भारत की संसद द्वारा हाल ही में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पर पाकिस्तान के अखबारों और अधिकारियों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जिन्ना के देश का मीडिया इसे ‘मुस्लिम विरोधी’ करार देते हुए विलाप करने की रस्म निभा रहा है। उस कट्टर इस्लामी देश के अखबार इसे ‘भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला’ बताने में अपने पन्ने काले कर रहे हैं। इतना ही नहीं, भारत की संसद द्वारा पारित इस विधेयक को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी करते हुए इसे ‘भेदभावपूर्ण और भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद का प्रतीक’ बताया है। भारत की ओर से पाकिस्तान में किए जा रहे इस विलाप की भर्त्सना की गई है। भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से दो टूक शब्दों में पाकिस्तान को नसीहत दी गई है कि पहले अपने यहां अल्पसंख्यकों की स्थिति देखे, फिर किसी अन्य देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करे।
पाकिस्तान के अनेक प्रमुख अखबारों और मीडिया चैनलों ने भारत के इस विधेयक को लेकर तीखी आलोचना वाली भाषा प्रयोग की है। उनका कहना है कि यह विधेयक ‘भारतीय मुसलमानों को और अधिक हाशिए पर धकेलने’ का प्रयास ही है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे भारत में ‘अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए खतरा’ बताया और कहा है कि ‘यह विधेयक भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद’ को दर्शाता है।

भारत की केन्द्र सरकार ने पाकिस्तान में व्यक्त की जा रहीं इन टिप्पणियों को सख्ती से खारिज किया है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को दूसरों को उपदेश देने के बजाय अपने देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान देना चाहिए। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए लाया गया है।
भारत की संसद द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी, जिम्मेदार और समावेशी बनाना है। केन्द्र सरकार का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के सामाजिक लाभ को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत सरकार ने इस विधेयक के बारे में फैलाई जा रही गलतफहमियों को दूर करने का पर्याप्त प्रयास किया है। विदेश विभाग के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दोहराया कि वक्फ समितियों के संदर्भ में किसी प्रकार का मजहबी या सामुदायिक पक्षपात नहीं किया जाएगा।
पाकिस्तान हर उस बात में बढ़—चढ़कर बोलने की अपनी आदत से बाज नहीं आता जो भारत में मुसलमानों से जुड़ी होती है। बात भले उनके हित की हो, जिन्ना को देश उसमें भी फर्जी खोट निकालने बैठ जाता है और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के विरुद्ध विषवमन करता है। यह उसकी पुरानी आदत है। वक्फ संशोधन विधेयक भी इसी का एक उदाहरण है। भारत के समझदार मुस्लिम इसकी तारीफ कर रहे हैं और इसे एक आम मुस्लिम के लिए हितकर बता रहे हैं, जबकि सेकुलर और मजहबी नेता बांग्लादेशी घुसपैठियों के माध्यम से विभिन्न शहरों में हिंसक उपद्रव रचकर देश को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।
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