पंजाब पुलिस के जवानों द्वारा सेना के एक कर्नल व उनके पुत्र के साथ हुई मारपीट के मामले में अदालत ने पंजाब सरकार को आइना दिखाया है। न्यायालय ने पंजाब सराकर की जांच कमेटी से यह जांच छीन कर चंडीगढ़ पुलिस को सौंप दी है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार चंडीगढ़ के डीजीपी को एक सप्ताह के भीतर जांच एक आईपीएस अधिकारी को सौंपनी होगी। अधिकारी चार महीने में जांच पूरी कर संबंधित क्षेत्राधिकार न्यायालय में रिपोर्ट देंगे। पंजाब के डीजीपी को जांच अधिकारी को मामले में पूर्ण सहयोग देने का निर्देश दिया गया है।
कर्नल बाठ के वकील और पंजाब सरकार दोनों इस बात पर सहमत हुए कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए जांच चंडीगढ़ में तैनात आईपीएस अधिकारी को सौंपी जा सकती है, जो पंजाब कैडर से न हो, ताकि वर्तमान याचिका में शामिल विवाद को हल किया जा सके। यह मामला उच्च न्यायालय के समक्ष तब पहुंचा जब कर्नल बाठ ने एक याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें पटियाला में पंजाब पुलिस अधिकारियों ने पीटा था।
बाठ ने जांच को सीबीआई को सौंपने के लिए निर्देश मांगे थे। सीबीआई जांच की मांग करते हुए कर्नल बाठ ने तर्क दिया था कि यदि मामले को एक स्वतंत्र एजेंसी को नहीं सौंपा गया तो इससे सशस्त्र बलों का मनोबल गिर सकता है और जनता के विश्वास को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है। कर्नल बाठ, जो वर्तमान में कैबिनेट सचिवालय के तहत एक संवेदनशील पद पर तैनात हैं, पर कथित तौर पर 13-14 मार्च की मध्यरात्रि को पटियाला में एक खाने की दुकान के पास उनके बेटे के साथ हमला किया गया था। याचिका के अनुसार हमलावर पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी और उनके सशस्त्र अधीनस्थ ने बिना किसी उकसावे के याचिकाकर्ता और उनके बेटे पर हमला किया। यह सब सार्वजनिक रूप से हुआ और सीसीटीवी कैमरों में कैद हुआ। यह भी आरोप लगाया गया कि अपराध की गंभीरता के बावजूद स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। याचिका में कहा गया कि नशे में धुत आरोपी अधिकारियों ने कर्नल बाठ की पत्नी पर समझौता करने का दबाव डाला।
कर्नल बाठ वर्तमान में नई दिल्ली स्थित आर्मी हेडक्वार्टर्स में तैनात हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 13 मार्च की रात पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों और उनके हथियारबंद अधीनस्थों ने बिना किसी उकसावे के उन पर और उनके बेटे पर हमला किया। गंभीर अपराध के बावजूद स्थानीय पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने दावा किया कि वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार फोन किया गया लेकिन उनकी गुहार को अनसुना कर दिया गया। उनकी शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज करने के बजाय किसी तीसरे व्यक्ति की शिकायत पर ‘अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ लड़ाई’ का फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया गया। जब कर्नल बाठ के परिवार ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और पंजाब के राज्यपाल से संपर्क किया, तो आठ दिन बाद उचित एफआईआर दर्ज की गई।
पटियाला निवासी जसविंदर कौर बाठ ने बताया कि उनके पति पुष्पिंद्र सिंह भारतीय सेना में मौजूदा समय में कर्नल के पद पर तैनात है। बीती 13 मार्च की रात को उनके पति बेटे अंगद सिंह के साथ शहर में गए हुए थे। इसी दौरान पटियाला में राजिंद्रा अस्पताल के पास स्थित ढाबे के नजदीक कुछ पुलिस कर्मियों ने शराब के नशे में उसके पति व बेटे के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उनके साथ मारपीट की। उनके पति ने मारपीट करने वालों को यह भी बताया कि वह सेना में कर्नल है तो भी उन जवानों ने उन्हें जमीन पर गिराकर लातें मारते हुए बुरी तरह से पीटा। उनके पति को गंभीर चोटें आईं और बायें हाथ में फ्रेक्चर भी आ गया। बेटे अंगद सिंह के सिर पर गहरा जख्म आया जिसके कारण दोनों को अस्पताल में भी भर्ती करवाना पड़ा। लेकिन इस मामले में पटियाला पुलिस ने चार दिनों तक एफआईआर दर्ज करने के बजाए उन्हें इधर से उधर तीन थानों व एसएसपी कार्यालय में चक्कर कटवाए। बल्कि पुलिस एसपी व डीएसपी ने तो उन पर समझौते के लिए दबाव बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने मामले में अपने चहेते एसएचओ व अन्य पुलिस कर्मियों को बचाने का प्रयास किया। यह पूरी घटना वहां एक ढाबा कर्मी ने अपने मोबाइल में बना ली थी जिसके बाद पुलिस कर्मियों द्वारा कर्नल व उनके बेटे को पीटने की सच्चाई सामने आई। इस मामले में मुख्यमंत्री ने भी कर्नल की पत्नी से भेंट कर न्याय दिलवाने का वायदा किया परंतु कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हो पाया।
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