रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध चौथे साल में प्रवेश कर गया है। जो बाइडेन के बाज अब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति हैं, लेकिन अपने वादे के अनुसार वे इस युद्ध को समाप्त करने में असफल रहे हैं। रूस को दबाने के लिए अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंधों की बारिश की। लेकिन, अभी भी भारत-चीन समेत कई देश रूस से भारी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करते हैं। इससे रूस को अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है। ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि वह अब रूसी तेल के खरीददार देशों पर टैरिफ लगाएंगे।
द गॉर्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, अगर डोनाल्ड ट्रंप रूस से तेल खरीदने वाले देशों के खिलाफ 25-50 फीसदी तक टैरिफ लगाते हैं तो इसका असर भारत और चीन दोनों पर ही पड़ेगा। दरअसल, भारत समेत कई देश अमेरिका के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं। यूबीएस के विश्लेषक जियोवानी स्टानोवो का कहना है कि रूस के तेल खरीददारों को टार्गेट करना, जैसा के वेनेजुएला के मामले में ट्रंप ने किया है, इससे भारत प्रभावित होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा ग्राहक बन चुका है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से ही भारत सरकार ने इस आपदा में दोस्त रूस की मदद करते हुए उससे भारी मात्रा में सस्ते में तेल खरीदा, जो कि राष्ट्रहित में था। वैश्विक दवाबों को दरकिनार करते हुए भारत सरकार ने रूस से तेल का आयात किया। 2024 में भारत ने अपनी जरूरत के कुल कच्चे तेल का 35 फीसदी हिस्सा रूस से आय़ात किया था। मार्च 2025 तक के उपलब्ध आकंड़ों के आधार पर इस अवधि में 120 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल आयात किया था।
किस-किस पर प्रतिबंध लगाएगा अमेरिका
बड़ा सवाल ये है कि डोनाल्ड ट्रंप आखिर किन-किन देशों पर प्रतिबंध लगाएंगे। जो बाइडेन के शासनकाल के दौरान अमेरिका ने अपना असली चरित्र दिखाते हुए रूस से बैक डोर सस्ते दामों पर भारी मात्रा में तेल खरीदा था। पिछले साल जनवरी में ही अमेरिका ने रूस से 35,000,00 डॉलर का तेल खरीदा था। इसके अलावा भी वह लगातार रूसी तेलों का आयात थर्ड पार्टी के जरिए कर रहा है।
पिछले साल ऐसी कई रिपोर्टें आई थीं, जिसमें ये दावा किया गया था कि अमेरिका यूक्रेन के साथ युद्ध का फायदा उठाते हुए रूस से बड़े पैमाने पर कच्चे तेल का आयात कर उसे रिजर्व कर रहा है और फिर उसी तेल को अपने सहयोगी देशों को महंगे दामों पर बेच रहा है। जर्मनी ने तो इसका विरोध भी किया था। ऐसे में सवाल ये है कि रूस पर प्रतिबंध का खुद ही उल्लंघन करने वाला अमेरिका क्या खुद और अपने सहयोगी देशों पर टैरिफ लगाएगा? बहरहाल, इसका जबाव तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है।
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