उत्तराखंड

उत्तराखंड: जलाशयों की भूमि पर अवैध कब्जे कर रह रहे हैं शातिर अपराधी, पुलिस की कांबिंग में पकड़े गए अभियुक्त

उधम सिंह नगर के गूलरभोज डैम पर अवैध कब्जों और ठगी की वारदातों को अंजाम देने वाले कलंदर समुदाय के अपराधियों पर पुलिस ने कसी नकेल। एसएसपी मिश्रा के नेतृत्व में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित हुई।

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उत्तराखंड ब्यूरो

उधम सिंह नगर: तराई क्षेत्र के जलाशयों पर अवैध कब्जों की खबर “पाञ्चजन्य” में प्रकाशित होने के बाद, जिला पुलिस द्वारा इन क्षेत्रों में जाकर सत्यापन कांबिंग करने के दौरान कई शातिरों की धर पकड़ हुई है।

एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने बताया कि किसी जमाने में कलंदर और मदारी का काम करने वाले जनपद उधमसिंह नगर स्थित गूलरभोज डैम के सिंचाई विभाग की भूमि पर अवैध रूप से बसे ठंडानाला के ज्यादातर परिवार अब देश के अन्य राज्यों में लोगों को सम्मोहित कर बड़ी-बड़ी ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।

उन्होंने बताया कि ऐसे ही दो अपराधी सैफुद्दीन पुत्र मोहमुद्दीन और शहजाद मोहम्मद पुत्र खुशी मोहम्मद निवासी ठंडानाला गूलरभोज को उनके घर से हरियाणा और जिला पुलिस की एक संयुक्त टीम ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

एसएसपी मिश्रा के अनुसार, ये शातिर ठग इब्राहिम पुत्र खुशी मोहम्मद को पीपल पड़ाव वन रेंज के जंगल से पुलिस टीम ने भेष बदलकर गिरफ्तार किया। इसके अलावा पुलिस ने ठंडानाला निवासी अनवर पुत्र लियाकत और मुजाहिर पुत्र गुलाम को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।

उधर पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए फिलहाल तराई के जंगलों में कांबिंग शुरू कर रही है, चूंकि ये शातिर लोग खानाबदोश होते हैं, इसलिए कई महीनो तक जंगल में भी बड़े आराम से अपना जीवन यापन कर लेते हैं और अक्सर वारदात करने के बाद जंगल को ही अपना शरण स्थली बनाते हैं।

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दौरान मूल रूप से मेरठ के रहने वाले कलंदर और मदारी समुदाय के इन लोगों के परिजन श्रमिक के तौर पर काम करने गूलरभोज पहुंचे थे और डैम निर्माण के बाद डैम की ही भूमि पर अवैध रूप से ये लोग रहने लगे और अपने पुश्तैनी कारोबार के तहत गांव देहात में कलंदर और मदारी का काम कर अपना पेट पालने लगे…उधर सन 1972 में देश में वन्य जीव अधिनियम लागू होने के बाद बंदर और भालू नाचने पर जैसे ही प्रतिबंध लगा इन लोगों के समक्ष रोजगार का संकट गिरने लगा इसके बाद इन्होंने अपराध की दुनिया का रुख कर लिया और बताया यह भी जाता है कि इनमें से ज्यादातर लोग अब अपराध की दुनिया से जुड़े हुए हैं।

वन्य जीव अधिनियम के बाद वन विभाग की जैसे-जैसे सख्ती बढ़ी कलंदर समाज का खानादानी पेशा और पेट भरने का जरिया भी खत्म होता गया लिहाजा अपराध की तरफ रुझान रखने वाले ठंडानाला के ज्यादातर परिवार ठगी का काम करने लगे…ये कलंदर या मदारी घूमंतु जीवन जीने वाले समुदाय के लोग है,जो देशभर में भालू-बंदरों का खेल दिखाकर अपना जीवन बसर किया करते थे। गदरपुर थाने के पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार ठंडानाला में रहने वाले इन लोगों में से 70% लोग अब अपराध की दुनिया से जुड़े हुए हैं और यहां रहने वाले 45 लोगों के खिलाफ तो स्थानीय थाने में कई आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं।

दरअसल ये कलंदर समूह के लोग एक प्रकार के मुसलमान फकीर थे जो बंदर, भालू नचाते और लोगों को तमाशे दिखाते थे।
ये लोग शाह मदार के अनुयायी होते हैं और इन्हें मदारी, कलंदर के साथ-साथ बाजीगर भी कहा जाता है। इस गिरोह के सदस्य महिलाओं, पुरुषों और बच्चों सम्मोहित अथवा ध्यान भ्रमित कर उनके पहने हुए आभूषण, कीमती सामान और नकदी लेकर मौके से फरार हो जाते हैं।

एसएसपी मिश्रा ने बताया कि देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले ठंडानाला के इन शातिर ठगों पर कानूनी शिकंजा कसने के लिए अब एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन कर दिया है, जो खास तौर पर इन शातिर ठगों को उनके असल मुकाम तक पहुंचाने का काम करेगी।

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