह मामला 18 अप्रैल को दर्ज कराया गया था जिसके बाद इस पूरे मामले की जानकारी पुलिस को हुई तो भोपाल पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 4 अफसरों का विशेष जांच दल गठित कर दिया है। लेकिन जांच के बाद जो खुलासे हुए उससे पुलिस और सतर्कता से जांच में जुट गई है।
जिसके बाद पुलिस ने फरहान खान और साहिल खान को गिरफ्तार किया, जबकि अली खान की तलाश जारी है। पुलिस ने आईटी एक्ट, पॉक्सो, ब्लैकमेलिंग, धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
काउंसलिंग में निकल रहीं नई-नई जानकारियां
वहीं पुलिस ने इसके बाद पीड़ित छात्राओं की भी काउंसलिंग कराई, जिसमें कई नई-नई जानकारियां निकलकर सामने आई हैं। पीड़ित युवतियों ने जहांगीराबाद और अशोका गार्डन इलाके में अपने साथ रेप होने की बात भी पुलिस को बताई।
जिहादी मानसिकता द्वारा पोषित संगठित अभियान
बता दें कि यह मामला केवल एक यौन शोषण का मामला नहीं, बल्कि कट्टरपंथी जिहादी मानसिकता द्वारा पोषित हिंदू समाज और सनातनी लड़कियों को मानसिक, सामाजिक और धार्मिक रूप से तोड़ने का एक संगठित अभियान है।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया। यह सम्मान 8 मई, 2023 को दिल्ली में इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र (IVSK) द्वारा आयोजित समारोह में दिया गया, जिसमें केन्द्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल, RSS के सह-प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी, और उदय महुरकर जैसे गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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