बेंगलुरु । कर्नाटक के बीदर और शिवमोगा जिलों में सामान्य प्रवेश परीक्षा (CET) के दौरान कुछ हिन्दू छात्रों को जनेऊ/यज्ञोपवीत (एक पवित्र धागा है जो हिंदू धर्म में पुरुषों द्वारा धारण किया जाता है) उतारने के लिए मजबूर किया गया, जिससे हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अपमान का गंभीर विवाद खड़ा हो गया है।
बीदर के साईं स्फूर्ति कॉलेज में एक छात्र को गणित का पेपर देने से रोक दिया गया, क्योंकि स्क्रीनिंग कमेटी ने कथित तौर पर उससे जनेऊ उतारने को कहा। छात्र ने बताया- “पुलिस और कॉलेज स्टाफ ने मुझसे जनेऊ हटाने को कहा, मैंने इसका विरोध किया तो उन्होंने कहा- जनेऊ के साथ परीक्षा देने की अनुमति नहीं मिलेगी। मैंने बताया कि ब्राह्मण परंपरा में जनेऊ हटाना धार्मिक रूप से निषिद्ध है, और भौतिकी-रसायन विज्ञान के पेपर के लिए मुझे अनुमति दी गई थी। फिर गणित के लिए यह प्रतिबंध क्यों?”
इसके बाद लगभग 45 मिनट की गुहार लगाने के बावजूद उसे बिना पेपर दिए ही लौटना पड़ा। हालांकि, दोपहर में उसे जनेऊ के साथ जीव विज्ञान की परीक्षा देने की अनुमति मिली।
ऐसे ही घटना शिवमोगा के आदिचुंचनगिरी पीयू कॉलेज में भी हुई जहां तीन छात्रों को जनेऊ उतारने को कहा जिनमे दो छात्रों ने अपना जनेऊ उतर दिया और परीक्षा देने बैठ गए वहीं एक अन्य छात्र ने जनेऊ उतरने से ना केवल इंकार किया बल्कि इसके विरुद्ध विरोध भी दर्ज कराया. जिसके बाद उसे भी परीक्षा देने की अनुमति मिली।
हिन्दू छात्रों को जनेऊ/यज्ञोपवीत उतरवाने की इस घटना के तूल पकड़ने के बाद बीदर की उपायुक्त शिल्पा शर्मा ने मुख्य परीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया और जांच शुरू की। पुलिस अधीक्षक ने भी तलाशी टीम के खिलाफ नोटिस की बात कही। उच्च शिक्षा मंत्री एम.सी. सुधाकर ने इसे निंदनीय बताते हुए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया।
वहीं भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने घटना की कड़ी निंदा की और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।उन्होंने इसे हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं पर गहरा आघात बताया।
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