वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो गया। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने तगड़ा विरोध किया, पर लंबी बहस के बाद विधेयक पारित हो गया। अब इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। फिर कानून बनेगा। राज्यसभा से विधेयक पारित होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन का प्रस्ताव पेश किया।
अल्मंंख्सक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है। इसे पंथनिरपेकक्ष होना चाहिए। इसमें सभी पंथ-संप्रदाय के लोगों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। इसमें केवल मुसलमानों को ही क्यों शामिल किया जाना चाहिए? अगर हिंदू और मुसलमानों के बीच कोई विवाद है, तो उसे कैसे सुलझाया जाएगा? वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों के साथ भी विवाद हो सकते हैं। फिर भी हमने इसमें गैर-मुस्लिमों की संख्या सीमित की है। विपक्ष के आरोपों पर उन्होंने कहा, ‘वक्फ बिल से मुसलमानों को हम नहीं डरा रहे, बल्कि विपक्षी पार्टियां डरा रही हैं। हमने विपक्ष के कई सुझावों को माना है। उनके सभी सवालों के जवाब दिए हैं।’ विपक्ष पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र बहुमत से चलता है। विपक्ष ने कहा कि ट्रिब्यूनल में तीन सदस्य होने चाहिए, जिसे हमने माना। अगर हम किसी का सुझाव नहीं मानते तो यह विधेयक पूरी तरह से अलग होता। उन्होंने कहा कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 22 सदस्य होंगे। एक्स ऑफिशियो मेंबर को मिला कर 4 से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम नहीं होंगे। यह साफ तौर पर बताया जा चुका है।
अमित शाह ने भी सदन को आश्वस्त किया कि वक्फ बोर्ड में मजहबी दान से जुड़े कार्यों में किसी गैर-इस्लामिक सदस्य को जगह नहीं मिलेगी। लेकिन दान केवल अपनी संपत्ति का किया जा सकता है, सरकारी या किसी और की संपत्ति का दान नहीं। विपक्ष भ्रम फैला रहा है कि विधेयक मुस्लिमों के मजहबी क्रियाकलापों और की गई संपत्ति में दखल के लिए लाया जा रहा। विपक्ष अलसंख्यक समुदाय को डरा कर अपनी वोट बैंक खड़ी करने की कोशिश कर रहा है। वक्फ बोर्ड या इसके परिसरों में जिन गैर-मुस्लिम सदस्यों को रखा जाएगा, उनका काम मजहबी क्रियाकलापों से संबंधित नहीं होगा। वे सिर्फ यह सुनिश्चित करेंगे कि दान से संबंधित मामलों का प्रशासन नियम के अनुरूप हो। मुतवल्ली, वाकिफ, वक्फ सब मुस्लिम होंगे, पर यह जरूर देखा जाएगा कि वक्फ की संपत्ति का रखरखाव ठीक से हो रहा है या नहीं।
उन्होंने कहा कि वक्फ मजहबी संस्था है, पर वक्फ बोर्ड या वक्फ परिसर मजहबी नहीं हैं। कानून के मुताबिक चैरिटी कमिश्नर किसी भी धर्म-संप्रदाय का व्यक्ति बन सकता है। वह सुनिश्चित करेगा कि बोर्ड का संचालन चैरिटी कानून के मुताबिक हो। यह मजहब का नहीं, प्रशासन का काम है। मोदी सरकार का स्पष्ट सिद्धांत है कि वोट बैंक के लिए हम कोई कानून नहीं लाएंगे, क्योंकि कानून न्याय और लोगों के कल्याण के लिए होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड वक्फ की संपत्तियां बेच खाने वालों को पकड़े। वक्फ के पैसे से अल्पसंख्यक समुदाय का विकास और इस्लामी संस्थाओं को मजबूत किया जाना चाहिए। लेकिन वक्फ की आय ही घटती जा रही है। पैसे की चोरी पर रोक लगाना ही वक्फ बोर्ड और उसके परिसर का काम होगा। यह सारा पैसा गरीब मुसलमानों के कल्याण के लिए है, न कि धनकुबेरों की लूट के लिए। विपक्ष चाहता है उनके राज में चलने वाली मिलीभगत चलती रहे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अगर 2013 में वक्फ कानून में संशोधन नहीं किया गया होता, तो इस विधेयक को लाने की नौबत ही नहीं आती। लेकिन 2014 में चुनाव से पहले 2013 में रातों-रात तुष्टीकरण के लिए वक्फ कानून को ‘एक्स्ट्रीम’ बना कर दिल्ली में लुटियन्स ज़ोन की 123 वीवीआईपी संपत्ति वक्फ को दे दी गई।
दिल्ली वक्फ बोर्ड ने उत्तरी रेलवे की भूमि पर दावा, हिमाचल प्रदेश में जमीन को अपनी संपत्ति बता कर उस पर अवैध मस्जिद बना दी। ईसाई समुदाय की संपत्तियों पर भी कब्जा किया गया। देश के कई चर्चों ने वक्फ बिल का समर्थन किया है। देश में सबको अपने मत-पंथ का अनुसरण करने का अधिकार है, लेकिन लोभ, लालच और भय से कन्वर्ट नहीं कराया जा सकता। वक्फ पर संसद द्वारा बनाया जा रहा कानून भारत का कानून है, इसे सभी को स्वीकारना होगा। यह विधेयक ज़मीन की सुरक्षा प्रदान करेगा, किसी की जमीन घोषणा मात्र से वक्फ की नहीं हो जाएगी। उसे सुरक्षा मिलेगी। वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार समाप्त कर दिया गया है और अब इसे कलेक्टर से सत्यापित करवाना होगा।
अमित शाह ने सवाल किया कि कर्नाटक में सैकड़ों साल पहले किसी बादशाह द्वारा दान की गई संपत्ति 12,000 रुपये मासिक किराये पर पांच सितारा होटल बनाने के लिए देना कहां तक उचित है? वह पैसा गरीब मुसलमानों, तलाकशुदा महिलाओं, अनाथ बच्चों, बेरोजगार मुसलमानों की भलाई और उन्हें हुनरमंद बनाने के लिए किया जाना चाहिए। वक्फ के पास लाखों करोड़ों रुपये की भूमि है, लेकिन आय सिर्फ 126 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में भय पैदा करना का फैशन बन गया है। राम जन्मभूमि मंदिर, तीन तलाक और नागरिकता संशोधन अधिनियम के समय भी उन्हें डराने की कोशिश की गई। विपक्ष कहता था कि सीएए से मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी, लेकिन दो साल हो गए किसी की नागरिकता नहीं गई। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर भी मुसलमानों को डराने का प्रयास किया गया। आज वहां निर्वाचित सरकार है। आतंकवाद समाप्त हो गया, विकास शुरू हो गया और पर्यटन बढ़ गया। विपक्षी पार्टी और उसके सहयोगी दलों ने मुसलमान भाइयों को डरा-डरा कर वोटबैंक खड़ी करने का काम किया है। मोदी सरकार का संकल्प है-देश के किसी भी नागरिक पर, चाहे वह किसी भी मत-मजहब का हो, कोई आंच नहीं आएगी।
वक्फ की हरकतें
कर्नाटक में दत्तापीठ मंदिर पर, प्रयागराज में महाकुंभ क्षेत्र, हरियाणा में गुरुद्वारे की 14 मरला भूमि हड़पने के साथ प्रयागराज में चंद्रशेखर आजाद पार्क को भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया। महाराष्ट्र के वडांगे गांव में महादेव मंदिर पर दावा किया और बीड में कंकलेश्वर की 12 एकड़ जमीन जबरन ले ली।
- तमिलनाडु में 1500 पुराने तिरुचेंदूर मंदिर की 400 एकड़ भूमि पर दावा
- कर्नाटक में 29,000 एकड़ वक्फ भूमि किराए दी
- 2001 से 2012 के बीच 2 लाख करोड़ की संपत्ति निजी संस्थानों को 100 वर्ष के पटटे पर दी
- बेंगलुरु में 602 एकड़ भूमि अधिग्रहण मामले में उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा
- कर्नाटक के होनवाड़ गांव में 500 करोड़ की 1500 एकड़ भूमि मात्र 12,000 रुपये मासिक किराये पर फाइव स्टार होटल को दिया
- 75 वर्ष पुराने दावे के आधार पर केरल में 600 एकड़ भूमि कब्जाने का प्रयास
- 66,000 करोड़ की 1700 एकड़ जमीन पर दावा तेलंगाना में
- 134 एकड़ भूमि पर दावा किया असम के मोरीगांव जिले में
इसलिए लाना पड़ा विधेयक
सरकार ने एक्स पर वीडियो साझा करके बताया है कि नए वक्फ कानून की जरूरत क्यों पड़ी। सरकार का कहना है कि पहले आगा खानी, बोहरा, पसमांदा और आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को वक्फ बोर्ड में प्रतिनिधित्व नहीं मिलता था। महिलाओं को भी पारिवारिक वक्फ में अधिकार नहीं मिलते थे। नए कानून में पिछड़े मुसलमानों, महिलाओं और गैर-मुसलमानों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा।
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