नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में संशोधित वक्फ कानून के विरोध के नाम पर भड़की हिंसा ने कई हिंदू परिवारों को बेघर कर दिया। 11-12 अप्रैल को शमशेरगंज, सूती, धूलियान और जंगीपुर में हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग मालदा और झारखंड के पाकुड़ जिले में शरण लेने को मजबूर हुए।
इस बीच ममता ने राज्यपाल से हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा न करने की अपील की, लेकिन राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस ममता की बात को दरकिनार करते हुए शुक्रवार को मालदा और मुर्शिदाबाद के दौरे के लिए निकल गए।
राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस ने मालदा में स्थापित शिविरों में रह रहे हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की और हालात का जायजा लिया। इस दौरान राज्यपाल ने कहा, “मैं पीड़ितों से मिलने आया हूं और जो जानकारी हमें फील्ड से मिली है, उसकी पुष्टि करूंगा। मैं अस्पतालों, राहत शिविरों और पीड़ितों के घर भी जाऊंगा। उसके बाद अपनी सिफारिशें भेजूंगा।”
उन्होंने कहा- उन्होंने बंगाल की हिंसा और भ्रष्टाचार को “कैंसर” बताते हुए कहा, “हमें इसकी जड़ें खत्म करनी होंगी। मुझे 100 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं। यहां केंद्रीय बलों की तैनाती से हिंसा कम हुई है।”
राजभवन के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, राज्यपाल मुर्शिदाबाद का भी दौरा करेंगे ताकि हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का सीधे आकलन किया जा सके। वहीं अगर मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो राज्यपाल और मानवाधिकार आयोग के बाद अब महिला आयोग की एक टीम भी हिंसा पीड़ितों से मुलाकात के लिए इन विस्थापित शिविरों का दौरा कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि 11 और 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले के मुस्लिम बहुल शमशेरगंज, सूती, धूलियान और जंगीपुर क्षेत्रों में संशोधित वक्फ कानून के विरोध के दौरान हिंसा भड़क गई थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद सैकड़ों लोगों ने सुरक्षा की मांग करते हुए मालदा जिले की ओर पलायन किया।
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