भारत

खताैली का युद्ध

1517 में इब्राहिम लोदी और मेवाड़ राज्य के महाराणा राणा सांगा के बीच लड़ी गई थी। उसमें महाराणा सांगा विजयी हुए, परन्तु इब्राहीम लोदी किसी तरह भागने में सफल रहा

Published by
डाॅ. विवेक भटनागर

खताैली की लड़ाई 1517 में इब्राहिम लोदी और मेवाड़ राज्य के महाराणा राणा सांगा के बीच लड़ी गई थी। उसमें महाराणा सांगा विजयी हुए, परन्तु इब्राहीम लोदी किसी तरह भागने में सफल रहा। यह एक निर्णायक युद्ध था, जिसमें दिल्ली सल्तनत को भारी क्षति पहुंची।

1518 में सिकंदर लोदी की मृत्यु पर उसका पुत्र इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत में लोदी वंश का नया सुल्तान बना। उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती मेवाड़ के महाराणा सांगा थे, जिन्होंने उसके पिता के काल में ही दिल्ली को मालवा और ब्रज के क्षेत्रों से बाहर कर दिया था। ऐसे में इब्राहिम ने मेवाड़ पर चढ़ाई की। राणा सांगा भी अपनी सेना लेकर चित्तौड़ से निकले और दोनों सेनाएं वर्तमान बूंदी के लाखेरी कस्बे के निकट खताैली में आमने-सामने हो गईं।

इब्राहिम लोदी की सेना राजपूतों के हमले को झेल नहीं पाई और पांच घंटे तक चली लड़ाई के बाद सुल्तान और उसकी सेना के पांव उखड़ गए। एक लोदी राजकुमार को राणा सांगा ने गिरफ्तार कर लिया, जिसे एक समझौते के तहत रिहा किया गया। इस समझौते में राणा के हाथ आगरा से आगे दिल्ली के निकट के कुछ गांव लगे। इस युद्ध में राणा सांगा ने अपना बायां हाथ गंवा दिया और दायें पैर में तीर लगने से वे जीवन भर लंगड़ाकर चले।

इस युद्ध ने दिल्ली सल्तनत के अधिकतम संसाधन समाप्त कर दिए और इब्राहिम धनहीन होकर नाममात्र का शासक रह गया। फिर भी उसे खताैली की विनाशकारी हार से उबरना था, तो उसने मेवाड़ पर हमला करने के लिए एक और बड़ी सेना तैयार की और धौलपुर के निकट बाड़ जा पहुंचा, लेकिन एक बार फिर राणा सांगा की सेना ने उसे बिना प्रतिरोध के हरा दिया। इस प्रकार 1517 ईस्वी तक राणा सांगा उत्तर भारत के सम्राट बन चुके थे।

Share
Leave a Comment

Recent News