कोलकाता । पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ अधिनियम संशोधन के विरोध की आड़ में 11-12 अप्रैल को हुई हिंसा ने भड़के ने सैकड़ों हिन्दू परिवारों को बेघर कर दिया और तीन लोगों की जान ले ली। शनिवार को राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष विजया रहाटकर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुर्शिदाबाद के बेतबोना इलाके में दंगा पीड़ितों से मुलाकात की। रहाटकर ने पीड़ितों को आश्वासन दिया, “डरने की जरूरत नहीं, देश और आयोग आपके साथ है।”
उन्होंने कहा कि इस दौरे की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी जाएगी और कार्रवाई की मांग की जाएगी। इस दौरान पीड़ित महिलाओं ने आयोग को दंगों के दौरान झेली गई यातनाओं का मार्मिक ब्योरा दिया। उन्होंने संवेदनशील क्षेत्रों में स्थायी बीएसएफ कैंप स्थापित करने और मामले की एनआईए जांच की मांग की।
वहीं NCW की सदस्य अर्चना मजूमदार ने राज्य सरकार की निष्क्रियता पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा- “यहां की स्थिति भयावह है। लोगों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं। घर जल गए, कपड़े-बर्तन कुछ नहीं बचा। बच्चों को बेबी फूड, बुजुर्गों को दवा तक नहीं उपलब्ध नहीं हो रही है। यहां मीडिया को आने नहीं दिया जा रहा, जिससे सच सामने ना आ जाए। उन्होंने ममता सरकार पर निशाना साधते हुए कहा- क्या ये लोग (महिलाऐं) फिर रेप और हिंसा झेलने के लिए घर लौटें?”
बता दें NCW की टीम ने मालदा के राहत शिविरों का दौरा किया, जहां दंगों से विस्थापित लोग शरण लिए हुए हैं। आयोग ने शमशेरगंज, सुती, धूलियन और जंगीपुर में हुई हिंसा पर स्वत: संज्ञान लिया था। इस हिंसा ने मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में रहने वाले हिन्दुओं के अंदर भय और अराजकता फैला दी है।
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