देश के सीमावर्ती राज्य में एक तरफ जहां आतंकवाद व गैंगस्टरवाद का जहरीला कॉकटेल बढ़ रहा है उससे दोगुनी रफ्तार में सरकार की लापरवाही भी बढ़ती दिखाई दे रही है। बुलेटप्रूफ वाहन वीआईपी लोगों की सुरक्षा के लिए होते हैं परंतु पंजाब में गैंगस्टर इन वाहनों का धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले को ‘चौंकाने वाली स्थित’ बताते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी लचर हो चुकी है।
जस्टिस कुलदीप तिवारी की अध्यक्षता वाली पीठ ने चिंता जताते हुए कहा कि एक ऐसा अपराधी, जिस पर लगभग 41 आपराधिक मामले दर्ज हैं और जो ‘ए-श्रेणी’ का गैंग्सटर घोषित किया जा चुका है, वह खुलेआम बुलेटप्रूफ वाहन का उपयोग करता रहा और राज्य की मशीनरी इसे रोकने में पूरी तरह नाकाम रही।
कोर्ट ने यह टिप्पणी होशियारपुर निवासी कमलेश की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि उसकी एक टोयोटा फाच्र्यूनर गाड़ी, जिसे पुलिस ने 8 सितंबर 2024 से जब्त कर रखा है, लौटाई जाए। याचिकाकर्ता ने बताया कि यह गाड़ी उसके बेटे द्वारा उपयोग की जा रही थी जिसने उसे बुलेटप्रूफ में तब्दील करवाया था। इस गाड़ी की जब्ती को अवैध बताते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि यह पुलिस द्वारा की गई अवैध कार्रवाई है। इस याचिका के पीछे की कहानी चौंकाने वाली है। याचिकाकर्ता का बेटा जिसे ‘ए कैटेगरी’ गैंगस्टर बताया गया है और जो लगभग 41 आपराधिक मामलों में शामिल हैं (14 विचाराधीन), उस गाड़ी का इस्तेमाल कर रहा था।
हैरानी की बात यह है कि उस गाड़ी को बिना किसी आधिकारिक अनुमति के बुलेटप्रूफ में तब्दील कर दिया गया था। कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण को ‘आंखें खोल देने वाली स्थिति’ बताया और पूछा कि आखिर एक खूंखार अपराधी इतनी आसानी से बुलेटप्रूफ गाड़ी कैसे बनवा सकता है।
इस गंभीर खुलासे के बाद कोर्ट ने मामले का दायरा बढ़ाते हुए भारत सरकार के गृह मंत्रालय व सडक़ परिवहन मंत्रालय को भी याचिका में पक्षकार बना दिया है। कोर्ट ने पंजाब सरकार के मुख्य सचिव को भी आदेश दिया है कि वह इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए कार्रवाई की जानकारी व्यक्तिगत हलफनामे के जरिए अगली सुनवाई तक दें।
पंजाब में बुलेटप्रूफ गाडिय़ों के मोडिफिकेशन का कोई नियम नहीं- डीजीपी
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पंजाब के डीजीपी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा था जिसमें पंजाब में बुलेटप्रूफ गाडिय़ों के मोडिफिकेशन से संबंधित नियमों व उन्हें बनाने वाली एजेंसियों की जानकारी मांगी गई थी। इसके जवाब में डीजीपी गौरव यादव द्वारा दाखिल हलफनामे में बताया गया कि पंजाब में ऐसी कोई नीति या नियमावली मौजूद ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि अब राज्य के सुरक्षा विंग को इस मुद्दे पर विचार करने और सरकार के साथ मिलकर एक समिति गठित करने के लिए कहा गया है ताकि उचित दिशा-निर्देश बनाए जा सकें।
इस पर कोर्ट ने कहा कि यह मामला केवल एक व्यक्ति या एक वाहन का नहीं है, बल्कि यह पूरे राज्य में प्रशासनिक विफलता और आपराधिक तत्वों को खुली छूट दिए जाने का संकेत है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में गैंग्सटरों को अतिरिक्त सुरक्षा मिलना, उनकी ताकत को और बढ़ावा देने जैसा है, जो कानून के शासन के लिए खतरनाक है। देखते हैं कि अदालत की चपत के पाद पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार कितनी देर बाद जागती है।
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