गत 7 अप्रैल को मुंबई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत-भूमि सदा से ही वीरांगनाओं और लोकनायिकाओं की जननी रही है। ऐसी ही एक महान विभूति थीं पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर, जिन्हें भारतीय परंपरा में सुशासन और लोक-कल्याण का मूर्तरूप स्वरूप माना जाता है। उन्होंने अल्प समय में ही न केवल एक आदर्श सुराज्य की स्थापना ही नहीं की, बल्कि सामाजिक समरसता, न्याय और सुरक्षा के मजबूत स्तंभ भी निर्मित किए।
वे भारतीय नारी शक्ति की कालजयी प्रतीक हैं। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर के वंशज उदयराजे होल्कर ने कहा कि अहिल्या देवी एक दूरदर्शी शासिका थीं, जिन्होंने महेश्वर में सूर्य घड़ी का निर्माण करा भारत की सांस्कृतिक, खगोलशास्त्रीय और वैज्ञानिक चेतना को अभिव्यक्त किया। वे मानती थीं कि गोमाता ही भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और उन्हीं के संरक्षण से समृद्धि संभव है।
कार्यक्रम के दौरान अहिल्यादेवी द्वारा काशी, गया, द्वारका, रामेश्वरम् जैसे तीर्थस्थलों में कराए गए पुनर्निर्माण कार्यों की जानकारी दी गई, जो यह दर्शाता है कि वे केवल एक राजनेत्री ही नहीं, अपितु राष्ट्रनायिका भी थीं। उनकी दृष्टि भारत के धार्मिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक समृद्धि पर केंद्रित थी। कार्यक्रम का आयोजन पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर त्रिशताब्दी जयंती समारोह समिति, मुंबई महानगर द्वारा किया गया था।
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