अरविन्द केजरीवाल
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। अब नया मामला कोरोना काल में 3 सलाहकारों की नियुक्ति को लेकर सामने आया है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने ये नियुक्तियां वर्ष 2020 में साहित्य कला परिषद और उर्दू अकादमी में सांस्कृतिक आयोजनों के लिए की थीं। इसके बाद इन्हें लगातार कई माह तक वेतन भी दिया गया। जबकि उस समय इनका कोई काम ही नहीं था। क्योंकि उस समय कोरोना का भयानक दौर चल रहा था।
वहीं अब इस मामले के सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी की मौजूदा सरकार जाँच कराने के लिए सम्बंधित विभागों के साथ साथ अन्य और विभागों से ऐसे मामलों की जानकारी मांगी है। बता दें कि मार्च 2020 में कोरोना महामारी को लेकर लॉकडाउन लग गया था।
उस समय केवल स्वास्थ्य विभाग को छोड़कर सभी सरकारी विभागों के कार्यालय बंद थे और देशभर में लोग जान बचाने के लिए सरकार की ओर मदद भरी नजर से देख रहे थे। तब किसी भी प्रकार के कोई सांस्कृतिक आयोजन नहीं हो रहे थे।
वहीं दिल्ली सरकार की तरफ से साहित्य कला परिषद के लिए सिन्धु मिश्रा सांस्कृतिक आयोजनों को लेकर सरकार को सलाह दे रही थीं। उस समय लॉकडाउन लगा था और ये सलाहकार अगस्त 2020 तक अपनी सलाह देती रहीं। उस समय की आम आदमी पार्टी की सरकार ने इन्हें वेतन के रूप में कुल तीन लाख, 47 हजार, 337 रुपये दिए थे।
ठीक इसी तरह इसी तरह मोहन कुमार एमपी के नाम से एक दूसरे सलाहकार भी इसी विभाग में लगाए गए। ये भी जनवरी 2020 से लेकर दिसंबर 2020 तक सलाह देते रहे। जिन्हें सरकारी खजाने से कुल छह लाख 11 हजार 339 रुपये वेतन के रूप में दे दिए गए।
वहीं एक अन्य मुस्तहसन अहमद को भी उर्दू अकादमी में सलाहकार के तौर पर लगाया गया। ये साहब अगस्त 2020 से लेकर मार्च 2021 तक करीब आठ माह तक सरकार को सलाह देते रहे जिसके एवज में इन्हें तीन लाख 47 हजार, 728 रुपये वेतन के रूप में दे दिए गए।
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