जयपुर (हि.स.) । विशेष अदालत ने 16 साल पहले जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मुजिरमों की सजा पर मंगलवार को फैसला दे दिया। अदालत ने शाहबाज हुसैन, मोहम्मद सैफ, सैफुर्रहमान और सरवर आजमी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सजा के साथ ही अदालत ने मुजरिमों पर जुर्माना भी लगाया है। पीठासीन अधिकारी जस्टिस रमेश कुमार जोशी ने चारों अभियुक्तों को सजा सुनाते हुए कहा कि मुजरिमों ने शहर को दहलाने के लिए बम प्लांट किया। ऐसे में उनके प्रति नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता है।
जस्टिस जोशी ने कहा कि सबसे बड़ा न्यायालय हमारा मन होता है। क्या सही है और क्या गलत। यह हमारा मन जानता है। अगर सजा हुई है तो गुनाह भी हुआ होगा। अदालत ने गत चार अप्रैल को दोनों पक्षों की बहस सुनकर अभियुक्तों को विभिन्न धाराओं में दोषी मान लिया था। हैरत की बात तो यह है कि सजा सुनाए जाने के बाद चारों आरोपी कोर्ट रूम से हंसते, मुस्कुराते हुए बाहर निकले। उनके चेहरे पर ना तो किसी तरह की कोई शिकन रही और ना ही अपराध को लेकर कोई अफसोस।
इन धाराओं में माना दोषी
अदालत ने चारों आरोपितों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121ए, 307 और 153ए के साथ ही विस्फोटक अधिनियम की धारा 4, 5 और 6 सहित यूएपीए एक्ट की धारा 13 और 18 में दोषी माना है। इन धाराओं में अधिनियम आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
यह रखी दलीलें
मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक सागर तिवाडी ने बताया कि 13 मई, 2008 को जयपुर में चांदपोल हनुमान मंदिर के पास बम जिंदा मिले थे। मामले में विशेष अदालत में चार मामले में 112 गवाहों के बयान दर्ज कराते हुए करीब 1200 दस्तावेजों को पेश किया गया। वहीं अन्य गवाहों के साथ पूर्व एडीजी एके जैन, मीडियाकर्मी प्रशांत टंडन और साइकिल कसने वाले दिनेश महावर की गवाही कराई गई थी। जबकि बचाव पक्ष के अधिवक्ता मिनहाजुल हक ने कहा कि घटना के तथ्य मूल घटना के समान है और उस मामले में हाईकोर्ट उन्हें बरी कर चुका है। इसलिए उन्हें इस मामले में भी बरी किया जाए।
मूल केस में बरी हो चुके हैं आरोपित
बम कांड के बाद पुलिस ने चारों आरोपितों के साथ ही एक अन्य को गिरफ्तार किया था। विशेष अदालत ने 18 दिसंबर, 2019 को शाहबाज हुसैन को बरी करते हुए शेष चारों आरोपितों को फांसी की सजा सुनाई थी। वहीं हाईकोर्ट ने मार्च, 2023 में चारों आरोपितों की फांसी को सजा को रद्द करते हुए उन्हें दोषमुक्त कर दिया था और एक आरोपित को नाबालिग माना था। विशेष न्यायालय के फैसले के करीब आठ माह बाद अभियोजन पक्ष ने चांदपोल हनुमान मंदिर के पास मिले जिंदा बम को लेकर मुजिरमों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था। आरोप पत्र में मूल मामले के तथ्यों को दोहराते हुए समान धाराएं रखी गई थी।
इन्हें बनाया गया था आरोपी
16 मिनट के अंतराल में इन जगहों पर हुए बम धमाके
Leave a Comment