बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के एनएसएस कैंप में एक गंभीर और विवादित मामला सामने आया है। आरोप है कि 30 मार्च, यानी ईद के दिन, कैंप में मौजूद 155 हिंदू छात्रों को जबरन नमाज़ पढ़ने के लिए मजबूर किया गया। बताया जा रहा है कि कुल 159 छात्रों में से केवल 4 मुस्लिम छात्र थे, जिन्हें सबसे पहले मंच पर नमाज़ पढ़ने के लिए बुलाया गया, और फिर NSS कोऑर्डिनेटर ने बाकी छात्रों से भी वही क्रिया दोहराने को कहा।
छात्रों के मुताबिक, उस दौरान सभी के मोबाइल फोन जमा करा लिए गए थे, जिससे कोई सीधा वीडियो सबूत नहीं है। हालांकि कुछ छात्रों ने छिपकर बयान दिए हैं। इस घटना के बाद कोनी थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है और पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन से 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा है।
यह एनएसएस कैंप 26 मार्च से 1 अप्रैल तक चला, और नमाज़ पढ़वाने की घटना 30 मार्च को हुई। आरोपों के घेरे में एनएसएस कोऑर्डिनेटर और प्रोग्राम ऑफिसर हैं। छात्रों का कहना है कि विरोध करने पर उन्हें सर्टिफिकेट न देने की धमकी दी गई, जिससे कई छात्र डरे हुए हैं।
विश्वविद्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। इसके लिए तीन लोगों की एक जांच समिति बनाई गई है, जो जल्दी ही अपनी रिपोर्ट देगी। प्रशासन ने कहा है कि जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या यह जांच समिति सिर्फ एक औपचारिकता है? क्या यह सच में दोषियों को सज़ा दिलाएगी या उन्हें बचाने का जरिया बनेगी? अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, ना ही किसी की गिरफ्तारी हुई है, और छात्रों को धमकियाँ मिल रही हैं। इससे लगता है कि स्थानीय प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रबंधन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे।
यह घटना उस समय और भी चिंताजनक हो जाती है, जब छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। शैक्षणिक संस्थानों में जब छात्रों पर जबरन किसी धर्म की प्रार्थना या धार्मिक क्रिया करने का दबाव डाला जाता है, तो यह न सिर्फ उनके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि समाज में तनाव और असहमति भी बढ़ाता है।
छात्रों का कहना है कि कैंप में एक ग्रुप बनाकर उन पर दबाव डाला जा रहा था कि वे धार्मिक गतिविधियों में भाग लें। इससे विश्वविद्यालय का माहौल तनावपूर्ण हो गया और छात्रों में असुरक्षा की भावना पैदा हुई। यह स्थिति किसी भी शैक्षिक संस्थान के लिए ठीक नहीं है और प्रशासन को इस पर तुरंत और निष्पक्ष कार्रवाई करनी चाहिए।
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