पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में हिंसा का दौर चल रहा है। हिंसा में आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट और पुलिस पर हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं। देश के जिस जिले में मुसलमानों की जनसंख्या 40 प्रतिशत या इससे अधिक हो गई है, वहां कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन और उनके समर्थक क्या हालात बना देते हैं गैर मुसलमान (हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख एवं अन्य) के लिए, इसका ज्वलंत उदाहरण मुर्शिदाबाद जिला है। मुर्शिदाबाद के कई इलाकों में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद वक्फ एक्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे लोगों ने पुलिस पर पत्थर चलाना शुरू कर दिए थे। हमेशा की तरह जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों से बाहर निकलकर इन्होंने नेशनल हाईवे जाम कर दिया। पुलिस ने जब इन्हें सड़क से हटाने की कोशिश की तो उन्होंने पुलिस पर हमला कर दिया। पत्थर बरसाने के साथ ही पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी।
इस कट्टरपंथी इस्लामिक भीड़ ने धूलियान स्टेशन के पास रेलवे गेट और रिले रूम को निशाना बनाया। पथराव, तोड़फोड़ के साथ सामान लूट लिया गया। मुस्लिम भीड़ ने एंबुलेंस तक को नहीं बख्शा और जलाकर राख कर दिया। एम्बुलेंस के ड्राइवर को भयंकर पीटा गया, इतना कि वह अभी भी अस्पताल में है। इसी तरह से अन्य एंबुलेंस, बस एवं अन्य गाड़ियों में आग लगाई गई। देखने में आया कि सरकारी संपत्तियों के साथ हिन्दू घरों, दुकानों और मंदिर क्षेत्र को योजनाबद्ध तरीके से निशाना बनाया गया गया। यहां तक कि इस्लामिक भीड़ ने शमशेरगंज में तो पुलिस स्टेशन से करीब 500 मीटर दूर घरों और दुकानों तक में जमकर लूटपाट की है। हिन्दू घरों में घुसकर ये मुसलमान आतताई कुर्सी, गद्दा, टीबी से लेकर घर का अन्य महंगा सामान तक उठाकर ले गए, किसी तरह से परिवार जनों ने अपनी जान बचाई, फिर भी एक हिन्दू पिता और पुत्र की हत्या हो गई।
ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है,भाजपा नेता अमित मालवीय ने पिता-पुत्र का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए कहा है, ममता बनर्जी के हत्यारे मुस्लिम गुंडों ने पिता और पुत्र हरगोबिंद दास और चंदन दास को धूलियान, शमशेर गंज, जाफराबाद में मौत के घाट उतार दिया। ममता बनर्जी के हाथों इन बेगुनाह हिंदुओं और कई अन्य लोगों का खून लगा है, जिन्होंने अपनी जान और आजीविका खो दी है। उन पर इन आपराधिक कृत्यों के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए। ‘यह जनसांख्यिकी आक्रमण है। ममता बनर्जी को जोगेंद्र नाथ मंडल से सीखना चाहिए, जिन्होंने इस्लामवादियों को खुश किया, राजनीतिक सत्ता के लिए पूर्वी पाकिस्तान चले गए, लेकिन अंततः उन्हें त्याग दिया गया और एक गुमनाम मौत मर गई। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाना चाहती हैं, हम उन्हें सफल नहीं होने देंगे। बंगाल भाजपा के नेता दिलीप घोष ने कहा है कि मुर्शिदाबाद, मालदा, दिनाजपुर, नादिया, वीरभूम और हावड़ा से हिन्दुओं को साफ करने की साजिश है।
भीड़ ने बम से हमला किया
पुलिस का आरोप है कि भीड़ ने बमों से भी हमला किया। 10 अप्रैल, 2025 को टीएमसी मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी ने धमकी दी थी कि पूरा पश्चिम बंगाल सड़कों पर उतरेगा। अन्य जिलों के बाद हम कोलकाता में अपनी पकड़ मजबूत करेंगे… कोलकाता में 50 जगहों पर 10,000 लोग होंगे। भीड़ को उकसाने वाले अन्य संगठन हैं- जमीयत उलेमा-ए-हिंद बंगाल, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, अखिल बंगाल अल्पसंख्यक युवा संघ एवं छोटे इस्लामिक संगठन।
मुगलों के वंशज ने क्या कहा
अभी हाल ही में संसद से विधेयक पारित होने के बाद मुगलों का अपने को वंशज कहने वाले प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी का एक वीडियो संदेश सामने आया था, जिसमें इसे ये कहते हुए सुना जा सकता है, ‘इस बार आपने अल्लाह की प्रॉपर्टी, अल्लाह की मिल्कियत पर कब्जा करने की कोशिश की है, उस पर काबिज होने की कोशिश कर रहे हैं। आपको कामयाबी नहीं मिलेगी…ये तैमूर का वादा है…आपको इतिहास याद होगा मोदी जी और अमित शाह, आपसे कह रहा हूं। आप इतिहास के पन्ने उठाकर देखिए, 1426 में हजरत-ए बाबर ने 12000 की फौज लेकर हिंदुस्तान पर हुकूमत की। बाबर से लेकर बहादुर शाह जफर तक… इस बार आपकी लड़ाई तैमूर के साथ है। आपने तैमूर के खून को ललकारा है. इंशाअल्लाह, अल्लाह हमारे साथ है और हिंदुस्तान के 20 करोड़ मुसलमान हमारे साथ हैं।’
तैमूर लंग की विरासत को बढ़ाने वाली जिहादी मानसिकता
देश भर में जो भी कट्टरपंथी हिंसा कर रहे हैं, गैर मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं, वे निश्चित ही देश के सभ्य नागरिक तो नहीं हैं! ये तैमूर लंग की विरासत को आगे बढ़ाने वाली जिहादी मानसिकता रखते हैं और उनका हर हिंसक टार्गेट गैर मुसलमान (हिन्दू) है। ‘मलफूजत-ए-तैमूरी’ तैमूर की आत्मकथा है जिसमें वह लिखता है कि उसने इस्लामी जिहाद के लिए भारत पर आक्रमण किया था। उसने लिखा- ‘मैंने काफ़िरों पर आक्रमण करने और ‘गाजी’ बनने का विचार किया। (वह जानता था कि काफ़िरों को मिटाने वाला गाजी या मारे जाने पर शहीद कहलाता है) इसलिए, मैंने संकल्प किया; लेकिन मैं यह तय नहीं कर पा रहा था कि चीन के काफ़िरों पर आक्रमण करूँ या भारत के काफ़िरों और बहुदेववादियों पर। तब, मैंने कुरान में एक शगुन ढूँढ़ा और वहां मुझे एक पंक्ति मिली, जिसमें कहा गया था, ‘हे पैगम्बर, काफ़िरों के विरुद्ध युद्ध छेड़ो और उन्हें कठोर दंड दो।’ (संदर्भ: कुरान, आयत 9, आयत 73)।
क्या कहता है तैमूर लंग
तैमूर कहता है कि मैंने अपनी सेना के सभी प्रमुखों (अमीरों) को बताया कि ‘मैं काफ़िरों के विरुद्ध हिंदुस्तान पर आक्रमण करने जा रहा हूँ और पैगम्बर मोहम्मद के आदेश का पालन करूँगा, जो हमें और हमारे परिवारों पर कृपा और शांति प्रदान करेगा। हम (हिन्दू) लोगों को सच्चे विश्वास की ओर मोड़कर उस भूमि को पवित्र करेंगे और उस भूमि को काफ़िरों और बहुदेववादियों से मुक्त करेंगे। हम उनके मंदिरों और मूर्तियों को नष्ट कर देंगे और ‘खुदा के गाजी या मुजाहिदीन’ बन जाएंगे। वे अनिच्छा से सहमत हुए; पर मैंने उन पर भरोसा नहीं किया। मैंने इस्लामी विचारकों की राय भी मांगी। उन्होंने कहा, ‘अल्लाह ही इस्लाम का खुदा है और अल्लाह के पैगंबर मोहम्मद हैं, ऐसे में हर मुसलमान का यह कर्तव्य बनता है कि वह अपने मजहब को बचाएं और अपने दुश्मनों के विश्वासों को मिटाने की पूरी कोशिश करें। साथ ही, सुल्तान के आदेशों का पालन करना हर मुसलमान का कर्तव्य है। इस्लामी विचारकों के इस कथन के बाद मेरी सेना के प्रमुखों ने हिंदुस्तान के खिलाफ ‘जिहाद (पवित्र युद्ध)’ छेड़ने के लिए सहमति व्यक्त की और अपने घुटनों पर बैठकर जीत का अध्याय पढ़ना शुरू कर दिया।’
इस्लामिक जिहाद के लिए भारत पर आक्रमण
‘मलफूजत-ए-तैमूरी’ में तैमूर की इस स्वीकारोक्ति से स्पष्ट है कि उसने भारत पर आक्रमण इस्लामिक जिहाद के लिए किया था। तैमूर ने अपने द्वारा कैद किए गए हिंदुओं को मार डाला क्योंकि उसका मानना था कि मूर्तिपूजकों और इस्लाम के दुश्मनों को रिहा करना युद्ध के नियमों का उल्लंघन है। इस पुस्तक का अध्याय ही एक लाख (100,000) हिंदुओं की हत्या’ शीर्षक से शुरू होता है। इस पुस्तक के अनुसार तैमूर ने एक रात में इन सभी हिन्दुओं का कत्ल करवाया था। इसमें लिखा गया है; ‘अमीर जहान शाह और अमीर सुलेमान शाह और अन्य अनुभवी अमीरों (इस्लामिक सेना नायकों) ने मुझे बताया कि जब से हमने हिंदुस्तान में प्रवेश किया है, तब से 100,000 हिंदू गैर-विश्वासियों को कैद कर लिया गया है और उन्हें सैन्य शिविरों में रखा गया है। …इससे पहले कि वे एकजुट हो सकें और खुद को मुक्त कर सकें, हमारे दुश्मन के साथ हाथ मिलाकर हमारे शिविरों को नष्ट कर सकें, मैंने अपने मजहबी मार्गदर्शकों से सलाह मांगी। उन्होंने कहा,…मूर्तिपूजकों और इस्लाम के शत्रुओं को छोड़ना युद्ध जिहाद के नियमों का उल्लंघन होता। इसलिए उन्हें मार डालने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। यह सुनकर मैंने युद्ध के नियमों के अनुसार निम्नलिखित आदेश दिए- जिनके पास काफिर कैदी हों, उन्हें मार डाला जाए और जो आदेश का पालन नहीं करेगा, उसे भी मार दिया जाएगा। जो व्यक्ति इस बारे में सूचना देगा, उसे पुरस्कृत किया जाएगा। ‘गाजियों’ को जब यह बात पता चली, तो उन्होंने अपने कब्जे में कैदियों को मार डाला। इस प्रकार उस दिन एक लाख अशुभ मूर्तिपूजक (हिंदू) मारे गए। एक मौलाना नसीरुद्दीन उमर थे, जो विचारक और मार्गदर्शक थे और जिन्होंने अपने पूरे जीवन में एक चिड़िया भी नहीं मारी थी, उन्होंने मेरे आदेश का पालन करने के लिए 15 हिंदू मूर्तिपूजकों को मार डाला। इन मूर्तिपूजकों को बहुत ही अमानवीय तरीके से जहन्नुम (दोजख) नरक में भेजा गया।’
भारत पर आक्रमण का उद्देश्य
‘तुजुके तैमुरी’ में 1399 ई. में भारत पर आक्रमण के बाद कुरान की एक आयत से अपनी बात आरंभ करते हुए लिखता है कि ‘ऐ पैगम्बर काफिरों और विश्वास न लाने वालों से युद्ध करो और उन पर सखती बरतो।’ फिर लिखा- ‘हिन्दुस्तान पर आक्रमण करने का मेरा ध्येय काफिर हिन्दुओं के विरुद्ध धार्मिक युद्ध करना है (जिससे) इस्लाम की सेना को भी हिन्दुओं की दौलत और मूल्यवान वस्तुएँ मिल जायें। (सीताराम गोयल की पुस्तक ‘स्टोरी ऑफ इस्लामिक इम्पीरियलिज्म इन इंडिया’ पृ. 48)
इस किताब में विस्तार से वर्णन
इतिहासकार सीताराम गोयल ने अपनी इस पुस्तक ‘स्टोरी ऑफ इस्लामिक इम्पीरियलिज्म इन इंडिया’ में तैमूर के आक्रमण का विस्तार से वर्णन किया है और बताया है कि कैसे उसने भारत के अलग-अलग क्षेत्रों पर आक्रमण करने के बाद तमाम हिन्दू पुरुषों को कत्ल और स्त्रियों और बच्चों को कैद किया था। फिर उन हठी काफिरों के सिरों के मीनार खड़े करने के आदेश दिये। उसने अपनी सेना को आदेश दिया कि ‘जो भी मिल जाये, कत्ल कर दिया जाये। दिल्ली के पास लोनी हिन्दू नगर था। किन्तु कुछ मुसलमान भी बंदियों में थे। तैमूर ने आदेश दिया कि मुसलमानों को छोड़कर शेष सभी हिन्दू बंदी इस्लाम की तलवार के घाट उतार दिये जायें। ‘तुजुके तैमुरी’ बताती है, ‘लूट का दूसरा सामान भी बहुत बड़े स्तर पर संग्रहित हो गया था- हीरे,मोती, दूसरे जवाहरात, अशरफियाँ, सोने-चाँदी के सिक्के, सोने-चाँदी के बर्तन, रेशम और जरीदार कपड़े। स्त्रियों के सोने चाँदी के गहनों की कोई गिनती संभव नहीं थी। सैयदों, उलेमाओं और दूसरे मुसलमानों के घरों को छोड़कर शेष सभी घर एवं नगर ध्वस्त कर दिए गए।’
कट्टरपंथियों के खिलाफ मुस्लिम समाज से उठे आवाज
1399 ई. में भारत में हिन्दू हिंसा का जो दृष्य उभरा था, वह 21वीं सदी में करने की कोशिश की जा रही है। वक्फ कानून बनने के बाद क्या देश में मुर्शिदाबाद का यह हाल है? देश भर में मुसलमानों को उनसे जुड़े कट्टरपंथी संगठन उकसाने का काम कर रहे हैं। ऐसे कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों का विरोध उदारवादी मुस्लिम समाज की ओर से होना चाहिए।
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