रूस और यूक्रेन के बीच बीते चार वर्ष से चल रहे युद्ध को खत्म करवाने की कोशिश में जुटे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब एक नए तरीके से साथ आगे बढ़ रहे हैं। ट्रंप के दूत जनरल कीथ केलाग ने सुझाव दिया है कि शांति स्थापित करने के लिए यूक्रेन को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। ठीक वैसे ही जैसे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी में हुआ था।
क्या है योजना
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध को समाप्त करने की योजना के अंतर्गत सबसे पहले यूक्रेन को दो हिस्सों में विभाजित किया जाएगा। यूक्रेन के पूर्व में रूसी सेना का कब्जा होगा। जबकि, पश्चिम ब्रिटेन और फ्रांस की सेना आश्वासन बल के तौर पर तैनात रहेंगी। वहीं मध्य में समूचा यूक्रेन असैन्य क्षेत्र रहेगा, जहां पर लोग रहेंगे। इसके अलावा वहीं पर यूक्रेनी सेना भी रहेगी। हां, इसमें अमेरिका की ओर से कोई भी जमीनी सेना तैनात नहीं की जाएगी।
टाइम्स समाचार को दिए साक्षात्कार में कीथ केलाग ने ये सुझाव दिए हैं। उनका कहना है कि ये ठीक वैसा ही होने वाला है जैसा द्वितीय विश्व युद्ध के बाज जर्मनी के साथ हुआ था। उस वक्त भी एक तरफ रूसी क्षेत्र था, तो दूसरी तरफ मित्र राष्ट्र यानि कि फ्रांस और ब्रिटेन की सेना होगी।
रूस पहले ही आंशिक युद्ध विराम से है असहमत
गौरतलब है कि अमेरिका ने बीते दिनों सऊदी अरब में रूसी प्रतिनिधिमंडल से वार्ता की थी। उस दौरान अमेरिका ने प्रस्ताव दिया था कि पहले 30 दिन का अस्थायी युद्धविराम लागू होना चाहिए। लेकिन, रूस ने इससे स्पष्ट इंकार कर दिया था। रूस का कहना है कि अगर युद्ध विराम हो तो पूर्ण युद्धविराम होना चाहिए। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि एक तरफ तो पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ अस्थायी युद्धविराम की कोशिशों में लगे हुए हैं। दूसरी ओर यूक्रेन को रिकॉर्ड 21 बिलियन यूरो (£18.2 बिलियन) की सैन्य सहायता दे रहे हैं। ब्रिटेन इस वर्ष को युद्ध के लिए महत्वपूर्ण मान रहा है।
क्यों शुरू हुआ था युद्ध
उल्लेखनीय है कि इस युद्ध की शुरुआत ही यूक्रेन की मनमानियों के कारण हुई थी। दरअसल, सोवियत यूनियन के विघटन के बाद यूक्रेन समेत 15 देश रूस से निकले थे। ऐसे में यूक्रेन और रूस की सीमाएं एक दूसरे से मिलती हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लॉडिमीर जेलेंस्की पश्चिमी देशों, खासतौर पर नाटो से अपनी नजदीकियां बढ़ा रहे थे। वो नाटो में शामिल होना चाहते थे। रूस नाटो को अपने लिए खतरा मानता है। ऐसे में उसने यूक्रेन को ऐसा करने से रोका, लेकिन जब जेलेंस्की नहीं माने तो रूस ने सैन्य अभियान शुरू कर दिया।
अब हालात ये हैं कि जेलेंस्की न तो नाटो में शामिल हो पाए और रूस से दुश्मनी मोल ले बैठे सो अलग। हालांकि, अमेरिका की अगुवाई में नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं, जिससे यूक्रेन अब तक युद्ध में टिका हुआ है.
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