हिन्दू बाहुल्य भारत को इस्लाम के अनुयायी किस तरह से एक के बाद एक षड्यंत्र कर अपने आगोश में लेने का प्रयास कर रहे हैं, इसके ताजे उदाहरण हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं, कि आखिर मजहब के आधार पर देश विभाजन के बाद ये भारत में शांति से क्यों नहीं रहना चाहते? इस साल पिछले चार माह में पूरे भारत भर में जो घटनाएं घटी हैं, वे बहुत दर्दनाक एवं अनेक इस्लामवादियों की मंशा को उजाकर कर रही हैं।
कहीं किसी ख्वाजा होटल में ग्राहकों को हाथ पोंछने के लिए ऐसे नैपकिन तैयार करना, फिर उनका इस्तेमाल किया जाना जिन पर देवी-देवताओं के चित्र और ‘भारत माता की आरती’ छपी हुई थी। तो कहीं अवैध मदरसों के जरिए भड़काऊ पाठ पढ़ाया जा रहा है। अनेक घरों को चिन्हित कर उन पर सामूहिक हमले की घटनाएं पश्चिम बंगाल में अनेक स्थानों पर घटी है। लव जिहाद, लैण्ड जिहाद जैसे इनका स्थायी कार्य है। ऐसे में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इन सब से हटकर उन तमाम षड्यंत्रों को उजागर किया है, जो कि अलग तरह के हिंसा प्रयोगों के जरिए भारत को दारुल हरब से दारुल इस्लाम में बदलने का ख्वाब देखते हुए उसके लिए ये कट्टरपंथी गैर मुसलमानों को मारने की हिंसक प्लानिंग कर रहे थे।
हर कांड के पीछे मकसद एक ही नजर आया, गैर मुसलमानों (हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख एवं अन्य) से भयंकर नफरत का उनके हृदयों में होना। भारत में जो भी देश की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या के बीच में से ये आतंकी पकड़े जा रहे हैं, इन सभी इस्लामवादियों ने स्वीकार किया है कि वह गैर मुसलमानों को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। ऐसे में स्वभाविक प्रश्न उठता है कि क्या अब शेष भारत के हिन्दुओं को भी पलायन हर राज्य में करना होगा, जैसा कि दारुण, एवं करुणामय दृष्य इस समय हिन्दू हिंसा के पश्चिम बंगाल से आ रहे हैं और मुख्यमंत्री ममता दीदी चुप हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर भारत का हिन्दू जाएगा तो जाएगा कहां?
NIA ने दायर किए आरोप पत्र
दरअसल, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आईएसआईएस से प्रेरित कोयंबटूर कार बम विस्फोट मामले में पांच और लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किए हैं, जिसमें विस्फोट को अंजाम देने वाला आत्मघाती हमलावर मारा गया था। एनआईए ने अपने चौथे पूरक आरोप पत्र में, एनआईए ने शेख हिदायतुल्ला, उमर फारूक, पावस रहमान, शरण मारियाप्पन और अबू हनीफा पर अक्टूबर 2022 में कोयंबटूर में एक हिंदू मंदिर, अरुलमिगु कोट्टई संगमेश्वर थिरुकोविल को निशाना बनाकर किए गए आतंकवादी हमले से जुड़ी अन्य गतिविधियों और आतंक के वित्तपोषण में शामिल होने के आरोप में इसे प्रस्तुत किया है। इसके साथ ही मामले में अब तक कुल 17 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की जा चुकी है।
इस प्रकरण में एनआईए की ओर से जानकारी दी गई कि उसने अपने नवीनतम आरोपपत्र में शेख हिदायतुल्लाह और हमले के आमिर उमर फारूक के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण की जानकारी कोर्ट के सामने रखी है। दोनों आरोपियों ने 2021-2022 में फर्जी कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट घोटाले के जरिए पैसे इकट्ठे कर धमाके के लिए विस्फोटक सामग्री जुटाई। इसके बाद कार बम हमले को अंजाम दिया गया। इस घोटाले को पावस रहमान और शरण के सहयोग से पूरा किया गया, जबकि अबू हनीफा ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के लिए धन मुहैया कराया था।
जेम्शा मुबीन ने एक मॉडिफाइड मारुति कार में विस्फोटक लगाकर व्हीकल-बॉर्न इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (VBIED) का उपयोग करके आत्मघाती बम विस्फोट को अंजाम दिया था। जांच में यह भी सामने आया कि मुबीन ने आईएसआईएस के खलीफा अबू-अल-हसन अल-हाशिमी अल-कुरैशी से निष्ठा जताई थी और वह गैर-मुस्लिमों (विशेषकर हिन्दुओं) को निशाना बनाना चाहता था।
इससे पहले इसी माह एक अन्य प्रकरण में चार अप्रैल को एनआईए को बड़ी कामयाबी मिली और 2022 में केरल के पलक्कड़ में आरएसएस के समर्पित स्वयंसेवक श्रीनिवास की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी शमनद ई उर्फ शमनद इल्लीकल को एर्णाकुलम से गिरफ्तार किया गया। इल्लीकल पर एनआईए ने सात लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। वह पिछले तीन साल से फरार था और प्रतिबंधित इस्लामिक जिहादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के संरक्षण में था । सितंबर 2022 में दर्ज मामले में एनआईए की जांच से पता चला कि हत्या की साजिश पीएफआई नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से रची गई थी। शमनाद पहचान छिपाकर देश में सांप्रायिक हिंसा की साजिश रच रहा था।
थोड़ा पीछे चलें तो नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने 03 फरवरी, 2025 को तमिलनाडु हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) मामले में एक्शन लेते हुए दो मुख्य अपराधियों को गिरफ्तार किया था जो कि भारत सरकार के खिलाफ साजिश रचने के लिए मुस्लिम युवाओं को भड़का रहे थे। जिन्हें पकड़ा गया उनकी पहचान कबीर अहमद अलीयार और बावा बहरुद्दीन उर्फ मन्नई बावा के रूप में हुई । एनआईए का कहना है कि ये सभी आरोपित अन्य कई लोगों के साथ मिलकर हिज्ब-उत-तहरीर HuT की कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार कर रहे थे। यह जानते हुए भी कि भारत सरकार ने हिज्ब-उत-तहरीर पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, इन्होंने गुप्त सभाओं का आयोजन किया और इस्लामिक देशों की सैन्य ताकत को दिखाने वाली एक प्रदर्शनी तक का आयोजन कर दिया। इस प्रदर्शनी के जरिए वे लोगों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और हिंसक जिहाद के लिए उकसा रहे थे। मामले में एनआईए ने कुल छह आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि आरोपी हिज्ब-उत-तहरीर की कट्टरपंथी और चरमपंथी विचारधारा से प्रभावित थे और इसलिए ये भारत को दारुल हरब से दारुल इस्लाम में बदल देने का ख्वाब देखते हैं, जिसमें उन्हें लगता है कि ये संगठन उसकी मंशा को पूरा करेगा। उल्लेखनीय है कि आज यह संगठन हिज्ब-उत-तहरीर पूरी दुनिया में इस्लामिक खिलाफत (खलीफा शासन) स्थापित करने और अपने संस्थापक तकी अल-दीन अल-नभानी द्वारा लिखे गए संविधान को लागू करने के लिए काम कर रहा है। एनआईए अब इस मामले से जुड़े अन्य आरोपियों, अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और फंडिंग की जांच कर रही है। वहीं, पूर्व में एनआईए ने तमिलनाडु और पुडुचेरी में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के स्टेट अमीर (राज्य प्रमुख) फैजुल रहमान जोकि हमीद हुसैन और अन्य इस्लामिक जिहादियों के साथ भारत विरोधी संगठन की विचारधारा को बढ़ावा देकर असंतोष और अलगाववाद फैलाने का काम कर रहा था को पकड़ा।
एनआईए ने फैजुल रहमान के बारे में बताया कि अलगाववाद का प्रचार करने और कश्मीर को आजाद कराने के लिए पाकिस्तान से सैन्य सहायता मांगने में अन्य गिरफ्तार आरोपियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ था। इनकी साजिश का उद्देश्य हिंसक जिहाद छेड़कर भारत सरकार को उखाड़ फेंककर खिलाफत (इस्लामी हुकूमत) स्थापित करना था। जांच में पता चला है कि रहमान और अन्य आरोपी अपने प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल का इस्तेमाल कर रहे थे, ये सभी एन्क्रिप्टेड संचार प्लेटफॉर्म्स के जरिये अपने फॉलोअर्स तक एचयूटी की हिंसक विचारधारा फैला रहे थे। आरोपियों ने कई समूहों के साथ हिज्ब-उत-तहरीर की विचारधारा फैलाने के लिए कई गुप्त बैठकें भी की थीं और पूरे तमिलनाडु में विभाजनकारी अभियान चलाए थे।
इससे पहले पश्चिम बंगाल के भूपतिनगर बम विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को बड़ी सफलता मिली थी। इस विस्फोट में तीन लोगों की मौत हुई थी। भागलपुर में एनआईए की टीम ने 19 फरवरी को भीखनपुर निवासी नजरे सद्दाम के घर पर छापामारी की। छापामारी में जाली नोटों के काले कारोबार से जुड़े दस्तावेज और विस्फोटकों से जुड़ी जानकारियां मिलीं। एनआईए की टीम को जाली नोटों से जुड़े पाकिस्तानी एजेंटों और कश्मीर में सक्रिय देशविरोधी संगठनों से तार जुड़े होने के कुछ अहम साक्ष्य मिले, जिसके बाद छापामारी की गई थी। अभी भी भागलपुर में एनआईए की टीम की छापामारी से हड़कंप मचा हुआ है, इसकी चर्चाएं सर्वत्र हैं। हालांकि नजरे सद्दाम को राष्ट्रीय जांच अभिकरण (एनआईए) और राज्य पुलिस की संयुक्त टीम ने पांच सितंबर 2024 को उसके दो साथियों के साथ पकड़ा था।
नजरे सद्दाम की जानकारी पर कश्मीर के अनंतनाग में मुहम्मद सरफराज की गिरफ्तारी भी हुई, जिसके आतंकियों से जुड़े होने के साक्ष्य मिले हैं। इस नजरे सद्दाम के अलावा भोजपुर और पटना के तस्कर गिरफ्तार किए गए थे। शिक्षक पुत्र नजरे सद्दाम सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। जो कि अक्सर कश्मीर के अनंतनाग के सरफराज को रुपये की डिलीवरी करता था। सरफराज उन रुपयों का कश्मीर की घाटियों में उग्रवादी गतिविधियों में इस्तेमाल करता था। नजरे सद्दाम का दोस्त वर्क मुमताज से भी पूर्व में एनआईए के पदाधिकारियों ने उग्रवादी गतिविधियों के संचालन को लेकर कई अहम जानकारियां पूछताछ में बाहर निकलवाई हैं।
कुल मिलाकर एक तरफ वक्फ बोर्ड को लेकर आए केंद्र सरकार के निर्णय पर भारत भर में मुसलमान अपना आक्रोश जता रहे हैं, तो दूसरी ओर पश्चिम बंगाल जैसे मुस्लिम बहुल राज्यों में हिन्दू हिंसा की हद पार कर दी गई है। अब तक सैंकड़ों हिन्दू पिछले दो सप्ताह में हिंसा के शिकार बनाए गए हैं। इससे साफ समझ आ रहा है कि भारत को इस्लामिक जिहाद में झोंक देने का षड्यंत्र बहुत बड़े स्तर पर चल रहा है। ये भारत को गजबा-ए-हिन्द बनाने के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार हैं। एनआईए की इस साल के आरंभ से अब तक की गई कार्रवाई बता रही है कि पिछले चार माह में ही इतना सब घट चुका है तब, पूरे वर्ष भर में कितने जिहादी मामले प्रकाश में आएंगे, जिसमें सिर्फ टार्गेट भारत के बहुसंख्यक हिन्दू समाज को किया जाएगा। ऐसे में कहना यही होगा कि ये संकट महा भयंकर है, जिससे स्वयं बहुसंख्यक हिन्दू समाज को ही निपटना होगा, अन्यथा तो एक समय के बाद भारत छोड़ देने का ही उसके सामने विकल्प बचेगा!
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